स्मृति शेष: सागर सरहदी इस एहसास के साथ जीने की कोशिश करते रहे कि दुनिया को बेहतर बनाना है. मगर अपनी बदनसीबी के सोग में इस द्वंद्व से निकल ही नहीं पाए कि साहित्य और फिल्मों के साथ निजी जीवन में भी एक समय के बाद अपनी याददाश्त को झटककर ख़ुद से नया रिश्ता जोड़ना पड़ता है.
जाति एक ऐसी बाधा है जो एक समाज का निर्माण नहीं होने देती. राष्ट्र बनकर भी नहीं बन पाता क्योंकि हम एक दूसरे के प्रति उत्तरदायी नहीं होते. एकजुटता या बंधुत्व के अभाव में सामाजिक संपदा का निर्माण भी नहीं हो पाता.