घटना मध्य प्रदेश के छतरपुर की है. दलित समुदाय के एक युवक की बीते 28 जून को शादी थी, लेकिन उसे अपनी बारात में घोड़ी पर बैठने के लिए स्थानीय पुलिस की मदद के लिए आवेदन देना पड़ा था, जिसमें बारात में बाधा डालने की धमकियों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी.
समान नागरिक संहिता के संबंध में नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने सवाल उठाते हुए पूछा कि इस तरह की कवायद से किसे फायदा होगा. यह अभ्यास निश्चित रूप से ‘हिंदू राष्ट्र’ के विचार से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि ‘हिंदू राष्ट्र’ ही एकमात्र तरीका नहीं हो सकता, जिससे देश प्रगति कर सकता है.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसमें सीधी के भाजपा विधायक का प्रतिनिधि एक आदिवासी युवक पर पेशाब कर रहा है. वीडियो को लेकर विवाद होने पर मुख्यमंत्री द्वारा आरोपी पर रासुका के तहत कार्रवाई के निर्देश देने के बाद उसे गिरफ़्तार किया गया है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को संगठित करना मुसलमानों और ईसाइयों का विरोध नहीं है. कभी-कभी किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है. कभी-कभी जैसे को तैसा जैसी प्रतिक्रिया होती है, लेकिन सही मायने में शांति और सहिष्णुता हिंदुत्व के मूल्य हैं.
पहला मामला उत्तर गुजरात के मेहसाणा ज़िले के एक प्री-स्कूल का है. विरोध प्रदर्शन के बाद स्कूल की निदेशक ने लिखित में माफ़ी मांगी है. वहीं कच्छ ज़िले के भुज स्थित एक स्कूल में बकरीद पर नाटक का मंचन किया गया था, जिसका भगवा संगठनों, अभिभावकों और नेताओं ने विरोध किया था. यहां के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ बलात्कार संबंधी एक मामले की सुनवाई करते हुए एफ़आईआर रद्द करने निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि आम तौर पर किशोर उम्र के लड़के-लड़कियां दोस्ती करते हैं और उसके बाद आकर्षण के चलते शारीरिक संबंध बनाते हैं. बाद में समाज में लड़के के साथ अपराधी जैसा व्यवहार किया जाता है.
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले का मामला. पठान जाति से आने वाली 22 वर्षीय युवती ने अगस्त 2021 में फकीर जाति के युवक से शादी की थी. पुलिस ने कहा कि युवती की कथित तौर पर उसके भाइयों ने हत्या कर दी, जो फ़रार हैं. युवती के परिवार के चार सदस्यों सहित पांच लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
मुंबई के मीरा रोड पर निजी हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले एक मुस्लिम दंपति पर बकरीद से पहले अपने फ्लैट में बकरियां लाने के कारण कथित तौर पर भीड़ द्वारा हमला किया गया था. इस संबंध में एक केस दर्ज किया गया है. अब दंपति के ख़िलाफ़ महिलाओं पर हमला, शांतिभंग, आपराधिक धमकी के आरोप में एफ़आईआर दर्ज की गई है.
प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य अतीक़-उर-रहमान को 5 अक्टूबर 2020 को पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के साथ उस समय गिरफ़्तार कर लिया गया था, जब वह उत्तर प्रदेश के हाथरस में बलात्कार पीड़िता से मिलने जा रहे थे. बीते 14 जून को उन्हें जेल से रिहा किया गया है.
महाराष्ट्र के ठाणे जिले का मामला. मीरा रोड पर एक निजी कॉलोनी में रहने वाले एक मुस्लिम दंपति ने बकरीद पर कुर्बानी के लिए दो बकरियां अपने फ्लैट में रखी थी. कॉलोनी के कुछ लोगों ने कथित तौर पर इसका विरोध कर उनके साथ मारपीट की. पुलिस ने 11 लोगों के ख़िलाफ़ दंगा और छेड़छाड़ के आरोप में केस दर्ज किया है.
बीते 26 मई को मुस्लिम समुदाय के एक युवक सहित दो लोगों द्वारा एक हिंदू लड़की के कथित अपहरण के प्रयास के बाद से उत्तराखंड के पुरोला में तनाव व्याप्त हो गया था. उसके बाद कई मुस्लिम परिवारों ने शहर छोड़ दिया था. अब वापस लौटे परिवारों से कहा गया है कि वे घर के अंदर भी सभा में नमाज़ का आयोजन न करें, इससे शांति भंग हो सकती है.
घटना बरेली के डॉ. एम. खान अस्पताल की है. वहां ढाई साल के बच्चे को भर्ती कराया गया था, जिसके माता-पिता का दावा है कि उसे जीभ की सर्जरी के लिए लाया गया था, लेकिन डॉक्टर ने उसका खतना कर दिया. डॉक्टर ने इस दावे को मनगढ़ंत बताया है.
अरावली ज़िले में क़रीब एक सदी पुरानी दरगाह पर ग्राम पंचायत ने चरागाह भूमि का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया था और एक नोटिस जारी कर 28 जून को उसे गिराए जाने की बात कही थी.
मद्रास हाईकोर्ट ने 2018 में दायर एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि किसी भी जाति या पंथ के किसी भी व्यक्ति को पुजारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, बशर्ते वह मंदिर में किए जाने वाले आवश्यक अनुष्ठानों में पारंगत और निपुण व्यक्ति हो. याचिका में सलेम ज़िले के श्री सुगवनेश्वर स्वामी मंदिर में पुजारियों की भर्ती के लिए निकाले गए एक विज्ञापन को चुनौती दी थी.
2006 में नोएडा में डकैती के एक मामले में 26 वर्षीय व्यक्ति की हिरासत में लिए जाने के बाद मौत हो गई थी, जिसके लिए 2019 में यूपी पुलिस के पांच कर्मचारियों को दस साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड में गंभीर विसंगतियों का हवाला देते हुए निचली अदालत के सज़ा के आदेश को बरक़रार रखा है.