फगवाड़ा स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ने एक सहायक प्रोफेसर गुरसंग प्रीत कौर को भगवान राम के बारे में अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में बर्ख़ास्त कर दिया है. सोशल मीडिया पर उक्त शिक्षिका की रामायण का ज़िक्र करते हुए एक टिप्पणी का कथित वीडियो सामने आया था.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने एक एडवाइज़री जारी कर भारतीय नागरिकों को पाकिस्तान में उच्च शिक्षा हासिल नहीं करने को कहा गया. चीन के संस्थानों में भारतीय विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हासिल करने से बचने की चेतावनी देने के एक माह के भीतर यूजीसी और एआईसीटीई की ओर से यह परामर्श जारी किया गया है.
आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने शनिवार को ट्वीट कर बताया था कि केरल के अधिकारियों ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल को समझने और उसे अपने राज्य में लागू करने के मकसद से दिल्ली के एक स्कूल का दौरा किया था. इस पर केरल के शिक्षा मंत्री शिवनकुट्टी ने कहा कि केरल के शिक्षा विभाग ने दिल्ली मॉडल को समझने के लिए किसी को नहीं भेजा है.
नए पाठ्यक्रम के मुताबिक, दसवीं की सामाजिक विज्ञान की किताब में धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति पाठ्यक्रम का हिस्सा बने रहेंगे लेकिन इसमें से पेज संख्या 46, 48, 49 पर बनी तस्वीरों को छोड़ दिया गया है. इन तस्वीरों में दो पोस्टर और एक राजनीतिक कार्टून हैं. इन पोस्टर में फ़ैज़ की नज़्में लिखी हुई थीं.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी 13 फरवरी 2020 से लापता थे. उसी रात उन्हें आखिरी बार एक पुलिस थाने में देखा गया था. तीन दिन बाद एक अन्य थाना क्षेत्र की झील में एक लावारिस शव मिला, जिसका पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया. पिता ने जब छात्र के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने महीनों तक कोई कार्रवाई नहीं की. हाईकोर्ट के आदेश पर अपराध शाखा ने जांच की, तब पिता को बेटे
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले के बेहजम में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का मामला. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि दोनों शिक्षकों के ख़िलाफ़ स्थानीय थाने में एफ़आईआर दर्ज करा दी है. पूरे मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम बनाई गई है.
दोनों मुस्लिम छात्राओं की ओर से कहा गया है कि उन्हें हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन कॉलेज के अधिकारियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें परीक्षा कक्ष में प्रवेश देने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों घर लौट गईं.
सुदर्शन न्यूज़ के सुरेश चव्हाणके ने यह नया विवाद तब खड़ा किया, जब हफ्ते भर पहले सोशल मीडिया पर 10 उम्मीदवारों की एक सूची वायरल हुई. सूची में जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के नाम थे, जिन्हें पवन हंस लिमिटेड कंपनी के प्रशिक्षु कार्यक्रम के लिए चुना गया था. ये सभी मुस्लिम हैं. चैनल का आरोप है कि सरकारी उपक्रमों द्वारा हिंदुओं को नौकरियों से वंचित किया जा रहा है.
साल 2005 में समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान द्वारा संचालित एक ट्रस्ट को संस्थान के लिए दी गई जमीन के संबंध में कुछ शर्तों के उल्लंघन के कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई शुरू की थी. जनवरी 2021 में विश्वविद्यालय को दी गई 12.5 एकड़ से अधिक की ज़मीन वापस लेने का आदेश पारित किया था.
इस बार कई विश्वविद्यालयों ने मई-जून 2022 में समाप्त हो रहे सेमेस्टर के लिए ऑफ़लाइन परीक्षा कराने का फ़ैसला किया है, लेकिन हॉस्टल प्रबंधन, परीक्षा शेड्यूल और हाइब्रिड क्लास टाइमटेबल को लेकर थोड़ी बहुत स्पष्टता के साथ अधिकांश राज्यों में छात्र इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं.
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने 'गंभीर सुरक्षा परिणाम' का हवाला देते हुए अपने कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों से भी सोशल मीडिया पर इस तरह के कंटेंट को पोस्ट करने से बचने को कहा है.
राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि वे संसद सत्र के दौरान भी विश्वविद्यालय में नियमित कक्षाएं लेते हैं. उनकी आवाज़ उन कॉलेजों के लिए कैसे ख़तरा हो सकती है जब यह संसद में ख़तरा नहीं है. उन्होंने कॉलेजों का नाम लिए बिना कहा कि निमंत्रण रद्द करने के लिए कार्यक्रम की प्रकृति में बदलाव का हवाला दिया गया है.
हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता ने बताया कि संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने भगवा जेएनयू के पोस्टर लगाए थे. वॉट्सऐप पर वायरल कथित वीडियो में गुप्ता को कहते सुना जा सकता है कि जेएनयू परिसर में 'भगवा का नियमित अपमान किया जा रहा है. हमारी चेतावनी है कि आप सुधर जाइए. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.'
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूलों में महत्वपूर्ण पदों के ख़ाली होने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. आम आदमी पार्टी सरकार ने कहा कि उन्हें इस बारे में केंद्र से संपर्क करना चाहिए क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है.
केंद्र सरकार ने पहली बार छात्रों को एक ही विश्वविद्यालय या अलग-अलग संस्थानों से समान स्तर के दो पूर्णकालिक डिग्री कार्यक्रमों में एक साथ प्रत्यक्ष तरीके से पढ़ाई करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है. हालांकि कई शिक्षाविदों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता कमतर हो सकती है.