मणिपुर से सात सेकंड के इस वीडियो में एक गड्ढे में पड़े कुकी समुदाय के एक व्यक्ति को कुछ लोगों द्वारा आग लगाते हुए देखा जा सकता है. यह स्पष्ट नहीं है कि घटना के व्यक्ति ज़िंदा था या नहीं. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह हिंसा के दूसरे दिन यानी 4 मई को मेईतेई-प्रभुत्व वाले थौबल जिले में हुई एक घटना है. इस संबंध में उस वक्त केस दर्ज किया गया था.
उत्तरी सिक्किम स्थित ल्होनक झील पर अचानक बादल फटने से लाचेन घाटी में तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई है. अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार रात करीब 1:30 बजे शुरू हुई बाढ़ चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण और बदतर हो गई. इस आपदा में मंगन, पाकयोंग और गंगटोक ज़िले गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं.
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचांदपुर ज़िले में अनिश्चितकालीन बंद की शुरुआत करते हुए केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दो छात्रों की हत्या के संबंध में की गईं गिरफ़्तारियों को जल्दबाजी में की गई चयनित कार्रवाई क़रार दिया. दूसरी ओर कांगपोकपी ज़िले में भी एक अन्य कुकी-ज़ोमी संगठन कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी ने गिरफ़्तार किए गए लोगों की रिहाई की मांग के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग पर आपातकालीन बंद किया है.
भाजपा की मणिपुर इकाई ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर कहा है कि लोग नाराज़ में हैं, क्योंकि राज्य सरकार अब तक जातीय संघर्ष को रोकने में विफल रही है. इकाई ने उन लोगों को मुआवज़ा प्रदान करने का भी आह्वान किया, जिनके घर नष्ट हो गए हैं और जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने का भी अनुरोध किया.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि ‘मिया’ लोग उनका, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का समर्थन करते हैं और वे उन्हें वोट दिए बिना भगवा ब्रिगेड के पक्ष में नारे लगाना जारी रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब वे परिवार नियोजन का पालन करेंगे, बाल विवाह रोकेंगे और कट्टरवाद छोड़ देंगे तब हमें वोट करें.
मेईतेई समाज से आने वाले हिजाम लिनथोइंगामी (17 वर्षीय लड़की) और फिजाम हेमजीत (20 वर्षीय लड़का) इस साल 6 जुलाई को हिंसा के दौरान लापता हो गए थे. 25 सितंबर को उनके शवों की तस्वीरें सामने आईं, जिसके बाद मणिपुर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ से आफस्पा को हटा लिया है. जिन चार ज़िलों में इसकी अवधि बढ़ाई गई है, उनमें डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, शिवसागर और चराइदेव शामिल हैं. असम सरकार ने पिछले महीने केंद्र से सिफ़ारिश की थी कि 1 अक्टूबर से राज्य के बाकी बचे आठ ज़िलों से आफस्पा हटा दी जाए.
बीते 27 सितंबर को मणिपुर सरकार ने पहाड़ी इलाकों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (आफस्पा) को छह महीने का विस्तार दे दिया था, जबकि इंफाल घाटी के 19 थानों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. कुकी, ज़ोमी और नगा जनजातियों के शीर्ष निकायों ने इस क़दम को ‘दमनकारी’ और ‘पक्षपातपूर्ण’ क़रार दिया है.
मणिपुर की इंफाल घाटी में सुरक्षा व्यवस्था और कर्फ्यू के बावजूद भीड़ ने बृहस्पतिवार रात मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के ख़ाली पड़े पैतृक आवास पर हमला करने की कोशिश की. यह घटना दो मेईतेई छात्रों के शव की तस्वीरें सामने आने के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बीच हुई है. दोनों दो महीने से अधिक समय से लापता थे.
पुलिस ने बताया कि असम के दीमा हसाओ ज़िले से आदिवासी कुकी समुदाय की नाबालिग लड़की को मेजर और उनकी पत्नी दो साल पहले ट्रांसफर होने के बाद हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में अपने साथ ले गए थे. लड़की को पूरे एक साल तक अमानवीय यातना से गुज़रना पड़ा. उसके पूरे शरीर पर तमाम तरह की चोटों के निशान हैं. उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है.
सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (आफस्पा) ‘अशांत क्षेत्रों’ में तैनात सेना और केंद्रीय बलों को क़ानून के ख़िलाफ़ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ़्तारी और बिना वारंट के किसी भी परिसर की तलाशी लेने का अधिकार देता है. साथ ही केंद्र की मंज़ूरी के बिना अभियोजन और क़ानूनी मुक़दमों से सुरक्षा बलों को सुरक्षा भी प्रदान करता है.
संघर्षग्रस्त मणिपुर की सरकार ने बीते 23 सितंबर को क़रीब 143 दिन बाद इंटरनेट बहाल किए जाने की घोषणा की थी. इंटरनेट पर दोबारा प्रतिबंध की घोषणा दो मेईतेई छात्रों के शव की वायरल तस्वीरों को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बीच की गई है. दोनों छात्र दो महीने से अधिक समय से लापता थे.
ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर ने राज्य में जारी हिंसा पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को ‘पक्षपाती और प्रायोजित’ बताते हुए मांग की है कि गिल्ड अपने सोशल मीडिया हैंडल और वेबसाइट से रिपोर्ट, मणिपुर के पत्रकारों के ख़िलाफ़ 'अपमानजनक' बयान हटाए.
मणिपुर में हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन शवों के परिजनों की पहचान करने के प्रयास करे जो 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से राज्य के मुर्दाघरों में लावारिस पड़े हुए हैं.
मणिपुर में लगभग पांच महीनों से जारी हिंसा के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि वे म्यांमार के आतंकी संगठनों द्वारा मणिपुर में मौजूदा अशांति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने की एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश की जांच कर रहे हैं.