मणिपुर: मीडिया में टिप्पणी करने से पहले शिक्षकों को प्रशासन से अनुमति लेने को कहा गया

विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति ऐसा बयान नहीं देगा, जो केंद्र/राज्य सरकार की किसी भी वर्तमान या हालिया नीति या कार्रवाई की आलोचना हो. आदेश का पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है.

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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक/सीएमओ मणिपुर)

विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षा निदेशक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति ऐसा बयान नहीं देगा, जो केंद्र/राज्य सरकार की किसी भी वर्तमान या हालिया नीति या कार्रवाई की आलोचना हो. आदेश का पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक/सीएमओ मणिपुर)
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक/सीएमओ मणिपुर)

इम्फाल: मणिपुर सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के सभी कर्मचारियों और राज्य संचालित कॉलेजों के शिक्षकों से कहा है कि मीडिया में सरकारी नीतियों या कार्यक्रमों के बारे में किसी भी तरह का विचार रखने से पहले संबंधित अधिकारियों से इस बारे में अनिवार्य रूप से अनुमति ली जाए.

हाल ही में जारी एक आदेश में विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षा निदेशक के. दियाना देवी ने कहा कि आदेश का पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है.

देवी ने 10 अगस्त को जारी बयान में कहा, ‘सरकारी कॉलेजों के कुछ शिक्षक सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में अपने विचार मीडिया में प्रकट कर रहे हैं, जिससे प्राधिकरण की अवज्ञा को बढ़ावा मिल सकता है.’

उन्होंने कहा कि मीडिया में सरकार की किसी भी नीति या कार्यक्रम के बारे में लिखने या बयान देने से पहले संबद्ध प्राधिकार से जरूरी मंजूरी ली जाए और ऐसा नहीं करने पर केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील नियम, 1965) के संबंधित प्रावधानों के अनुसार उनके खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू की जा सकती है.

दरअसल सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में विफल रहने को लेकर फेडरेशन ऑफ गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एफईजीओसीटीए) और ऑल मणिपुर कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एएमसीटीए) राज्य सरकार की आलोचना कर रहे हैं.

इनमें से कई ने इस मुद्दे पर समाचार चैनलों और सोशल मीडिया पर अपनी राय भी प्रकट की है.

देवी ने कहा, ‘मीडिया में कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने नाम से या अज्ञात रूप से किसी भी दस्तावेज को प्रकाशित नहीं करेगा या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर ऐसा बयान नहीं देगा, जो केंद्र/राज्य सरकार की किसी भी वर्तमान या हालिया नीति या कार्रवाई की प्रतिकूल आलोचना का प्रभाव हो और जो केंद्र और किसी भी राज्य की सरकार के बीच संबंध को शर्मसार करने में सक्षम हो.’

एफईजीओसीटीए के महासचिव एन. सोमोरेंद्रो ने कहा, कोरोना वायरस के कारण वेतनमान को लेकर किया जा रहा प्रदर्शन रोक दिया गया था, लेकिन संगठन के सदस्यों ने फिर से आंदोलन शुरू किया है, क्योंकि बार बार के अनुरोधों पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया.

उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है कि सरकारी शिक्षक किसी भी अकादमिक कार्यों में भाग नहीं लेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)