अगर संपादक मंत्री से कहकर किसी नियुक्ति में कोई बदलाव करवा सकते हैं, तो क्या इसके एवज में मंत्रियों को अख़बारों की संपादकीय नीति प्रभावित करने की क्षमता मिलती है?
विधानसभा अध्यक्ष और दूसरे विधायकों के ख़िलाफ़ आलेख प्रकाशित करने के मामले में सदन ने दोनों पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की.
पत्रकारों के लिए जस्टिस मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफ़ारिश और सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से बातचीत.
मीडिया बोल की दूसरी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा और नेपाल वन टीवी की मैनेजिंग एडीटर व वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह के साथ मीडिया की आज़ादी पर चर्चा कर रहे हैं.
शुक्रवार, 9 जून को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने मीडिया के वर्तमान परिदृश्य पर अपने विचार रखे. पढ़ें उनका पूरा भाषण...
वेबसाइट की सफलता के लिए जितना झूठ परोसेंगे, उतना हिट मिलेगा. जितना हिट मिलेगा, उतना विज्ञापन मिलेगा. झूठ का कारोबार आज सच के लिए चुनौती बन गया है.
सोशल मीडिया पर भारतीय सैनिकों की फर्ज़ी तस्वीर और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का फर्ज़ी वीडियो साझा करने के बाद संबित पात्रा एक बार फिर झूठी ख़बर फैलाते हुए पाए गए हैं.
मीडिया बोल की पहली कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन के साथ प्रेस की स्वतंत्रता पर चर्चा कर रहे हैं.
‘जन गण मन की बात’ कार्यक्रम के बाद द वायर आपके लिए लेकर आ रहा है एक नया वीडियो कार्यक्रम ‘मीडिया बोल’. हर सोमवार शाम सात बजे प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश मीडिया और उससे जुड़े मसलों पर चर्चा करेंगे.
पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘रेडइंक अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट’ से सम्मानित होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने यह भाषण सात जून को मुंबई में हुए सम्मान समारोह में दिया.
'गाय, ट्रिपल तलाक, सेना, कश्मीर और पाकिस्तान को ज़ेरे-बहस लाकर सरकार अपनी नाकामी को छिपाने की कोशिश कर रही है. सरकार के सभी वादे झूठे साबित हुए हैं. आपको अच्छे दिन के बजाय बुरे दिन दे दिए गए हैं.'
प्रणय रॉय, राधिका रॉय और आरआरपीआर होल्डिंग्स पर बैंक फ्रॉड का आरोप है. हालांकि, चैनल का कहना है कि एनडीटीवी और उसके प्रमोटर को झूठे आरोप में परेशान किया जा रहा है.
न्यूज़ चैनल हर विषय पर दलीय प्रवक्ताओं की भीड़ क्यों इकट्ठा करना चाहते हैं? क्या वे राजनीतिक दलों, ख़ासकर सत्ताधारी दल को हर मुद्दे पर अपना फोरम मुहैया कर खुश रखने की कोशिश करते हैं?
विनोद दुआ भारत के पहले चुनाव विश्लेषकों में से एक हैं और वर्तमान में 'द वायर' पर 'जन गण मन की बात' कार्यक्रम के प्रस्तोता हैं.