विदेश मंत्री एस. जयशंकर को लिखे पत्र में इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन ने कहा है कि तालिबानी शासन में अफ़ग़ान पत्रकारों के ख़िलाफ़ कार्रवाइयों और हमलों में खासी बढ़ोतरी हुई है.
5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस का आरोप है कि आरोपी क़ानून-व्यवस्था ख़राब करने के लिए हाथरस जा रहा था. कप्पन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.
मामला 1994 का है. मुज़फ़्फ़रनगर के तत्कालीन कलेक्टर अनंत कुमार सिंह का एक साक्षात्कार ‘द पायनियर’ और ‘स्वतंत्र भारत’ अख़बार में प्रकाशित हुआ था, जिसमें महिलाओं के साथ बलात्कार के संबंध में उनके हवाले से एक आपत्तिजनक टिप्पणी छापी गई थी. अदालत ने फैसला सुनाने के बाद आरोपियों को प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट के तहत रिहा कर दिया.
भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी ‘टाइम्स नाउ’ के प्राइम टाइम शो में की थी, जिसे नविका कुमार होस्ट कर रही थीं. इसे लेकर नविका के ख़िलाफ़ कई एफआईआर दर्ज हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें भविष्य में दर्ज हो सकने वाली एफआईआर के संबंध में भी दंडात्मक कार्रवाई से राहत दी है.
वीडियो: झारखंड के पत्रकार रूपेश कुमार सिंह को बीते 17 जुलाई को माओवादियों से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ़्तार किया है. उनकी पत्नी इप्सा शताक्षी ने बताया कि उन्हें जेल में संक्रामक रोगियों के वॉर्ड में रखा गया है और वहां की स्थिति अच्छी नहीं है. उनसे सुमेधा पाल की बातचीत.
अंग्रेज़ी पत्रिका ‘द वीक’ ने अपने ताज़ा अंक में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बिबेक देबरॉय का एक लेख छापा था. इसके साथ लगी भगवान शिव और मां काली की तस्वीर को आपत्तिजनक बताते हुए कानपुर में एक भाजपा नेता ने पत्रिका के ख़िलाफ़ धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में मामला दर्ज करा दिया है. देबरॉय ने पत्रिका से स्तंभकार के रूप में नाता तोड़ लिया है.
बीते एक जुलाई को समाचार चैनल ज़ी न्यूज़ ने अपने प्राइम टाइम शो ‘डीएनए’ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक बयान चलाकर कहा था कि वह उदयपुर हत्याकांड के आरोपियों को ‘बच्चा’ बता रहे हैं, जबकि उक्त बयान उन्होंने केरल के वायनाड में उनके कार्यालय में तोड़-फोड़ करने वाले एसएफआई कार्यकर्ताओं के संदर्भ में दिया था. इसे लेकर रोहित रंजन और संपादक रजनीश आहूजा के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी.
आरोप है कि एनआईए ने सांध्य दैनिक ‘कांगलीपक्की मीरा’ के प्रधान संपादक डब्ल्यू. श्यामजई को दो अगस्त को अपने कार्यालय में तलब किया था. दोपहर तक बिना बातचीत किए उन्हें एक छोटे से कमरे में रखा गया और फिर उनसे भूमिगत समूहों के बारे में ‘अनर्गल’ सवाल किए गए.
5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस का आरोप है कि आरोपी क़ानून-व्यवस्था ख़राब करने के लिए हाथरस जा रहा था. कप्पन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.
साक्षात्कार: चार साल पुराने एक ट्वीट के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने क़रीब तीन हफ्ते जेल में बिताए. इस बीच यूपी पुलिस द्वारा उन पर कई मामले दर्ज किए गए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि उनकी लगातार हिरासत का कोई औचित्य नहीं है. उनसे बातचीत.
ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से दिसंबर 2021 के बीच वैश्विक स्तर पर भारत ने ट्विटर पर सत्यापित पत्रकारों और मीडिया संस्थानों द्वारा पोस्ट सामग्री हटाने की सर्वाधिक क़ानूनी मांग की. इसी अवधि में भारत सभी यूज़र्स के मामले में कंटेंट प्रतिबंधित करने का आदेश देने वाले शीर्ष पांच देशों में शामिल था.
भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब किसी मीडिया संस्थान के अन्य व्यावसायिक हित होते हैं तो वह बाहरी दबावों के प्रति संवेदनशील हो जाता है. अक्सर व्यावसायिक हित स्वतंत्र पत्रकारिता की भावना पर हावी हो जाते हैं. नतीजतन, लोकतंत्र से समझौता होता है.
कश्मीर से आने वाले स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन मंगलवार को श्रीलंका के वर्तमान संकट पर रिपोर्ट करने के लिए दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से कोलंबो जाने वाले थे, लेकिन उन्हें आव्रजन अधिकारियों द्वारा रोक दिया गया. अधिकारियों द्वारा उन्हें ऐसा करने की वजह भी नहीं बताई गई.
भाजपा की आर्थिक नीतियों और अडानी समूह के व्यापारिक सौदों पर व्यापक रूप से लिखने वाले स्वतंत्र पत्रकार रवि नायर ने कहा है कि इस संबंध में उन्हें कोई पूर्व समन नहीं दिया गया है और न ही शिकायत की कोई प्रति मिली है. उन्होंने कहा कि उन्हें यह भी नहीं बताया गया है उनकी किस रिपोर्ट या सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर समूह ने उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मानहानि का मुक़दमा दायर कराया है.
देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा कि न्याय देने से जुड़े मुद्दों पर ग़लत जानकारी और एजेंडा-संचालित बहसें लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रही हैं. प्रिंट मीडिया अब भी कुछ हद तक जवाबदेह है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नहीं है, यह जो दिखाता है वो हवाहवाई है.