ईडी संबंधी मामले का हवाला देकर अधिकारी ने कहा- ज़मानत के बावजूद जेल में रहेंगे सिद्दीक़ कप्पन

अक्टूबर 2020 में हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को बीते हफ्ते उन्हें सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली है. जेल अधिकारियों ने उनकी रिहाई से इनकार करते हुए कहा है कि उनके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एक मामला लंबित है.

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गिरफ़्तारी के समय पुलिस हिरासत में मोहम्मद आलम (बीच में) और सिद्दीक़ कप्पन (दाएं). (फाइल फोटो: पीटीआई)

अक्टूबर 2020 में हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को बीते हफ्ते उन्हें सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिली है. जेल अधिकारियों ने उनकी रिहाई से इनकार करते हुए कहा है कि उनके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एक मामला लंबित है.

पुलिस हिरासत में सिद्दीक़ कप्पन (दाएं). (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में जमानत पाने वाले केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन फिलहाल लखनऊ की जेल में ही रहेंगे क्योंकि उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किया जा रहा एक मुकदमा अब भी विचाराधीन है.

यह जानकारी जेल विभाग के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दी है.

सोमवार को लखनऊ के एक कोर्ट ने कप्पन की रिहाई का आदेश जारी किया. कप्पन अक्टूबर 2020 में गिरफ्तारी के बाद से डेढ़ साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं. उनकी गिरफ्तारी तब हुई थी जब वे उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए एक दलित किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या की रिपोर्ट कवर करने के लिए जा रहे थे.

उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

डीजी, जेल पीआरओ संतोष वर्मा ने बताया, ‘कप्पन अभी जेल में ही रहेंगे क्योंकि उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय एक मामले में जांच कर रहा है, जो कि अभी लंबित है.’

लखनऊ जेल वरिष्ठ अधीक्षक आशीष तिवारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘एक बार वे ईडी वाले मामले में जमानत पा लें, तो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा.’

कप्पन के वकील हैरिस बीरन ने भी द वायर  को बताया कि उन्हें पता है कि सुप्रीम कोर्ट और लखनऊ जज दोनों ने उनकी रिहाई के लिए शर्तें तय कर दी हैं, लेकिन रिहा होने के लिए पीएमएलए मामले में भी उन्हें जमानत की जरूरत होगी.

बता दें कि पिछले साल ईडी ने दावा किया था कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया हाथरस घटना के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़काना और आतंक फैलाना चाहता था. इसके आरोप पत्र में अन्य लोगों के साथ-साथ कप्पन का भी नाम है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को कप्पन को जमानत दी थी.

शीर्ष अदालत ने कहा था कि जेल से रिहा होने के बाद उन्हें अगले छह हफ्तों तक दिल्ली में रहना होगा और हर सोमवार को निजामुद्दीन पुलिस थाने में रिपोर्ट करना होगा. कोर्ट ने साथ ही कहा था कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले के तहत जमानत पाने के लिए संबंधित कार्यवाही में भाग लेने की स्वतंत्रता होगी.

उनकी रिहाई का आदेश जारी करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) ने कहा है कि कप्पन को एक-एक लाख रुपये के दो जमानत पत्रों तथा इतनी ही रकम का एक निजी मुचलका भरना होगा.

अपर सत्र न्यायाधीश ने कप्पन से यह शपथ भी ली कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों का उल्लंघन नहीं करेंगे, जिसने उन्हें हाल ही में जमानत दी है.

मालूम हो कि मलयालम समाचार पोर्टल ‘अझीमुखम’ के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दीक कप्पन को 5 अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था.

कप्पन उस वक्त हाथरस जिले में 19 साल की एक दलित लड़की की बलात्कार के बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए वहां जा रहे थे. उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे.

यूपी पुलिस का आरोप था कि आरोपी कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहा था. उन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.

पुलिस ने तब कहा था कि उसने चार लोगों को मथुरा में अतिवादी संगठन पीएफआई के साथ कथित संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया और चारों की पहचान केरल के मलप्पुरम के सिद्दीक कप्पन, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के अतीक-उर-रहमान, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के मोहम्मद आलम के तौर पर हुई है.

उनकी गिरफ्तारी के दो दिन बाद यूपी पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह और यूएपीए के तहत विभिन्न आरोपों में अन्य मामला दर्ज किया था.

यूएपीए के तहत दर्ज मामले में आरोप लगाया गया था कि कप्पन और उनके सह-यात्री हाथरस सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे.