अमेरिकी पत्रकारों ने इज़रायल द्वारा गाज़ा में पत्रकारों की हत्या की निंदा की

दुनियाभर के 1,265 मीडियाकर्मियों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में पश्चिम के न्यूज़रूम्स से अपील की गई है कि वे ऐसी अमानवीय बयानबाज़ी से बचें, जो फ़िलिस्तीनियों के नस्लीय सफाए (एथनिक क्लींज़िंग) को उचित ठहराती है.

डिजिटल उपकरणों की ज़ब्ती हो या स्पायवेयर से सुरक्षा, सार्थक क़ानूनी प्रक्रिया वक़्त की ज़रूरत है

किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से असल में क्या चाहिए और इसे मांगने का कारण स्पष्ट रूप से लिखित रूप में बताया जाना चाहिए. हालांकि, भारत में पुलिस या एजेंसियों द्वारा ऐसी किसी प्रणाली का पालन नहीं किया जाता है.

अडानी-हिंडनबर्ग: 2 पत्रकारों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई न करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

द फाइनेंशियल टाइम्स अखबार के दो पत्रकारों को गुजरात पुलिस ने अडानी समूह की कंपनियों के संबंध में अख़बार में प्रकाशित एक लेख के संबंध में प्रारंभिक जांच के लिए बुलाया था. इससे पहले अदालत ने दो अन्य पत्रकारों को अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर उनके द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट के संबंध में अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी.

पत्रकारों के डिजिटल उपकरण ज़ब्त करने के लिए उचित दिशानिर्देशों की ज़रूरत: सुप्रीम कोर्ट

फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल द्वारा क़ानूनी एजेंसियों द्वारा 'अनुचित दखल' के ख़िलाफ़ सुरक्षा उपाय देने और डिजिटल उपकरणों की तलाशी और ज़ब्ती के लिए व्यापक दिशानिर्देश बनाने की मांग वाली याचिका सुनते हुए जस्टिस एसके कौल ने कहा कि यह गंभीर मामला है. मीडिया पेशेवरों के स्रोत और अन्य चीज़ें होंगी. कुछ दिशानिर्देश होने चाहिए.

इज़रायल का गाज़ा में ‘फ़िलिस्तीनी शव के हिलने’ का दावा झूठा निकला

फैक्ट-चेक: इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष के बीच लगातार साझा की जा रही फ़र्ज़ी ख़बरों के बीच इज़रायल समर्थकों ने एक वीडियो क्लिप में एक फ़िलिस्तीनी व्यक्ति के 'शव के हिलने' का दावा करते हुए मौत के आंकड़ों पर सवाल उठाया गया था. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा ग़लत पाया गया है.

एनबीडीएसए ने समाचार चैनल टाइम्स नाउ नवभारत से ‘सांप्रदायिक’ रिपोर्ट के वीडियो हटाने को कहा

द न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल ​स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने एक अन्य हिंदी समाचार चैनल ‘आज तक’ से भी ऐसे शब्दों का उपयोग करने से बचने के लिए कहा है, जो किसी ‘वैध मुद्दे’ को ‘पूरी तरह से अलग’ आयाम देते हैं. साथ ही समाचार चैनल को सलाह दी है कि वह भविष्य के प्रसारण में इसके बारे में सावधान रहें.

केरल: ईसाई प्रार्थना सभा में विस्फोट की कवरेज को लेकर समाचार चैनल और पत्रकार के ख़िलाफ़ केस

बीते 29 अक्टूबर को केरल के कोच्चि ज़िले में ईसाई प्रार्थना सभा में हुए बम विस्फोट की कवरेज को लेकर समाचार चैनल ‘रिपोर्टर टीवी’ और इसकी समन्वयक संपादक सुजया पार्वती के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. उन पर समाचार कवरेज के माध्यम से विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप है.

‘महात्मा’ हरगोविंद: मुक्तिकामी लेखन और जागरूक करने वाली पत्रकारिता के पैरोकार

पुण्यतिथि विशेष: जनता को जागरूक करने वाली पत्रकारिता के लक्ष्य को लेकर 'महात्मा' हरगोविंद ने 1958 में सहकारिता का सफल प्रयोग करते हुए ‘जनमोर्चा’ का प्रकाशन शुरू किया. पांच लोगों के पंद्रह-पंद्रह रुपयों के योगदान से शुरू हुआ यह अख़बार आज भी व्यक्तिगत मालिकाने के बिना चल रहा है.

तमिलनाडु सरकार अपने ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी ख़बरों से निपटने के लिए फैक्ट-चेक इकाई बनाएगी

बीते 6 अक्टूबर को एक सरकारी आदेश में कहा गया था कि एक केंद्रीय कार्य बल फैक्ट-चेक इकाई के तहत काम करेगा और इसका नेतृत्व एक मिशन निदेशक करेगा. यह क़दम कर्नाटक द्वारा सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी ख़बरों पर अंकुश लगाने के लिए एक फैक्ट-चेक इकाई स्थापित करने की घोषणा के दो महीने बाद आया है.

न्यूज़क्लिक पर छापेमारी में 250 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ज़ब्त किए जाने से पत्रकारों का कामकाज ठप

बीते ​3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने यूएपीए के तहत दर्ज एक केस के सिलसिले में समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक और इसके कर्मचारियों के यहां छापेमारी की थी. इस दौरान 90 से अधिक पत्रकारों के क़रीब 250 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ज़ब्त किए गए थे. लगभग एक महीने बाद भी इन्हें वापस नहीं करने से पत्रकारों के लिए काम करना मुश्किल हो गया है.

पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लंबे समय तक ज़ब्त रखना प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात: अदालत

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन सिंह राजावत ने निचली अदालत के आदेश को बरक़रार रखते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दिल्ली पुलिस को द वायर के कर्मचारियों से ज़ब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वापस करने के लिए कहा गया था. भाजपा के एक नेता द्वारा द वायर के ख़िलाफ़ शिकायत के बाद अक्टूबर 2022 में पुलिस ने इन उपकरणों को ज़ब्त किया था.

पुणे: कश्मीरी पत्रकार को दिया अवॉर्ड रद्द करने वाले संस्थान ने कहा- उनकी राय सरकार से नहीं मिलती

पुणे के महाराष्ट्र इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने कश्मीरी पत्रकार सफ़ीना नबी को रिपोर्टिग से जुड़े पुरस्कार के लिए चुना था. हालांकि पुरस्कार समारोह से ठीक पहले अवॉर्ड रद्द कर दिया गया. मुंबई प्रेस क्लब के अध्यक्ष ने कहा है कि ऐसा करना घृणास्पद है और इसकी कड़ी से कड़ी निंदा की जानी चाहिए.

पुणे: संस्थान ने कश्मीरी पत्रकार को दिया अवॉर्ड रद्द किया, विरोध में समारोह में नहीं गए जूरी

कश्मीरी पत्रकार सफ़ीना नबी को पुणे की महाराष्ट्र इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने उनकी एक रिपोर्ट के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया था. हालांकि पुरस्कार समारोह की पूर्व संध्या पर उन्हें फोन से सूचित किया गया कि राजनीतिक दबाव के चलते उनका पुरस्कार रद्द कर दिया गया है.

पत्रकार संगठनों ने मीडिया की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की

विभिन्न पत्रकार संगठनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा है कि आज हमारे समुदाय को एक घातक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकारों के ख़िलाफ़ कठोर क़ानूनों का उपयोग तेज़ी से बढ़ गया है. ये क़ानून ज़मानत का प्रावधान नहीं करते, इसके तहत कारावास आदर्श है, न कि अपवाद.

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