इसरो जासूसी कांड में वैज्ञानिक की गिरफ़्तारी अनावश्यक थी: सुप्रीम कोर्ट

1994 में हुए इसरो जासूसी कांड में वैज्ञानिक नंबी नारायणन की ग़ैर-क़ानूनी गिरफ़्तारी के लिए सीबीआई ने केरल पुलिस के अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया था. शीर्ष अदालत ने इन अधिकारियों के ख़िलाफ़ जांच आदेश देते हुए केरल सरकार से नारायणन को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा है.

माल्या को ‘माल्या’ किसने बनाया?

विजय माल्या ने हर दल की मदद से खुद को राज्यसभा में पहुंचाकर भारत की संसदीय परंपरा को उपकृत किया. मैं माल्या के इस योगदान का सम्मान करता हूं. इस मामले में प्रो-माल्या हूं. क्या माल्या बहुत बड़े राजनीतिक विचारक थे? जिन-जिन लोगों ने उन्हें संसद में पहुंचाया वो सामने आकर बोले तों. वन सेंटेंस में!

जनता एनपीए विवाद में उसी तरह उल्लू बन रही है जैसे हिंदू-मुस्लिम डिबेट में बनती है

अगर यह राजनीतिक विवाद किसी भी तरह से आर्थिक अपराध का है तो दस लाख करोड़ रुपये लेकर फरार अपराधियों के नाम लिए जाने चाहिए. किसके राज मे लोन दिया गया यह विवाद है, किसे लोन दिया गया इसका नाम ही नहीं है.

भीमा-कोरेगांव हिंसा: सामाजिक कार्यकर्ताओं की नज़रबंदी की अवधि 17 सितंबर तक बढ़ी

भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के संबंध में माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को नज़रबंद किया गया है.

एनपीए को लेकर यूपीए और एनडीए की नीतियां और नीयत एक जैसी है

कुछ अमीर उद्योगपति और अमीर होते रहें, जनता हिंदू-मुस्लिम करती रहे, इसलिए कांग्रेस भी नहीं बताती है कि वह जब सत्ता में आएगी तो उसकी अलग आर्थिक नीति क्या होगी. भाजपा भी यह सब नहीं करती है जबकि वह सत्ता में है.

रघुराम राजन ने पीएमओ को दी थी एनपीए से जुड़े घोटालेबाज़ों की सूची, लेकिन नहीं हुई कार्रवाई

संसद की प्राक्कलन समिति को भेजे पत्र में आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने उन तरीक़ों के बारे में बताया है जिनके ज़रिये बेईमान बिज़नेस घरानों को सरकार और बैंकिंग व्यवस्था से घोटाला करने की खुली छूट मिली.

सरकार ने पिछले चार साल में तेल के ज़रिये आपका ‘तेल’ निकाल दिया है

यूपीए ने 2005-06 से 2013-14 के बीच जितना पेट्रोल-डीज़ल की एक्साइज़ ड्यूटी से नहीं वसूला उससे करीब तीन लाख करोड़ रुपये ज़्यादा उत्पाद शुल्क एनडीए ने चार साल में वसूला है.

पुलिस अकबर ख़ान की हत्या के आरोपियों को बचाती हुई क्यों दिखाई दे रही है?

अलवर मॉब लिंचिंग मामले में पुलिस की ओर से दाख़िल अधूरी चार्जशीट न सिर्फ जेल में बंद आरोपियों के लिए क़ानूनी तौर पर मुफ़ीद है, बल्कि इससे यह भी साफ़ होता है कि पुलिस का बाकी आरोपियों को पकड़ने का फ़िलहाल कोई इरादा नहीं है.

‘दलित’ के बजाय ‘अनुसूचित जाति’ का इस्तेमाल: ऐसे बेहिस तर्कों का हासिल क्या है?

आज की तारीख़ में ज़्यादातर दलितों को ख़ुद को ‘दलित’ कहलाने में किसी भी तरह के अपमान का बोध नहीं होता. इसके उलट यह शब्द उनकी एकता का प्रेरक बन गया है, लेकिन सरकार को वह उनके प्रति बेहद अपमानजनक लग रहा है.

सुमित्रा महाजन क्यों भूल जाती हैं कि वे लोकसभा अध्यक्ष भी हैं?

अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम को लेकर सुमित्रा महाजन निजी तौर पर कोई भी राय रखें, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष के रूप में उनका चॉकलेट संबंधी बयान कहीं से भी जायज़ और उनके पद की गरिमा के अनुरूप नहीं माना जा सकता.

राफेल सौदा इतना बड़ा घोटाला जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती: प्रशांत भूषण

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया, ‘बोफोर्स 64 करोड़ रुपये का घोटाला था जिसमें चार प्रतिशत कमीशन दिया गया था. राफेल घोटाले में कमीशन कम से कम 30 प्रतिशत है. अनिल अंबानी को दिए गए 21,000 करोड़ रुपये केवल कमीशन हैं.’

क्या सवर्ण आंदोलन ​के बाद पलटी हवा से मध्य प्रदेश में शिवराज का दम फूल रहा है?

एससी/एसटी एक्ट में हुए संशोधन का विरोध देश के कई हिस्सों में हो रहा है लेकिन चुनावी मुहाने पर खड़े मध्य प्रदेश में इसकी व्यापकता अधिक है. भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं को राज्य में जगह-जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

मध्य प्रदेश में अवैध खनन रोकने पर डिप्टी रेंजर को कुचलकर मार डाला, ट्रैक्टर चालक गिरफ़्तार

मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले का मामला. इससे पहले चंबल क्षेत्र में आईपीएस अधिकारी नरेंद्र सिंह, वन रक्षक नरेंद्र शर्मा, कॉन्स्टेबल धर्मेंद्र चौहान और पत्रकार संदीप शर्मा की हत्या में खनन माफियाओं का हाथ होने की बात सामने आई है.

क्या ‘मैं भी अर्बन नक्सल’ का नारा बुनियादी सवालों से दूर ले जा रहा है?

सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हालिया कार्रवाई के ख़िलाफ़ जो जनाक्रोश उभरा है उसमें ‘नक्सल’ शब्द और इसके पीछे के ठोस ऐतिहासिक संदर्भों को बार-बार सामने रखना ज़रूरी है ताकि यह शब्द महज़ एक आपराधिक प्रवृत्ति के तौर पर ही न देखा जाए बल्कि इसके पीछे मौजूद सरकारों की मंशा भी उजागर होती रहे.

‘आदर्श बहू’ बनाने वाले स्टार्ट-अप का ‘फ़र्ज़ीवाड़ा’ और मीडिया व आईआईटी बीएचयू की मेहरबानी

‘आदर्श बहू’ ट्रेनिंग की ख़बर आने के बाद आईआईटी बीएचयू ने स्टार्ट-अप ‘यंग स्किल्ड इंडिया’ से किसी भी तरह के संबंध होने से इनकार किया है लेकिन स्थानीय अख़बारों को खंगाले तो इसे ‘आईआईटी बीएचयू का स्टार्ट-अप’ बताने वाली तमाम ख़बरें लंबे समय से छपती रही हैं.

1 398 399 400 401 402 501