बॉलीवुड भले ही अवसरवादी और रीढ़विहीन नज़र आता हो लेकिन अलग-अलग नज़रिया रखने वाले इसके सदस्य अपने देश की मार्केटिंग और उससे पैसे बनाने के मामले में एक-दूसरे से कोई मतभेद रखते नहीं दिखते.
उर्दू वाला चश्मा की इस कड़ी में नूपुर शर्मा लोगों को स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया के एडिक्शन से बचने के तरीके बता रही हैं.
मृणाल सेन का सिनेमा कलात्मक और बौद्धिक संवेदना का नायाब संयोजन था. वह चाहते थे कि सिनेमा उपेक्षितों के पास और सुदूर देहातों में पहुंचे. उन्हें ‘नए सिनेमा’ से यह उम्मीद थी. उनकी फिल्म देखने के बाद बहुत देर तक उसकी छवियां बेताल की तरह सिर पर नाचती रहती हैं.
वीडियो: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की रिपोर्ट में सामने आया है कि देश में बीते 45 सालों में 2017-18 में सबसे अधिक बेरोज़गारी रही है. रोज़गार की स्थिति पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु का नज़रिया.
केंद्र सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया पर यूपीए सरकार द्वारा 2014 में लगाए गए प्रतिबंध को बढ़ाते हुए कहा कि यह संगठन सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ सकता है और इसकी गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं.
मुंबई के एक 11 वर्षीय बच्चे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि पबजी गेम हिंसा और साइबर बुलिंग को बढ़ावा देता है, इसलिए अदालत को इस पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देना चाहिए.
साक्षात्कार: बीते दिनों ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मानित साहित्यकार कृष्णा सोबती का निधन हो गया. उनके चर्चित उपन्यास ‘मित्रो मरजानी’ के पचास साल पूरे होने पर साल 2016 में उनसे हुई बातचीत.
सरोद वादक उस्ताद अमजद अली ख़ान ने कहा कि 21वीं सदी मानवता के लिए सबसे बुरा समय है. हर इंसान को दुनिया में शांति एवं सौहार्द्र कायम रखने का प्रयास करना चाहिए.
पुस्तक समीक्षा: अपनी किताब ‘नो नेशन फॉर वीमेन’ में प्रियंका दुबे इस बात की पड़ताल करती हैं कि कैसे भारत में महामारी की तरह फैले बलात्कार का कारण हवस कम, पितृसत्ता ज़्यादा है. कैसे औरत को ‘उसकी जगह’ दिखाने के लिए बलात्कार का सहारा लिया जाता है.
जयपुर साहित्य उत्सव में शामिल हुईं आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि एक सूचना कार्यकर्ता के लिए हालात चिंताजनक हैं क्योंकि किसी तरह की सूचना मांगने को राजद्रोह क़रार दिया जा सकता है.
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता मलयाली निर्देशक प्रियनंदन ने फेसबुक पर केरल स्थित सबरीमला मंदिर को लेकर एक फेसबुक पोस्ट लिखी थी. विवाद के बाद उन्होंने यह पोस्ट हटा दिया था.
क्या अगले आम चुनाव में मोदी सरकार या महागठबंधन में से कोई नेता या दल अपने चुनावी घोषणा-पत्र में यह वादा कर सकता है कि वो देश की आम जनता को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा देने की संवैधानिक जवाबदारी निभाने के लिए 2019 से देश के अरबपतियों और अमीरों पर उचित टैक्स लगाने का काम करेगा?
‘मित्रो मरजानी’ के बाद सोबती पर पाठक फ़िदा हो उठे थे. ये इसलिए नहीं हुआ कि वे साहित्य और देह के वर्जित प्रदेश की यात्रा पर निकल पड़ी थीं. ऐसा हुआ क्योंकि उनकी महिलाएं समाज में तो थीं, लेकिन उनका ज़िक्र करने से लोग डरते थे.
अमेरिकी पत्रकार व लेखक विंसेंट शीन की महात्मा गांधी से मुलाकात और गणतंत्र दिवस पर इतिहासकार सुधीर चंद्रा से प्रो. अपूर्वानंद की बातचीत.
गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि मीडिया में यौन उत्पीड़न पीड़ितों के नाम प्रकाशित नहीं किया जा सकता है. परिजनों की अनुमति के बाद भी ऐसा नहीं किया जा सकता है.