गोरक्षा के नाम पर क़ानून तोड़ने वालों पर सख़्त कार्रवाई करें राज्य: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा, गोरक्षा को कुछ असामाजिक तत्वों ने अराजकता फैलाने का माध्यम बना लिया है. देश की छवि पर भी इसका असर पड़ रहा है.

खुले बाजू वाले कपड़े पहनने के अधिकार के लिए अमेरिकी महिला सांसदों ने किया प्रदर्शन

सांसद लिंडा सांचेज ने महिला शौचालय नहीं होने का ज़िक्र करते हुए कहा, ये नियम बहुत पुराने समय के हैं. अगर हम परंपरा का पालन करते तो यहां महिला शौचालय भी नहीं होता.

सेकुलर भारत की याद दिलाती है अमर अकबर एंथनी

एक अलग भारत और उसके केंद्रीय मूल्यों को याद कराने के लिए फिल्म अमर अकबर एंथनी बुरा विचार नहीं है. यह आज के नौजवानों को यह बतलाएगा कि भारत हमेशा से वैसा नहीं था, जैसा कि आज है.

‘सेंसर बोर्ड कॉरपोरेट की फिल्म तुरंत पास करता है पर छोटे बजट की फिल्मों पर अंकुश लगाता है’

‘राजनीति की तरह ही फिल्म जगत में भी कुछ परिवारों का कब्ज़ा है. दादाजी फिल्म बनाते थे, उनके बेटे बनाते थे. हम जैसे बाहर से आए हुए लोगों को दिक्कत होती है.’

भारत विभाजन के पहले भी ऐसी ही भीड़-मानसिकता पैदा की गई थी

भीड़-मानसिकता को जब कोई सांप्रदायिक विचारधारा नियंत्रित करती है तो निश्चित रूप से नारे भले ही अखंड भारत के लगें, भीतर ही भीतर विभाजन की पूर्वपीठिका तैयार की जा रही होती है.

‘तृणमूल समर्थक अपनी बहू-बेटियों को बंगाल भेजकर देखें, 15 दिन में बलात्कार हो जाएगा’

रूपा गांगुली ने कहा, 'अगर बंगाल के बाहर के टीएमसी समर्थक अपनी बहू-बेटियों-बीवियों और मांओं को ममता बनर्जी का मेहमान बनाये बिना बंगाल भेज दें और 15 दिन में उनका बलात्कार न हो जाए, तब आकर मुझे बताना.'

गुरुदत्त एक अनसुलझा क्रॉसवर्ड है, जिसमें कोई न कोई शब्द पूरा होने से रह ही जाता है

जन्मदिन विशेष: गुरुदत्त फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा सूरज थे, जो बहुत कम वक़्त के लिए अपनी रौशनी लुटाकर बुझ गया पर सिल्वर स्क्रीन को कुछ यूं छू कर गया कि सब सुनहरा हो गया.

व्यवस्था ‘नत्था’ से किसानी छुड़ाकर मज़दूरी कराना चाहती है

‘पीपली लाइव’ किसान और मीडिया के चित्रण के जरिये भूमंडलीकरण की प्रक्रिया और उसके दुष्परिणामों की गहरी पड़ताल करता है. सिनेमा का व्यंग्यात्मक रुख राज्य और समाज के रवैये की भी पोल खोलता है.

द मिनिस्ट्री आॅफ अटमोस्ट हैपीनेस: प्रेम, हिंसा और भय का आख्यान

अरुंधति रॉय आज के भारत के सीमांत पर उपज रही कल्पनाओं, हसरतों, प्रतिरोधों और गरिमा से जीने की ललक को इस नये उपन्यास में उकेरने का प्रयास करती हैं.

महिला केंद्रित फिल्मों के लिए पैसा जुटाना अब भी मुश्किल: कोंकणा सेन शर्मा

अभिनेत्री और फिल्मकार कोंकणा सेन ने कहा, मुझे और कल्कि कोचलिन को एक फिल्म करनी थी लेकिन पैसे की कमी की वजह से यह रुक गई है. अगर हम पुरुष होते तो यह नहीं रुकी होती.

‘यदि चंद्रशेखर की सरकार छह माह तक बनी रहती तो बाबरी विवाद सुलझ जाता’

देश के पूर्व कृषि मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की भूमिका को याद किया है.

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