देखौ गुरु! ई बनारस है, मोदी हों या अखिलेश, इहां सबको मत्था टेकना पड़ता है…

ग्राउंड रिपोर्ट: होली के पहले बनारस में चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है और यहां का माहौल देखकर लगता है कि इस बार की होली कुछ ज़्यादा ही लाजवाब होने वाली है.

गुरमेहर! गांधीजी ने कहा था, ‘डरो मत’

शहीद की बेटी के नाम एक ख़त: ‘अभय व्यक्ति राष्ट्र की सबसे बड़ी निधि है और उसका अभिप्राय केवल शारीरिक साहस से ही नहीं, बल्कि मानसिक निर्भयता से भी है.’

मुआवज़ा समाधान नहीं, किसानों की आत्महत्या रोके सरकार: सुप्रीम कोर्ट

गुजरात के किसानों की दुर्दशा से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि आत्महत्या के पीछे के कारणों पर ग़ौर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

कॉरपोरेट इंडिया के हाशिये पर दलित स्त्रियां

गुज़रते वक़्त के साथ भले ही कंपनियों के भीतर ‘स्त्रीवाद’ के प्रति जागरूकता बढ़ती नज़र आ रही है, लेकिन कुल मिलाकर कॉरपोरेट सेक्टर जाति की हक़ीक़त और कार्यस्थल पर पड़ने वाले इसके प्रभावों से मुंह चुराता दिखता है.

मिड डे मील चाहिए तो आधार कार्ड दिखाइए

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी फरमान के अनुसार, स्कूली बच्चों के अलावा मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों और सहायकों के पास भी आधार कार्ड होना ज़रूरी है.

‘ऐ बाबू! लिख देना कि बुनकर बर्बाद हो चुके हैं’

बनारस और आसपास के ज़िलों के बुनकरों की गाहे-ब-गाहे चर्चा भी हो जाती है, लेकिन गोरखपुर, खलीलाबाद क्षेत्र के बुनकरों पर तो अब चर्चा भी नहीं होती. ऐसा उद्योग जिसमें लाखों लोगों को रोज़गार मिलता था, अब लगभग ख़त्म होने को है.

मथुरा के जवाहर बाग़ कांड की सीबीआई जांच के आदेश

बीते साल मथुरा के जवाहर बाग पार्क में अवैध रूप से डेरा डाले लोगों से पार्क की ज़मीन खाली कराने के दौरान हुई झड़प में दो पुलिस अधिकारियों सहित 20 से अधिक लोग मारे गए थे. ये अतिक्रमणकारी यहां रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में डेरा जमाए हुए थे.

बलात्कार पीड़ितों को मुआवजा देना सरकार का दायित्व है, परोपकार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़ितों को लेकर महाराष्ट्र सरकार के रवैये को ‘निष्ठुर’ करार देते हुए कहा कि ऐसे लोग याचक नहीं हैं और महिला पीड़ितों को मुआवजा देना सरकार का दायित्व है, परोपकार नहीं.

‘जन की बात’: नस्लीय हमले में भारतीय की मौत और शोभा डे का ट्वीट, एपिसोड 10

‘जन की बात’ की 10वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ अमेरिका के कंसास में हुए नस्लीय हमले के दौरान एक भारतीय की मौत और एक पुलिस वाले पर शोभा डे के ट्वीट की चर्चा कर रहे हैं.

जिनके पास सत्ता है वो ‘बात के बदले लात’ की संस्कृति चलाना चाहते हैं

कश्मीर में लोकतंत्र कमज़ोर है इसलिए अफ़ज़ल गुरु को शहीद बताने वालों के साथ सरकार चला कर उसे मजबूत करना है और दिल्ली में लोकतंत्र बहुत मजबूत है इसलिए सेमिनार में गुंडागर्दी कर के इसे कमज़ोर करना है.

ग्राउंड रिपोर्ट: मगहर में मरने वाले नरक नहीं जाते

बढ़ती धार्मिक कुरीति और कट्टरता के दौर में भी कबीर होते तो यही कहते कि ‘मोको कहां ढूढ़ें बंदे, मैं तो तेरे पास में. न मैं देवल, न मैं मस्जिद, न काबे कैलास में...'

फिल्मकारों के प्रति सरकार का रवैया विनाशकारी है: अदूर गोपालकृष्णन

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता ने कहा, मैंने उन सरकारी अधिकारियों के चेहरे पर आनंद देखा है जो जानते हैं कि वे हमारे रचनात्मक कार्यों को बर्बाद कर रहे हैं.