फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: जैसे बीमार को बेवजह क़रार आ जाए…

फ़ैज़ ऐसे शायर हैं जो सीमाओं का अतिक्रमण करके न सिर्फ़ भारत-पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया के काव्य-प्रेमियों को जोड़ते हैं. वे प्रेम, इंसानियत, संघर्ष, पीड़ा और क्रांति को एक सूत्र में पिरोने वाले अनूठे शायर हैं.

दर्शक कृपया ध्यान दें! एनएसडी के कर्ता-धर्ता पर्दे के पीछे दूसरे ही नाटक में लगे हैं

जिस भारंगम को अंतर्राष्ट्रीय नाट्य समारोह के रूप में पेश किया जाता है , उसका इस्तेमाल नाट्य विद्यालय के पदाधिकारी निजी फायदे के लिए कर रहे हैं.

एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने से रुके शिक्षा और मानवाधिकार के काम

विदेशी मुद्रा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत एनजीओ को मिलने वाले विदेशी चंदे पर लगने के बाद सामाजिक मुद्दों और मानवाधिकार से जुड़े काम प्रभावित हुए हैं.

भोजपुरी फिल्म फेस्टिवल : अपने ही जाल में उलझा भोजपुरी सिनेमा

बदलते दौर के भौतिक चमक-दमक को तो भोजपुरी सिनेमा खूब दिखाता है, पर सामाजिक -सांस्कृतिक मूल्यों की जड़ता से नहीं भिड़ता. वह एक बड़े विभ्रम का शिकार है.

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