दिल्ली स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने नए शैक्षणिक सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों को दिए दिशानिर्देशों में यह भी कहा है कि वे यह घोषित करें कि वे किसी मनोरोग या मनोवैज्ञानिक विकार से पीड़ित नहीं हैं.
केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 और 2023 के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों में आत्महत्या करने वाले इन 98 छात्रों में से सबसे ज्यादा 39 आईआईटी से, 25 एनआईटी से और 25 केंद्रीय विश्वविद्यालयों से, चार आईआईएम से, तीन आईआईएसईआर से और दो आईआईआईटी से थे.
शिक्षा मंत्रालय ने संसद में बताया कि 2019 और 2023 के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों में लगभग आधे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों से संबंधित थे.
घाटी के प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में से एक कश्मीर विश्वविद्यालय ने इसके एमए अंग्रेज़ी पाठ्यक्रम से आगा शाहिद अली की तीन कविताओं और लेखक-पत्रकार बशारत पीर के एक संस्मरण को हटा दिया है. वहीं, क्लस्टर यूनिवर्सिटी श्रीनगर ने भी अली की दो कविताओं को कोर्स से बाहर किया है.
गोरखपुर विश्वविद्यालय में एबीवीपी से जुड़े छात्र फीस वृद्धि समेत मुद्दों पर चार दिन से प्रदर्शन कर रहे थे. आरोप है कि शुक्रवार को उन्होंने कुलसचिव प्रोफेसर अजय सिंह को गिराकर मारा और कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह के साथ बदसलूकी की. उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे पुलिसकर्मियों के साथ भी मारपीट की गई.
कुकी छात्र संगठन ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मणिपुर विश्वविद्यालय और धनमंजुरी विश्वविद्यालय में नामांकित उनके समुदाय के छात्रों और शोधार्थियों को अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. कहा गया है कि उनके विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक जनजातीय समूहों के ख़िलाफ़ बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय द्वारा की जाने वाली नफ़रत और हिंसा का केंद्र बन गए हैं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने वैश्विक आतंकवादी समूह आईएसआईएस का सदस्य होने के आरोप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के एक 19 वर्षीय छात्र को गिरफ़्तार किया है. छात्र झारखंड के लोहरदगा ज़िले का रहने वाला है.
आईआईटी मद्रास, पूर्वी अफ्रीका के देश तंज़ानिया के ज़ंजीबार में अपना अंतरराष्ट्रीय परिसर शुरू करने जा रहा है, जिसकी प्रभारी निदेशक प्रीति अघलायम बनाई गई हैं. 1951 में खड़गपुर में पहले आईआईटी की स्थापना के सात दशकों बाद किसी महिला को पहली बार इस प्रतिष्ठित संस्थान का प्रमुख नियुक्ति किया गया है.
अक्टूबर 2021 में शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों/स्वायत्त संस्थानों को ज्ञापन भेजकर मौजूदा शिक्षण सामग्री को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करने का निर्देश दिया था. आईआईएम बैंगलोर, काशीपुर और उदयपुर ने जवाब दिया कि यह आदेश उन पर लागू नहीं होता, बाकि 17 आईआईएम ने कोई जवाब नहीं दिया है.
बीते 11 जुलाई को एक स्नातक छात्र की मौत के एक दिन बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों समेत लोगों के एक समूह ने समय पर इलाज न मिलने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. आरोप है कि इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंके और महिलाओं समेत शिक्षकों पर लोहे की छड़ से हमला किया. कुछ शिक्षकों ने उनसे नकदी और आभूषण छीनने का भी आरोप लगाया.
घटना धनबाद ज़िले की है, जहां तेतुलमारी स्थित सेंट ज़ेवियर्स स्कूल की दसवीं की छात्रा को स्कूल में बिंदी लगाने पर एक शिक्षक द्वारा कथित तौर पर थप्पड़ मारा गया था. बताया गया है कि छात्रा के सुसाइड नोट में शिक्षक और स्कूल प्रिंसिपल को ज़िम्मेदार बताया गया है.
दिल्ली स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने बीते जून महीने में अपने चार फैकल्टी सदस्यों को निलंबित कर दिया था. इन पर विश्वविद्यालय के ‘हितों के ख़िलाफ़ छात्रों को भड़काने’ का आरोप लगाया गया है. यह कार्रवाई स्नातकोत्तर छात्रों के लिए मासिक वज़ीफ़े में कटौती के विरोध में पिछले साल छात्रों के कई महीने चले विरोध प्रदर्शन के बाद की गई है.
राजद्रोह का मामला रद्द करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि बच्चों को सरकार की नीतियों की आलोचना करना न सिखाएं. मामला कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन स्कूल से जुड़ा है. साल 2020 में यहां के छात्रों द्वारा सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ एक नाटक का मंचन करने पर विवाद हो गया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बीते मई महीने में लगभग 32,000 उम्मीदवारों की नियुक्तियां रद्द कर दी थीं, जिन्होंने 2016 में चयन प्रक्रिया के माध्यम से प्राथमिक शिक्षक के रूप में भर्ती के समय अपना प्रशिक्षण पूरा नहीं किया था. साथ ही राज्य को पदों को भरने के लिए नई भर्ती शुरू करने का भी निर्देश दिया था.
केंद्र सरकार के लिए उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालय आज प्रयोगशाला में बदल चुका है, जहां मनमाने निर्णय लिए जा रहे हैं, जिन्हें जल्दबाज़ी में और बिना किसी गहन विचार-विमर्श के लागू किया जा रहा है.