माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, पिछले तीन साल में देश में अमीर और ग़रीब के बीच आर्थिक असमानता तेज़ी से बढ़ी है.
केंद्र सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, भारत में जम्हूरियत भी तभी तक है और लोकतंत्र तभी तक सुरक्षित है जब तक बहुसंख्यकों की आबादी है.
कोर्ट ने कहा, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था केंद्र के दायरे में आती है और दिल्ली विधानसभा इन विषयों के बारे में कानून नहीं बना सकती है.
माहौल का असर है या कुछ और कि श्री श्री रविशंकर को अयोध्या में कोई भी गंभीरता से नहीें ले रहा. लेकिन श्री श्री का सौभाग्य कि वे मीडिया की भरपूर सुर्ख़ियां बटोर रहे हैं.
झारखंड में कथित तौर पर भुखमरी से हो रही मौतों ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के कार्यान्वयन की गंभीर त्रुटियों के चलते लोगों के जीने के अधिकार के हनन को उजागर किया है.
जन गण मन की बात की 151वीं कड़ी में विनोद दुआ देश में शौचालय व स्वच्छता की स्थिति और राफेल विमान सौदे पर चर्चा कर रहे हैं.
निर्मोही अखाड़े के महंत सीताराम दास ने आरोप लगाया है कि वसूले गए पैसों से चुनाव जीता गया और नेताओं ने राम मंदिर के नाम पर वोट और नोट दोनों कमाए.
गुजरात चुनाव राउंड अप: जिग्नेश मेवाणी ने कहा, किसी भी पार्टी के साथ मंच साझा नहीं करूंगा, गुजरात में अभियान चलाएगा भाजपा किसान मोर्चा.
महाराष्ट्र में गन्ना आंदोलन हिंसक हुआ, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में तीन किसानों ने की खुदकुशी, नीमच में उपज का दाम कम मिला तो किसान ने उपज को आग लगाई.
राहुल ने मीडिया से कहा, आप प्रधानमंत्री से सवाल क्यों नहीं पूछते जिन्होंने एक व्यवसायी की मदद के लिए पूरे राफेल सौदे को ही बदल दिया.
केरल सरकार ने राज्य के पांच देवाश्म बोर्डों में होने वाली नियुक्तियों में अगड़े समुदायों में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को आरक्षण देने का फैसला किया है.
कांग्रेस ने आर्थिक बदहाली पर पीएम से मांगा जवाब, कहा- निर्यात तीन साल के निचले स्तर पर, जबकि मुद्रास्फीति छह माह के उच्चतम स्तर पर है.
महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने कहा, 'युवा पीढ़ी ख़ुद तय करे कि एक हत्यारे को नायक बनाना है या सबको समानता और अधिकार देने वाले महापुरुषों को.'
गुजरात चुनाव राउंड अप: चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापन में ‘पप्पू’ शब्द के इस्तेमाल पर लगाई रोक. यशवंत सिन्हा ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा तुगलक ने भी की थी नोटबंदी.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार से अलग राज्य बनने के बाद लगा था कि झारखंड आर्थिक समृ़द्धि की नई परिभाषाएं गढ़ेगा लेकिन 17 साल बाद भी राज्य से कथित भूख से मरने जैसी ख़बरें ही सुर्खियां बन रही हैं.