केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उनसे सवाल किया गया था कि क्या एम्स, आईआईटी और एनआईटी की तर्ज पर भारतीय विज्ञान संस्थान को भी अधिक से अधिक स्थानों पर स्थापित करने की कोई योजना है?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश के 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मिले कोविड-19 के 10,787 संक्रमित नमूनों में से 771 मामले चिंताजनक स्वरूप ‘वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न’ (वीओसी) के मिले हैं. इसके अलावा दोहरे उत्परिवर्तन (डबल म्यूटेंट) वाला स्वरूप भी मिला है. हालांकि अब तक यह स्थापित नहीं हो पाया है कि मामलों में फ़िर से वृद्धि के लिए ये स्वरूप ज़िम्मेदार हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविशील्ड टीके की दूसरी खुराक लेने के समय अंतराल को संशोधित कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसे 4-6 सप्ताह के बीच देने की बजाय 4-8 सप्ताह के बीच देने के लिए कहा. दो खुराक के बीच संशोधित समय अंतराल का यह फैसला केवल कोविशिल्ड टीके पर लागू होगा और कोवैक्सीन टीके पर नहीं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी करने की अनुमति देने वाले नियमों को ख़ारिज करने का अनुरोध किया है. भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद शिक्षा) नियमन, 2016 में संशोधन कर आयुर्वेदिक पढ़ाई में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने का प्रावधान किया गया है.
राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय के बजट में 35 फीसदी की कटौती की गई. इसके साथ ही पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बजटीय आवंटन में 770 करोड़ रुपये या 37 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.
केंद्रीय आयुष मंत्री नाईक ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह ही शिक्षित हैं और उन्हें सर्जरी करने का भी प्रशिक्षण प्राप्त है. आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कुछ तरह के ऑपरेशन करने की अनुमति देने के केंद्र के फैसले का एलोपैथिक डॉक्टरों का एक तबका विरोध कर रहा है और इसे ‘मिक्सोपैथी’ या खिचड़ीकरण क़रार दिया है.
सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों से किसी भी तरह के ऑनलाइन एवं वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन करने के लिए संबंधित प्रशासनिक सचिव से मंज़ूरी लेने को कहा गया है. द इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेस और द इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस की ओर से कहा गया है कि नए नियमों से युवा पीढ़ी के लिए शैक्षिक अवसरों की वृद्धि और विज्ञान में रुचि बाधित होगी.
कोवैक्सीन को लेकर जानकारियों/आंकड़ों पर गोपनीयता का पर्दा पड़ा हुआ है और हम एक ऐसी मुश्किल स्थिति में हैं, जिसमें कम से कम कुछ लोगों के पास वैक्सीन लेने के अलावा शायद और कोई विकल्प नहीं है, भले ही उनके मन में अपनी सलामती को लेकर कितना ही संदेह क्यों न हो.
कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ने टीका लेने वालों को वैक्सीन के जोखिम और फायदों से अवगत कराने के लिए एक फैक्टशीट जारी की है. इससे पहले कोवैक्सीन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने भी इसी तरह की फैक्टशीट जारी की थी.
कोराना वायरस के ख़िलाफ़ 16 जनवरी को टीकाकरण अभियान की शुरुआत के बाद भारत बायोटेक ने इस संबंध में एक फैक्ट शीट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि किन्हें ये वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. कंपनी के इस क़दम पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है.
बीते दिनों भारत के औषध महानियंत्रक यानी डीसीजीआई ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके कोविशील्ड और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके कोवैक्सीन के देश में सीमित आपात इस्तेमाल को मंज़ूरी दी है. हालांकि इनको लेकर उठे सवाल अब भी अनुत्तरित हैं.
कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी संख्या क़रीब तीन करोड़ है. इसके बाद 50 साल की उम्र से अधिक और 50 साल से कम उम्र के वे समूह, जिनकी कोई कोमॉर्बिड अवस्था है, को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी संख्या क़रीब 27 करोड़ है.
दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ‘कोविशील्ड’ के उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है. भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर ‘कोवैक्सीन’ का विकास किया है. केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन की कोविड-19 संबंधी विषय विशेषज्ञ समिति की अनुशंसा के आधार पर भारत के औषध महानियंत्रक ने यह मंज़ूरी दी है.
कैसे कोई देश एक 'साइंस सुपरपावर' हो सकता या ऐसा होने की इच्छा भी रख सकता है, अगर इसका राजनीतिक नेतृत्व पूरी तरह से और शायद जानबूझकर, यह न समझता हो कि विज्ञान किस शय का नाम है.
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया है कि कोविड-19 से उबर रहे कई लोगों में ऐसा दुर्लभ और जानलेवा फंगल इंफेक्शन पाया जा रहा है, जिससे लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है. बीते 15 दिन में ऐसे 12 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.