रचनाकार का समय: ‘एक साथ कई काल दर्ज होते हैं’

किसी के पास भी इतना समय नहीं है कि वह पत्तों को पूरी तरह से झरते देख सके. जो झरते हुए को नहीं देख सकता, वह उगते हुए को भी नहीं देख सकता. 'रचनाकार का समय' स्तंभ की चौथी क़िस्त.

गगन गिल को साहित्य अकादेमी सम्मान: शोर भरे समय में चुप्पी का प्रतिरोध रचती कविता

गगन गिल की कविताओं की संवेदना इतनी अंतर्मुखी है कि मितकथन में ही व्यक्त हो सकती है, इतनी तरल कि विस्मृति में ही सुरक्षित बस सकती है और इतनी सघन कि आत्मा को छूने की विकलता के बीच प्रेम कर सकती है और फिर भी विहंसते हुए कह सकती है कि ऐसे प्रेम से खुदा ही बचाए.

एक देश एक चुनाव? आयोग तो लोकसभा चुनाव के अंतिम आंकड़े अभी तक नहीं दे पाया

जब चुनाव आयोग से हालिया लोकसभा चुनावों में हुए मतदान के अंतिम आकंड़े मांगे गए, आयोग ने कहा उसके पास अभी तक यह संख्या उपलब्ध नहीं है, इन 'आंकड़ों की जांच और सत्यापन' की प्रक्रिया चल रही है, उसके बाद ही 'सही और अंतिम आंकड़े' दिए जाएंगे. यह देरी तमाम प्रश्नों को जन्म देती है.

यूपी: महाकुंभ को कैसे कवर करें पत्रकार? योगी सरकार ने ख़बरें लिखने के लिए 70 विषय सुझाए

मीडिया कवरेज के लिए अंग्रेजी और हिंदी में छपे यूपी सरकार के एक ब्रोशर में पत्रकारों और संपादकों को बताया गया है कि महाकुंभ 2025 को कैसे कवर किया जाए, उन्हें किस तरह की स्टोरी करनी चाहिए और इसके लिए वे किससे बातचीत करें व किसका साक्षात्कार लें.

आस्था अनुष्ठान में बदल रही है; धर्म का अज्ञान तेज़ी से बढ़ रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल में साहित्य का धर्मों से संवाद लगभग समाप्त हो गया है. इस विसंवादिता ने साहित्य को उस बड़े सामाजिक यथार्थ से विमुख कर दिया जो अपने विकराल राजनीतिक विद्रूप में, बेहद हिंसक और क्रूर ढंग से हमें आक्रांत कर रहा है.

उपासना स्थल अधिनियम पर संसद में हुई बहस दे सकती है नई दिशा

जब तीन दशक पहले यह उपासना स्थल विधेयक संसद में पेश किया गया था, भाजपा ने इसे 'सबसे काला' विधेयक बताया था. उनका दावा था कि यह 'मुगल और ब्रिटिश शासन के दौरान हिंदू मंदिरों पर किए गए सभी अतिक्रमणों को वैध बनाने' का प्रयास करता है. जबकि ग़ैर-भाजपा सांसदों ने इसका समर्थन करते हुए इसे धर्मनिरपेक्षता और सौहार्द्र की रक्षा के लिए अनिवार्य कदम बताया था.

समाज पर गहराता संकट: हिंसक दावों और क़ानूनी फ़ैसलों के बीच फंसी मस्जिदें

जब तक भारतीय अदालतों को उपासना स्थल अधिनियम, 1991 की भावना का उल्लंघन करने की अनुमति दी जाती रहेगी, तब तक इतिहास के घावों को कुरेदा जाता रहेगा, सद्भाव बिगड़ता रहेगा और खून-खराबा होता रहेगा. हर्ष मंदर के निबंध की पहली क़िस्त.

पहले कपास, फिर बीटी कॉटन: ओडिशा के आदिवासी किसान की स्याह दास्तान

ओडिशा के आदिवासी इलाकों में कपास और उसके बाद हुई बीटी कॉटन की खेती ने बेहिसाब त्रासदी को जन्म दिया है. इसने जमीन को किसी अन्य फसल के लायक नहीं छोड़ा, और छिड़के गए कीटनाशकों ने स्थानीय लोगों के बीच कैंसर को जन्म दे दिया. युवा शोधार्थी शुभम सिंह की ज़मीनी रिपोर्ट जो संस्मरण और पत्रकारिता की संधि पर दर्ज होती है.

संभल-अजमेर के साथ ही देश की कई मस्जिदों में मंदिर होने के दावे

अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का विवाद कई दशकों बाद शीर्ष अदालत के फैसले से ख़त्म तो हो गया, लेकिन इसके बाद हिंदू पक्ष ने अनेक मस्जिदों में मंदिर की तलाश शुरू कर दी है. यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन ही नहीं, उनका तिरस्कार भी है.

मानवाधिकार दिवस: दो साल से सलाखों के पीछे क़ैद पत्रकार रूपेश, उच्च शिक्षा बनी सहारा

जुलाई 2022 से जेल में बंद रूपेश कुमार सिंह की जीवनसाथी उनके कारावास के अनुभव दर्ज कर रही हैं, साथ ही बता रही हैं कि बिहार की जेलों में क़ैदियों के साथ कितना अमानवीय बर्ताव होता है. लेकिन रूपेश की जिजीविषा बरक़रार है.

कोलकाता डॉक्टर रेप-हत्या: घटना के चार महीने बाद पीड़ित परिजनों ने कहा- अमित शाह हमसे नहीं मिले

कोलकाता के सरकारी अस्पताल आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले को चार महीने हो गए हैं. इस घटना के बाद पूरे बंगाल में अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था. मृतका के माता-पिता से द वायर की बातचीत.

कलाकार जो करता है उस पर यक़ीन करो, बजाय उसके जो वो अपनी कला के बारे में कहे

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: ब्रिटिश चित्रकार डेविड हाकनी का कथन है कि कलाकार काफ़ी पकी उमर तक जी सकते हैं क्‍योंकि वे अपने शरीर के बारे में ज़्यादा नहीं सोचते. हाथ, हृदय और आंख कंप्यूटर से अधिक जटिल हैं.

पुस्तक अंश: हिंदू धर्म एकीकृत संप्रदाय नहीं, भिन्न पंथों का समूह है

पुस्तक अंश: हिंदू धर्म विभिन्न विचारों को आत्मसात करता आया है. कई मान्यताएं और प्रथाएं अपने प्राचीन रूप में हैं और उनके स्रोतों का पता लगाना कठिन है. धर्म का यह स्वरूप पूजा के विधि-विधानों के बजाय दार्शनिक स्तर पर अधिक पाया जा सकता है. असहमति की अधिकांश परंपराएं विविधता को पोषित करती रही हैं.

पुण्यतिथि: आधुनिक भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में आंबेडकर का योगदान

बहुत कम लोगों को मालूम है कि आंबेडकर की अर्थशास्त्र पर भी गहरी पकड़ थी. लंदन स्‍कूल ऑफ इको‍नोमिक्‍स से उनकी थीसिस भारतीय आर्थिक इतिहास और मुद्रा नीति को समझने में मदद करती है. इस पुस्‍तक ने स्‍वतंत्र भारत की वित्तीय नींव तैयार करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

इस घुप्प अंधेरे में नागरिकों के विवेक को संबोधित करने वाले लोग कहां हैं?

इस समय संविधान की सबसे बड़ी सेवा सत्ताधीशों के स्वार्थी मंसूबों की पूर्ति के उपकरण बनने से इनकार करना है. समझना है कि संविधान के मूल्यों को बचाने की लड़ाई सिर्फ न्यायालयों में या उनकी शक्ति से नहीं लड़ी जाती. नागरिकों के विवेक और उसकी शक्ति से भी लड़ी जाती है.

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