हिंदी और उर्दू को लेकर शुरू हुए विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता डॉ. सुधांशु बाजपेयी लिखते हैं कि आज भी जो लोग हिंदी-उर्दू विवाद को बढ़ाने में लगे हैं वो अंग्रेजों की सांप्रदायिक विरासत ‘फूट डालो और राज करो’ को ही आगे बढ़ा रहे हैं.
सीपीसीबी द्वारा एनजीटी को सौंपी गई एक रिपोर्ट बताती है कि में गंगा नदी का जल इतना दूषित हो गया है कि ये अब डुबकी लगाने योग्य बचा ही नहीं है. इसका खंडन करते हुए योगी आदित्यनाथ का बयान तथ्यों की रौशनी में सही नहीं ठहरते.
पिछले सालों में जोर-शोर से प्रचार किया जाता रहा है कि राम मंदिर निर्माण के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या आएंगे तो न सिर्फ उसके निवासियों की आय बढ़ेगी, बल्कि उनका चतुर्दिक विकास होगा. लेकिन अब 'खूब' श्रद्धालु आ रहे हैं तो जहां पुलिस व प्रशासन अयोध्या निवासियों की चिंता छोड़ श्रद्धालुओं को ही संभालने में थके जा रहे हैं, निवासियों की आय कम और दुश्वारियां ज्यादा बढ़ती दिख रही हैं.
लंबे समय से कैदियों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले रोना विल्सन महाराष्ट्र की दो केंद्रीय जेलों- यरवदा और तलोजा में अपने साढ़े छह साल के अनुभवों के बाद मानते हैं कि भारतीय समाज ने औपनिवेशिक काल से पहले और उसके बाद केवल जन्म के आधार पर अलग 'अपराधी श्रेणी' बनाई गई है.
हमने अपने देश पर पिछले कई दशकों से शोषण व गैरबराबरी पर आधारित जो सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था लाद रखी है, उसके विषफलों की निरंतर बढ़ती पैदावार के बीच यह सवाल भी छोटा नहीं रह गया है कि सरकारों को नागरिकों के किन वर्गों की समस्याओं को ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए, किनकी समस्याओं को कम? और क्या वे जिनको ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए, दे रही हैं?
जयंती विशेष: 1857 में लड़े गए देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के अलबेले नायक तात्या टोपे की याद इस मायने में बहुत जरूरी है कि वे उस संग्राम के अकेले ऐसे योद्धा थे, जिसने अपनी सुविधानुसार उसमें कोई एक भूमिका चुन लेने के बजाय वक्त की नजाकत के मुताबिक जब जैसी जरूरत हुई, तब तैसी भूमिका निभाई.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: दिल्ली के एक संग्रहालय में कलाकार गुलाम मोहम्मद शेख़ की प्रदर्शनी के लिए राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली और भारत भवन, भोपाल ने उनकी कलाकृतियां नहीं दीं. इन दोनों ही ने रज़ा की शती पर कुछ भी करने से इनकार किया था.
‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ की नीतिविहीनता और चतुर सांप्रदायिकता का प्रदर्शन ‘आप’ ने पिछले 11 सालों में बार-बार किया. हर बार कहा गया कि वह अपने आदर्श से विचलित हो रही है. लेकिन वह आदर्श क्या था, यह आज तक किसी ने न बताया. फिर हम किस आदर्शवादी राजनीति से धोखे का रोना रो रहे हैं?
कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने नवंबर 2024 में मणिपुर में एन. बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. बीरेन के इस्तीफ़े के बाद वह फिर से भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गई है. पार्टी प्रमुख शेख नूरुल हसन का कहना है कि उनका विरोध केवल बीरेन सिंह से है.
महाकुंभ के चलते इलाहाबाद शहर में लग रहे जाम से स्थानीय व्यापारियों से लेकर छात्र, शिक्षक, श्रमिक, हॉकर सभी परेशान हैं. जहां छात्र और शिक्षक पढ़ाई का कोई रूटीन न बन पाने से चिंतित हैं, वहीं काम पर निकले लोगों का आधा समय जाम से निपटने में निकल रहा है.
डाॅ. ज़ाकिर हुसैन के व्यक्तित्व की सबसे उल्लेखनीय बात यह थी कि उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की एकता, सामाजिक न्याय और सभी के लिए शिक्षा जैसे उद्देश्यों के लिए समर्पित किए रखा- इस मान्यता के साथ कि शिक्षा समाज को बदलने का सबसे शक्तिशाली हथियार है.
जो लोग कांग्रेस को मिले वोट और कई सीटों पर हार-जीत का अंतर दिखा कर बता रहे हैं कि कांग्रेस की वजह से आप हारी, वे आधा सच देख और बता रहे हैं. पूरा सच यह है कि आप अपनी वजह से हारी, वरना बीते दो चुनावों में उसे न कांग्रेस की दया की ज़रूरत पड़ी थी और न ही डबल इंजन सरकार के प्रचार से फ़र्क पड़ा था.
सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रियों ने मिल्कीपुर की कितनी यात्राएं कीं, वहां जाकर कितना जोर लगाया या प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से कितना साम दाम दंड और भेद बरता, इस सवाल को भूल ही जाइए. योगी के राज में उत्तर प्रदेश में यह सब इस तरह एक 'समृद्ध' परंपरा में बदल चुका है कि योगी सरकार किसी भी रूप में लजाने से परहेज बरतती है.
वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य दालमंडी बाजार में सड़क चौड़ीकरण के प्रस्ताव से तनाव गहराया है. दस मस्जिदें और लगभग 10,000 दुकानें इस प्रक्रिया की जद में आ सकती हैं. व्यापारी इसे राजनीतिक चाल मान रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यह विस्तार आवश्यक है.
एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार लोगों में से एक सुधीर धवले 2,424 दिनों की कैद के बाद रिहा होने वाले नौवें व्यक्ति हैं. पिछले डेढ़ दशक में कांग्रेस-भाजपा, दोनों सरकारों में 10 साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद धवले कहते हैं कि दोनों के शासन में बहुत अंतर नहीं है. दोनों ने हर तरह की असहमति को बहुत हिंसक तरीके से दबाया है.