घटना बिहार के भोजपुर ज़िले के आरा की है. मुसहर समुदाय से आने वाले आठ वर्षीय राकेश की मौत 26 मार्च को हो गई थी. उनकी मां का कहना है कि लॉकडाउन के चलते उनके पति का मजदूरी का काम बंद था, जिसके चलते 24 मार्च के बाद उनके घर खाना नहीं बना था.
उत्तर प्रदेश के 36 हज़ार रोज़गार सेवकों को 18 महीनों का मानदेय नहीं मिला है, जो क़रीब 170 करोड़ रुपये होता है. बावजूद इसके उन्हें गांवों में आए प्रवासी कामगारों की पहचान के काम में लगाया गया है. संक्रमण के जोख़िम के बीच न तो उन्हें मास्क और दस्ताने दिए गए हैं, न ही उनका बीमा कराया गया है.
बीते 28 मार्च को स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन सरकारी कंपनी एचएलएल लाइफकेयर ने दक्षिण पश्चिम रेलवे के मुख्य मेडिकल निदेशक को भेजे एक ईमेल में कहा कि लॉकडाउन के चलते सुरक्षा उपकरण पहुंचने में 25 से 30 दिन का समय लग सकता है.
कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र हुए लॉकडाउन के बाद दस मज़दूर हरियाणा के बल्लभगढ़ से उत्तर प्रदेश के देवरिया में अपने घर पहुंचे हैं. 800 किलोमीटर की यह यात्रा उन्होंने तीन दिनों में पैदल, ट्रक, ऑटो और सरकारी बस की मदद से पूरी की.
कोरोना वायरस से निपटने में आर्थिक मदद देने के लिए केंद्र ने ‘पीएम केयर्स फंड’ की घोषणा की है. हालांकि इसके जैसा ही पहले से मौजूद प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में प्राप्त राशि का काफ़ी कम हिस्सा ख़र्च किया जा रहा है और 2019 के आख़िर तक में इसमें 3800 करोड़ रुपये का फंड बचा था.
बीते एक साल से ज़्यादा समय से मुश्किल में चल रहे पूर्वांचल के अंडा उत्पादकों और मुर्गी पालकों के लिए कोरोना के मद्देनज़र हुआ लॉकडाउन संकट बनकर उभरा है. कोरोना संक्रमण के डर से जहां मुर्गों की मांग घटी, वहीं लॉकडाउन के चलते अंडा उत्पादकों को ख़रीददार नहीं मिल रहे हैं.
वीडियो: कोरोना वायरस के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले दिहाड़ी मज़दूर अपने-अपने घर जाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गईं बसों में जगह पाने के लिए देर रात भटकते रहे. गाजियाबाद के कौशाम्बी बस अड्डे पर मज़दूरों से विशाल जायसवाल की बातचीत.
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन को 21 दिन के बाद भी बढ़ाए जाने की खबरों पर कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने यह टिप्पणी की.
संक्रामक रोगों का सभी पर एक गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, उन पर भी जो वायरस से प्रभावित नहीं हैं. इन बीमारियों को लेकर हमारी प्रतिक्रिया मेडिकल ज्ञान पर आधारित न होकर हमारी सामाजिक समझ से भी संचालित होती है.
राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने उनसे सुनिश्चित करने को कहा कि शहरों में या राजमार्गों पर आवाजाही नहीं हो क्योंकि लॉकडाउन जारी है.
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने शव ले जाने के लिए पीड़िता के परिवार से कथित तौर पर 3,000 रुपये मांगें, जिसके बाद परिवार को चार किलोमीटर तक शव को कंधों पर उठाकर ले जाना पड़ा.
एक ट्वीट करके आम आदमी पार्टी विधायक राघव चड्ढा ने आरोप लगाया था कि दिल्ली से उत्तर प्रदेश जाने वाले प्रवासियों की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर पिटाई की गई. हालांकि, चड्ढा ने बाद अपना यह ट्वीट डिलीट कर दिया.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस महामारी के रोकने का एक ही समाधान ये है कि अगर भारत बड़ी संख्या में ऐसे लोगों की टेस्टिंग करता है जिन्होंने विदेश में यात्रा नहीं की है और उनमें लक्षण दिख रहे हैं.
वीडियो: कोरोना वायरस से सुरक्षा को लेकर देश में लागू लॉकडाउन के दौरान राजधानी दिल्ली से विभिन्न राज्यों में स्थित अपने घरों को पैदल लौट रहे दिहाड़ी मज़दूरों से इस्मत आरा और शेखर तिवारी की बातचीत.
बिहार में दिनोंदिन बढ़ रहे कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच संक्रमित मरीज़ों के इलाज में लगे डॉक्टरों का कहना है कि पर्याप्त आइसोलेशन बेड व सुरक्षा उपाय तो दूर, उन्हें सबसे बुनियादी चीज़ें मास्क और सैनिटाइज़र तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं.