अभिनेता और पटकथा लेखक कादर ख़ान ने 250 से अधिक फिल्मों के संवाद लिखने के अलावा 300 से ज़्यादा फिल्मों में अभिनय किया है.
उम्र के दूसरे दशक में गांधी निस्संदेह एक नस्लवादी थे. वे सभ्यताओं के पदानुक्रम यानी ऊंच-नीच में यक़ीन करते थे, जिसमें यूरोपीय शीर्ष पर थे, भारतीय उनके नीचे और अफ्रीकी सबसे निचले स्थान पर. लेकिन उम्र के तीसरे दशक तक पहुंचते-पहुंचते उनकी टिप्पणियों में अफ्रीकियों के भारतीयों से हीन होने का भाव ख़त्म होता गया.
भदोही ज़िले के गोपीगंज इलाके में एक महिला बुनकर को पीटने के आरोप में चार लोगों पर मुक़दमा दर्ज किया गया है और एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है. मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में गोपीगंज थाना इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर किया गया है.
आरोप है कि ये महिलाएं गलती करने पर शेल्टर होम में रह रही 6 से 15 साल की बच्चियों कठोर दंड देती थीं. सज़ा के तौर पर उन्हें सुबह-सुबह ठंडे पानी से नहलाया जाता था और प्रावइेट पार्ट्स में मिर्ची पाउडर डाल दिया जाता था.
मृणाल सेन 95 साल के थे. सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मभूषण, दादा साहब फाल्के और कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.
दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली एक ट्रांसजेंडर छात्रा ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि क्लास के एक पुरूष साथी द्वारा यौन उत्पीड़न की उसकी शिकायत पर पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है.
रिज़र्व बैंक ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि इस बात को मानने की आवश्यकता है कि घरेलू बैंकिंग प्रणाली में फंसे कर्ज को लेकर उचित प्रावधान और उपयुक्त पूंजी स्तर अनुपात की कमी बनी हुई है.
जेएनयू के छात्र नजीब अहमद 2016 से लापता हैं. बीते अक्टूबर में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को क्लोज़र रिपोर्ट सौंपने की अनुमति दी थी.
पुलिस का कहना है कि 3 दिसंबर को बुलंदशहर में हुई हिंसा के दौरान प्रशांत नट नाम के व्यक्ति ने इंस्पेक्टर सुबोध पर गोली चलाई थी. गिरफ़्तारी के बाद पूछताछ में उसने अपना अपराध स्वीकार किया है.
यूपीए सरकार के दस साल में कुल मिलाकर 5,040 करोड़ रुपये की राशि विज्ञापन पर ख़र्च की गई थी. वहीं मोदी सरकार पांच साल से कम कार्यकाल में ही 5245.73 करोड़ रुपये ख़र्च कर चुकी है.
गोवर्धन झड़ापिया पर आरोप लगे थे कि उन्होंने गुजरात में हुए मुस्लिम विरोधी दंगों को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया.
देश में निचले सामाजिक स्तर तक भय व अविश्वास का ऐसा माहौल बना दिया गया है कि प्रतिरोध की सारी आवाजें घुटकर रह गईं और अब ऊपरी स्तर पर कोई आमिर ख़ान अपना डर या नसीरुद्दीन शाह ग़ुस्सा जताने लगता है, तो उनका मुंह नोंचने की सिरफिरी कोशिशें शुरू कर दी जाती हैं.
जीएसटी रेट एक टैक्स से शुरू होता है और बाद में कई टैक्स आ जाते हैं या बढ़ने लगते हैं. या फिर कई टैक्स से शुरू होकर एक टैक्स की ओर जाता है. इसका मतलब है कि एक टैक्स को लेकर कोई ठोस समझ नहीं है. शायद जनता का मूड देखकर टैक्स के प्रति समझदारी आती है.
सभी फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित नहीं की जाती है जिसकी वजह से टमाटर, प्याज और आलू जैसे उत्पादों की हालत बेहद ख़राब है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ये नया फैसला ऐसे समय पर आया है जब विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार इंसानों की तुलना में गायों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है.