लॉकडाउन शुरू होने के कुछ रोज़ में ही एक मैसेज मिला, 'लगता है कलयुग समाप्त हो गया, सतयुग आ गया है, प्रदूषण रहित वातावरण, कोई नौकर नहीं, घर में सब मिलकर काम कर रहे हैं, उपवास-कीर्तन हो रहा है.' ठीक इन्हीं दिनों हज़ारों कामगारों का हुजूम भूखे-प्यासे एक बीमारी और अनिश्चित भविष्य के डर से महानगरों की सड़कों पर अपनी टूटी चप्पल और फटा बैग संभाले निकल रहा था.
मामला मध्य प्रदेश के गुना जिले का है. जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि मजदूर ने शराब पी रखी थी, वह नशे में शौचालय में पहुंच गया. पत्नी ने भोजन भी नशे में शौचालय में करा दिया.
रविवार को ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ नाम के प्राइवेट इंस्टाग्राम चैट ग्रुप की बातचीत के कुछ स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर साझा किए गए, जहां दक्षिणी दिल्ली के स्कूली लड़कों के एक समूह द्वारा नाबालिग लड़कियों की तस्वीरें शेयर कर आपत्तिजनक बातें की गई हैं. इसके बाद साइबर सेल ने मामले का संज्ञान लिया और प्राथमिकी दर्ज की.
एक महिला ने रविवार को ग्रुप की बातचीत के कुछ स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर साझा किए, जहां दक्षिणी दिल्ली के स्कूली लड़कों के एक समूह द्वारा नाबालिग लड़कियों की तस्वीरें शेयर कर आपत्तिजनक बातें की गई हैं. मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए डीसीडब्ल्यू ने पुलिस और इंस्टाग्राम को नोटिस भेजा है.
रिज़वाना द वायर समेत विभिन्न मीडिया वेबसाइट के लिए काम किया करती थीं. उनके द्वारा लिखे एक नोट के आधार पर उनके पिता ने शमीम नोमानी नाम के शख़्स के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करवाया है.
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के ख़िलाफ़ विभिन्न अपराधों की कुल 800 शिकायतें मिली हैं. इनमें घरेलू हिंसा की शिकायतें लगभग 40 प्रतिशत हैं. इसके अलावा 54 साइबर शिकायतें ऑनलाइन प्राप्त हुई हैं.
यह घटना मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल की है, जहां आईसीयू में भर्ती एक कोरोना संक्रमित पुरुष मरीज़ ने 34 वर्षीय डॉक्टर द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने का आरोप लगाया है. अस्पताल ने आरोपी को बर्ख़ास्त कर दिया है.
गोरखपुर ज़िले के भटहट क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले राजेंद्र और धर्मेंद्र निषाद हैदराबाद में काम करते थे, जहां लॉकडाउन के दौरान राजेंद्र की तबियत बिगड़ी और डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. गांव की ज़मीन गिरवी रख और क़र्ज़ लेकर किसी तरह उन्हें घर लाया जा रहा था, जब उन्होंने गांव के रास्ते में दम तोड़ दिया.
आम तौर पर लोक कलाओं से गुलज़ार रहने वाले राजस्थान में कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते सन्नाटा पसरा है. ऐसे में ख़ाली बैठे लोक कलाकार आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. उनकी सहायता के लिए शुरू की गई राज्य सरकार की योजना कई विसंगतियों के चलते मददगार साबित नहीं हो रही है.
कोरोना संक्रमितों की संख्या के लिहाज़ से महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली के बाद चौथा नंबर मध्य प्रदेश का है, जहां तीन चौथाई मामले केवल दो ज़िलों- इंदौर और भोपाल में सामने आए हैं. इसमें भी लगभग 60 फीसदी मामले अकेले इंदौर में मिले हैं.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज के सात मज़दूर काम करने हैदराबाद गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में उन्होंने थोड़ी-बहुत जमापूंजी से साइकिल खरीदी और घर की ओर निकल पड़े.
बीते फरवरी महीने में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे.
इरफ़ान की साथी सुतपा अपने ख़त में लिखती हैं, 'एक कामयाब सफ़र के बाद जहां उन्हें आराम करने के लिए छोड़कर आए हैं, वहां उनका पसंदीदा रात की रानी का पौधा लगाते हुए आंखें नम होंगी. थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन इसकी ख़ुशबू फैलेगी और उन सब तक पहुंचेगी, जिन्हें मैं आने वाले समय में फैन नहीं, बल्कि परिवार मानूंगी.'
इस बीच देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि सशस्त्र बल खाड़ी के देशों और अन्य क्षेत्रों में फंसे हजारों भारतीयों को स्वदेश वापस लाने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है.
चार दिन पहले सात मजदूर दिल्ली से बिहार जाने के लिए साइकिल से निकले थे. उसमें से एक मजदूर की तबीयत बिगड़ने के बाद उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में मौत हो गई. बाकी छह मजदूरों को जिला प्रशासन ने क्वारंटीन कर दिया है और उनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं.