17 जनवरी 2018 आठ साल की बच्ची का शव जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले में मिला था. मेडिकल रिपोर्ट में पता चला था कि हत्या से पहले लड़की के साथ कई बार सामूहिक बलात्कार किया गया था. प्रारंभिक जांच में मामले के एक आरोपी शुभम सांगरा को स्थानीय अदालत ने नाबालिग माना था. नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सांगरा अपराध के समय बालिग था.
17 जनवरी 2018 आठ साल की बच्ची का शव जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले में मिला था. मेडिकल रिपोर्ट में पता चला था कि हत्या से पहले लड़की के साथ कई बार सामूहिक बलात्कार किया गया था. जून 2019 में मामले के मुख्य आरोपी सांजी राम समेत पांच पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था.
कठुआ बलात्कार और हत्या मामले में दोषी पुलिसकर्मियों को उनकी पांच साल की जेल की सज़ा पूरी होने से पहले ही रिहा कर दिया गया और अदालत ने उनकी बाकी बची सज़ा भी रद्द कर दी है.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले में दोषी पाए गए एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता की शेष सज़ा को निलंबित कर दिया और ज़मानत दे दी. रिश्वत लेकर सबूतों को नष्ट करने के आरोप में दत्ता को पांच साल की सज़ा मिली थी. इससे पहले 16 दिसंबर को एक अन्य दोषी हेड कॉन्स्टेबल की सज़ा पर रोक लगा दी गई थी.
कठुआ गैंगरेप-हत्या मामले में पीड़ित पक्ष की वकील रहीं दीपिका सिंह राजावत ने 20 अक्टूबर को ट्विटर पर दो स्केच पोस्ट किए थे, जिन्हें लेकर उन पर हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने का आरोप लगा है. दीपिका का कहना कि एफआईआर क़ानून का दुरुपयोग करते हुए भाजपा और अन्य भगवा संगठनों के दबाव में दर्ज की गई है.
कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की जांच करने वाली एसआईटी के इन सदस्यों पर फ़र्ज़ी गवाह तैयार करने, उन्हें ग़ैरक़ानूनी ढंग से हिरासत में रखने और झूठे बयान देने के लिए उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करने का आरोप है.
राज्य सरकार ने मामले में तीन पुलिसकर्मियों को मिली कम सजा और एक आरोपी की रिहाई को भी चुनौती दी है.
पिछले साल जनवरी में जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले के रसाना गांव में आठ साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी. कोर्ट ने मामले में छह लोगों को दोषी ठहराया था.
पिछले साल जनवरी में जम्मू कश्मीर के कठुआ ज़िले के रसाना गांव में आठ साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी.
इस साल जनवरी में जम्मू में हुए कठुआ बलात्कार और हत्या मामले के एक आरोपी ने केस में हुई जांच को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए दोबारा जांच की मांग की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने ख़ारिज कर दिया.
भाजपा नेता और जम्मू कश्मीर की महबूबा सरकार में मंत्री रहे चौधरी लाल सिंह ने डोगरा अधिकारों के लिए संघर्ष के दावे के साथ डोगरा स्वाभिमान संगठन की शुरुआत करते हुए कहा कि यह ग़ैर-राजनीतिक संगठन है. प्रदेश भाजपा ने कहा होगी उचित कार्रवाई.
असीम साहनी जम्मू के चर्चित वकील एके साहनी के बेटे हैं, जो कठुआ मामले के आरोपियों के प्रमुख वकील हैं. असीम भी मामले में आरोपियों की ओर से पेश हो चुके हैं.
कठुआ बलात्कार और हत्या मामले के एक आरोपी ने मैट्रिक प्रमाणपत्र का हवाला देकर ख़ुद के नाबालिग होने का दावा किया था, जिस पर अदालत ने उसकी हड्डियों की जांच का आदेश दिया था.
अपराध शाखा ने इस बहुचर्चित मामले में मेडिकल राय ली है क्योंकि आरोपियों ने अदालत में दावा किया था कि यह असंभव है कि लड़की पर हमला हो रहा हो और वह चिल्लायी न हो.
मामले के आठ आरोपियों में से एक विशाल का दावा था कि जब अपराध हुआ, वो मेरठ में परीक्षा दे रहा था. विशाल ने बताया था कि 15 जनवरी को परीक्षा की अटेंडेंस शीट पर उसने हस्ताक्षर भी किए थे. फॉरेंसिक जांच में हस्ताक्षर फ़र्ज़ी पाए गए.