क्या आप भी इस सवाल से परेशान हैं कि यूपी में कौन जीत रहा है?

यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर कोई जानना चाह रहा है. अब तक यह सवाल आपसे इतनी बार पूछा जा चुका होगा कि आपको जवाब रट गया होगा. फिलहाल अगले कुछ घंटे आप इन समीकरणों पर भी विचार कीजिए.

बनारस की छवि को बार-बार बेचा गया है

ग्राउंड रिपोर्ट: मीडिया द्वारा बनारस की मूल समस्याओं से ध्यान हटाकर उसे लंका से काशी विश्वनाथ और बीएचयू पर केंद्रित कर दिया गया. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष या विपक्ष में कर दिया गया. यह न तो जनतंत्र के लिए ठीक बात है और न ही पत्रकारिता के लिए.

कभी नहीं सोचा था कि नेताजी के जीते जी अखिलेश अलग होगा: साधना यादव

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना यादव ने मंगलवार को लखनऊ में कहा कि उन्हें लगता है कि अखिलेश को किसी ने गुमराह किया है.

यूपी में चुनाव लड़ रहे विधायकों की संपत्ति पांच साल में 82 फीसदी बढ़ी: एडीआर

एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में फिर से चुनाव लड़ रहे विभिन्न दलों के 311 विधायकों की औसत संपत्ति वर्ष 2012 में 3.49 करोड़ रुपये थी जो इस साल बढ़कर 6.33 करोड़ रुपये हो गई है.

बनारस में मोदी: ट्विटर पर ट्रेंड करता रहा, #मोदी_की_हवा_टाइट_है

अब चुनाव सिर्फ़ जनता के बीच नहीं लड़े जाते, सभी पार्टियों के सोशल मीडिया वार रूम अब ट्विटर और फेेसबुक पर भी चुनाव लड़ते हैं. इसी कड़ी में रविवार शाम से रातभर ट्विटर पर ट्रेंड करता रहा #मोदी_की_हवा_टाइट_है.

देखौ गुरु! ई बनारस है, मोदी हों या अखिलेश, इहां सबको मत्था टेकना पड़ता है…

ग्राउंड रिपोर्ट: होली के पहले बनारस में चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है और यहां का माहौल देखकर लगता है कि इस बार की होली कुछ ज़्यादा ही लाजवाब होने वाली है.

यूपी चुनाव: छठे चरण में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, विकास का मुद्दा गायब

इस चरण में भाजपा के हिंदुत्ववादी नेता सांसद महंत आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर और माफिया-राजनेता मुख्तार अंसारी के क्षेत्र मऊ तथा केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के संसदीय क्षेत्र देवरिया में चुनाव पर खास नजर रहेगी.

यूपी चुनाव: चार साल बाद भी निर्भया के गांव को वादों के सिवा कुछ न मिल सका

निर्भया बलात्कार कांड के चार साल बाद भी उनके गांव मेदौरा कलां की हालत जस की तस है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और दूसरे नेताओं की ओर से किए गए वादे अभी भी ज़मीन पर नहीं उतरे हैं.

ग्राउंड रिपोर्ट: आज़म ख़ान और उत्तर प्रदेश की मुस्लिम सियासत

'मिसाल दी जाती है कि छोटा मुंह बड़ी बात. लेकिन यहां तो बड़ा मुंह छोटी बात हो रही है. प्रधानमंत्री नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं. अरे! 1.31 अरब के वज़ीरे आज़म! भूखे को रोटी दो. नंगे को कपड़ा दो. कब्रिस्तान और श्मशान मत दो.'

गोंडा से ग्राउंड रिपोर्ट: जाति, धर्म, धन और धुरंधर लोकतंत्र की शान

यूपी के गोंडा का जायज़ा लेने से पता चला कि पार्टियां भले ही कालाधन लाने, परिवारवाद मिटाने की बातें करें लेकिन चुनाव में जीत धन बल और बाहुबल से ही मिलती है.

‘जानवर समाज का हिस्सा हैं इसलिए वे हमारी राजनीति का हिस्सा बने रहेंगे’

जिन्हें मायावती पसंद नहीं हैं. वे उनके चुनाव चिह्न को ‘पागल हाथी’ कहते हैं. इस तरह वे एक ही बार में ‘पागल’ और ‘हाथी’ के लिए असंवेदनशील टिप्पणी कर बैठते है.

यूपी में बेरोज़गारों के लिए कमाई का भी मौक़ा है विधानसभा चुनाव!

यूपी चुनाव में दल बेरोज़गार युवाओं का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं हैं. कहीं 500 रुपये दिहाड़ी पर तो कहीं बाइक में फुल टंकी तेल भराकर रैलियों के लिए भीड़ जुटाई जा रही है.

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