अगस्त महीने में एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में फेसबुक की दक्षिण और मध्य एशिया प्रभार की पॉलिसी निदेशक आंखी दास ने भाजपा नेता टी. राजा सिंह के खिलाफ फेसबुक के हेट स्पीच नियमों को लागू करने का विरोध किया था, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे कंपनी के संबंध भाजपा से बिगड़ सकते हैं.
पिछले हफ्ते जीएसटी परिषद की बैठक के दो दिन बाद केंद्र सरकार ने 2.3 लाख करोड़ रुपये के मुआवज़े की कमी उधार लेकर पूरा करने के लिए राज्यों को दो विकल्प दिए थे. आठ ग़ैर- भाजपा शासित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. इस संबंध में पांच मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखा है.
पिछले साल नवंबर में भाजपा ने फेसबुक इंडिया को डिलीट किए जा चुके 17 पेजों को भी दोबारा से शुरू करने के लिए कहा था, जिसमें दो न्यूज़ वेबसाइट- ‘द चौपाल’ और ‘ऑप इंडिया’ शामिल थीं. जिन फेसबुक पेजों की पार्टी ने शिकायत की थी, उनमें ‘भीम आर्मी’ का आधिकारिक अकाउंट, ‘वी हेट बीजेपी’, ‘द ट्रूथ ऑफ गुजरात’ और पत्रकार रवीश कुमार तथा विनोद दुआ के समर्थन वाले पेज शामिल थे.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में फेसबुक के आंतरिक ग्रुप के संदेशों के आधार पर कहा गया है कि भारत में कंपनी की शीर्ष अधिकारी आंखी दास साल 2012 से अप्रत्यक्ष रूप से नरेंद्र मोदी और भाजपा का समर्थन करती रही हैं. यह दुनियाभर के चुनावों में तटस्थ रहने के फेसबुक के दावों पर सवाल खड़े करता है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कि बीते दो दिन से राज्य में लगातार हो रही भारी बारिश से 12 ज़िलों के 454 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. इन गांवों के 7,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है.
तमिलनाडु के कन्याकुमारी से कांग्रेस सांसद एच. वसंतकुमार को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती किया गया था. उन्हें निमोनिया भी था. वह 2019 के लोकसभा चुनाव में वह पहली बार सांसद चुने गए थे.
बीते जून में न्यूज़ वेबसाइट ‘स्क्रोल’ की कार्यकारी संपादक सुप्रिया शर्मा के ख़िलाफ़ यूपी पुलिस ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) क़ानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज़ किया था. इलाहबाद हाईकोर्ट ने उन्हें गिरफ़्तारी से संरक्षण देते हुए एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका को नामंज़ूर कर दिया है.
फेसबुक के खर्च ट्रैकर पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पर ‘सामाजिक मुद्दों, चुनावों और राजनीति’ श्रेणी में खर्च करने वाले शीर्ष-10 विज्ञापनदाताओं में से चार अन्य विज्ञापनदाता भाजपा से ही जुड़े हुए हैं, जिनमें से तीन के पते दिल्ली स्थित भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय के ही हैं.
वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी ने जब साल 2019 के चुनाव में अपना नामांकन पत्र भरा था, तब जगदीश चौधरी उनके प्रस्तावकों में से एक थे. हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के दौरान डोम बिरादरी की प्रमुख भूमिका होती है. इस बिरादरी के मुखिया को ‘डोम राजा’ कहा बुलाया जाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को सरकारी जॉब पोर्टल असीम की शुरुआत की थी. आंकड़े बताते हैं कि 14 अगस्त से 21 अगस्त के बीच एक सप्ताह के भीतर पोर्टल पर सात लाख से ज़्यादा लोगों ने रोज़गार के लिए पंजीकरण कराया, लेकिन सिर्फ 691 लोगों को ही रोज़गार मिला.
आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कॉरपोरेट मंत्रालय ने अपनी फाइलों में ये लिखा है कि पीएम केयर्स फंड का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा गठित कोई भी विभाग आरटीआई एक्ट के दायरे में आता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि दिसंबर 2019 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा सौंपी गई परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने केवल बारह रक्षा ऑफसेट सौदों की समीक्षा की है. रक्षा मंत्रालय ने ऑडिटर को रफाल ऑफसेट सौदे संबंधी कोई जानकारी होने से इनकार किया है.
सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति की प्रस्तावित बैठक में नागरिक अधिकारों की सुरक्षा और सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग पर रोक लगाने पर चर्चा की जाएगी. वहीं इस समिति के सदस्य और भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर को पद से हटाने की मांग की है.
सूचना के अधिकार क़ानून से मिली जानकारी के अनुसार, ओएनजीसी ने सबसे ज़्यादा 300 करोड़ रुपये, एनटीपीसी ने 250 करोड़ रुपये, इंडियन ऑयल ने 225 करोड़ रुपये कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) का पैसा अनुदान के रूप में पीएम केयर्स फंड में दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसके तहत ये मांग की गई थी कि पीएम केयर्स फंड में प्राप्त राशि नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) में ट्रांसफर की जाए. दूसरी ओर अभिनेता आमिर ख़ान की तुर्की की प्रथम महिला से मुलाकात पर बवाल मचा हुआ है. इन मुद्दों पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.