जन गण मन की बात की 68वीं कड़ी में विनोद दुआ किसानों पर नोटबंदी के असर और आधार व पैन कार्ड से जुड़े अदालत के फैसले पर चर्चा कर रहे हैं.
समस्तीपुर ज़िले के विद्यापतिनगर थानाक्षेत्र के एक गांव में बदले की भावना के चलते दिया गया घटना को अंजाम. मामले के दोनों आरोपी फरार.
कालका-शिमला हाईवे को टिम्बर ट्रेल से चम्बा घाट तक फोर लेन करने का काम अगर सही समन्वय के साथ किया जाता तो बहुत सारे लोगों के रोजगार और अशियाने न उजड़ते.
किसान आंदोलन के दौरान मध्य प्रदेश के मंदसौर में हुई पुलिस फायरिंग में ज़िले के टकरावत गांव में रहने वाले बबलू पाटीदार की मौत हो गई थी. उनके परिवारवालों से बातचीत.
वेबसाइट की सफलता के लिए जितना झूठ परोसेंगे, उतना हिट मिलेगा. जितना हिट मिलेगा, उतना विज्ञापन मिलेगा. झूठ का कारोबार आज सच के लिए चुनौती बन गया है.
झारखंड के गिरिडीह में मारे गए व्यक्ति को मज़दूर संगठन समिति व आदिवासी समाज ने बताया निर्दोष, नौ जून को हुई थी मुठभेड़.
फिल्मीस्तान और एयरलिफ्ट जैसी फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता इनामुल हक़ ने मुंबई में किराये का मकान लेने के संघर्ष को लेकर अपनी आपबीती साझा की है.
जन गण मन की बात की 67वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा गांधी को चतुर बनिया बताए जाने और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर पड़े दुष्प्रभाव पर चर्चा कर रहे हैं.
मिज़ोरम की राजधानी आइजोल में गृह मंत्री के दौरे के समय स्थानीय लोगों ने बीफ फेस्टिवल का आयोजन किया.
सेकुलर शक्तियों को याद रखना चाहिए कि 1974 के बाद से ही संघ परिवार बड़ी होशियारी के साथ दलित और पिछड़े प्रतीकों को हड़प के अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने के कौशल को विकसित करने में लगा हुआ है.
मेघालय सरकार का तर्क है कि केंद्र की इस अधिसूचना से राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ ही लोगों के खान-पान की संस्कृति प्रभावित होगी.
मीडिया बोल की पहली कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन के साथ प्रेस की स्वतंत्रता पर चर्चा कर रहे हैं.
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश की नई किताब ‘इंदिरा गांधी: अ लाइफ इन नेचर’ का नई दिल्ली में विमोचन हुआ.
सीबीआई एनडीटीवी के संस्थापकों के घर छापे मार रही है जबकि अडानी, अंबानी और दूसरे ताकतवर व्यापारिक घरानों के लिए ख़िलाफ़ पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद कार्रवाई नहीं कर रही है.
किसान को मारना सबसे आसान है. बल्कि मैं तो कहता हूं कि किसान को मारना दूसरी क्लास में ही सबको सिखा देना चाहिए. उसे न भी मारो तो वह ख़ुद ही मर जाता है. यह इतना फ़नी है कि हमें इस पर चुटकुले बनाने चाहिए और वॉट्सऐप पर फ़ॉरवर्ड करने चाहिए.