झारखंड के गुमला ज़िले का मामला. विक्षिप्त व्यक्ति 45 साल की महिला, उसके तीन साल के बेटे और एक महीने की बेटी की धारदार हथियार से हत्या कर दी थी.
राजस्थान के दौसा में हुई घटना के संबंध में पुलिस ने चार युवकों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया है. अभी तक किसी की भी गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है.
देश में बढ़ रही लिंचिंग पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर तिल का ताड़ बना रही है.
बाड़मेर के रामसर में 20 जुलाई को 22 वर्षीय दलित युवक की पीट-पीट कर हत्या के मामले में गिरफ़्तार दो आरोपियों को 7 दिन की पुलिस रिमांड में भेजा गया है. पुलिस का कहना है कि जांच जारी है.
राजस्थान के अलवर के रामगढ़ थाना क्षेत्र में शुक्रवार को गो तस्करी के संदेह में एक व्यक्ति की अज्ञात लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी है.
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने पश्चिम बंगाल के प्रवासी मज़दूर मानिक रॉय और केरल में एक आदिवासी युवक मधु का उदाहरण देते हुए कहा कि पीट-पीटकर हत्या करने के ये मामले आर्थिक मुद्दों से जुड़े हैं.
छत्तीसगढ़ के सरगुजा में हफ्ते भर के भीतर बच्चा चोरी के संदेह में भीड़ द्वारा पिटाई का यह तीसरा मामला है.
गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि बुधवार को पीट-पीटकर मार दिए दो लोगों की हत्या के आरोप में गिरफ़्तार 4 लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में मुज़फ़्फ़रनगर के फ़िरज़ापुर गांव में सरकारी राशन की दुकान पर हुई थी बहस. पुलिस ने तीन लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की. अभी तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई.
राजस्थान के अलवर ज़िले में रंग लगाने को लेकर हुए विवाद में नाबालिग दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जबकि भरतपुर ज़िले में पुरानी रंज़िश में युवक की हत्या.
सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उमर ख़ान की हत्या गोरक्षकों द्वारा करने का आरोप लगाया था.
राजस्थान के अलवर जिले में 55 साल के पहलू खान को कथित गोरक्षकों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने के मामले में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पर दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस.
गांधी गाय को माता मानते हुए भी उसकी रक्षा के लिए इंसान को मारने से इनकार करते हैं. उनके ही देश में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मारने का आंदोलन चला रखा है.
मरने से पहले दिए बयान में पहलू ख़ान ने पुलिस को बताए थे इन 6 आरोपियों के नाम.
समाज में विचारों की, अाचारों की अौर समझ की नई खिड़कियां खोलते रहने की जरूरत पड़ती है. जो समाज ऐसा करना बंद कर देता है, जो अतीत के गुणगान में लग जाता है, वह अंतत: अपनी ही चोटी में उलझ कर, उसे काट डालता है. हम उसी दौर से गुजर रहे हैं.