जयंती विशेष: 1944 में उनकी एक गुमनाम शख़्स की तरह मौत हो गई जबकि तब तक उनका शुरू किया हुआ कारवां काफी आगे निकल चुका था. फिल्मी दुनिया की बदौलत कुछ शख़्सियतों ने अपना बड़ा नाम और पैसा कमा लिया था. घुंडीराज गोविंद फाल्के को हम आम तौर पर दादा साहब फाल्के के नाम से जानते हैं. भारतीय सिनेमा की शुरुआत करने वाले इस शख्स की पहचान सिर्फ आज एक अवॉर्ड के नाम तक महदूद रह गई है. भारत सरकार
साक्षात्कार: ‘ये वो मंज़िल तो नहीं’, ‘धारावी’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी’ जैसी फिल्में बनाने वाले राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त निर्देशक सुधीर मिश्रा से प्रशांत वर्मा की बातचीत.
कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि ‘कास्टिंग काउच’ एक ऐसी कड़वी सच्चाई है जो सिर्फ़ फिल्म उद्योग तक सीमित नहीं.
बॉलीवुड में कास्टिंग काउच के सवाल पर मशहूर कोरियोग्राफर ने दिया बयान, कहा हर क्षेत्र में होता है महिलाओं का शोषण, सिर्फ बॉलीवुड के पीछे क्यों पड़े हैं.
फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा कि बॉलीवुड में व्याप्त यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर कलाकारों की बातों का तब तक कोई मतलब नहीं है, जब तक इसे झेलने वाले अपना मुंह बंद रखते हैं.
अब फिल्मों में एक नया तत्व दिखाई दे रहा है. यह है उग्र राष्ट्रवादी तेवर, जो न सिर्फ सोशल मीडिया और समाज के एक ख़ास वर्ग में दिखाई देने वाली भावावेश भरी राष्ट्रीयता से मेल खाता है, बल्कि वर्तमान सरकार के एजेंडे के साथ भी अच्छे से कदम मिलाकर चलता है.
हैदर, रईस, काबिल, घायल वंस अगेन और मोहेंजोदाड़ो जैसी फिल्मों में नरेंद्र झा प्रमुख किरदारों ने नज़र आ चुके थे.
श्रीदेवी एहसासों में हैं, खिलखिलाहट में हैं, चुलबुलेपन में हैं. वो ख़ुद ही एक नृत्य हैं, एक पेंटिंग हैं. वो हम में ही कहीं भरी हुई हैं.
भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए दुबई गई हुई थीं. दुबई में ही दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत.
राजस्थान में सर्व ब्राह्मण महासभा फिल्म में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को एक विदेशी की प्रेमिका बताए जाने को लेकर फिल्म का विरोध कर रही है. करणी सेना के संयोजक ने कहा कि अगर ब्राह्मण का ख़ून बहेगा तो राजपूत क्या चुप रहेगा.
फिल्मकार और अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा कि सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में ख़ामियां हैं.
जयपुर साहित्य महोत्सव में फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने कहा कि लोग पहले भी आहत होते थे लेकिन अब आहत होने वालों को संरक्षण दिया जा रहा है.
फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा कि आज के समय में राष्ट्रवाद के बिना खेल आधारित बायोपिक फिल्में बनाना असंभव है.
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि शिक्षित होना और सशक्त होना अलग-अलग बाते हैं. सशक्त व्यक्ति ग़लत मान्यताओं और परंपराओं के ख़िलाफ़ खड़ा होना जानता है.
फिल्मकार ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित करने से रचनात्मकता को पनपने के लिए नए रास्ते मिल जाते हैं.