बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के एक गांव के रहने वाले सगीर अंसारी दिल्ली में सिलाई का काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान काम न होने और जमापूंजी ख़त्म हो जाने के बाद वे अपने भाई और कुछ साथियों के साथ साइकिल से घर की ओर निकले थे, जब लखनऊ में एक गाड़ी ने उन्हें टक्कर मार दी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई.
बिहार के भागलपुर ज़िले के नवगछिया क़स्बे में हुआ हादसा. ये प्रवासी मज़दूर बेंगलुरु से विशेष श्रमिक ट्रेन से आए थे और आगे के सफ़र के लिए एक ट्रक पर चढ़े थे.
उत्तर प्रदेश के औरैया में शनिवार को मरने वाले 24 मजदूर राजस्थान के आरएसजी स्टोंस नाम की कंपनी में काम करते थे. कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उनसे देर तक काम करवाया जाता है और वेतन देने में देरी की जाती है.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि अब कोई प्रवासी मज़दूर सड़कों और रेलवे ट्रैक पर न पाया जाए और उन्हें विशेष बसों या विशेष श्रमिक ट्रेनों में बिठाकर उनके गंतव्य रवाना जाए.
यह घटना औरैया के मिहौली इलाके में शनिवार तड़के तक़रीबन 3:30 बजे के बीच हुई. राजस्थान की ओर से आ रहे ट्रक की दिल्ली की ओर से आ रही डीसीएम वैन से टक्कर हो गई. ट्रक में लगभग 50 मज़दूर सवार थे.
एक दुर्घटना में जालौन के गिर थान के पास ट्रक ने मेटाडोर को टक्कर मारी, जिसमें एक महिला सहित दो मज़दूरों की मौत हुई. दूसरी घटना में लखनऊ-बहराइच राजमार्ग पर एक मेटाडोर अनियंत्रित होकर पलट गई, जिसमें एक मज़दूर की मौत हो गई.
इस बीच रेलवे ने दूसरे राज्यों में फंसे मज़दूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए ट्रेनों को पूरी क्षमता के साथ चलाने को कहा है. हर ट्रेन में 24 कोच होंगे और हर कोच में 72 सीट पर 72 यात्री होंगे. वर्तमान में एक कोच में सामाजिक दूरी के नियमों के तहत हर कोच में 54 लोगों को बैठाया जा रहा था.
कार्ल मार्क्स ने 175 साल पहले लिखा कि श्रमिक जिसका निर्माण करता है, वह वस्तु जितनी विशाल या ताकतवर होती जाती है, श्रमिक का बल उसी अनुपात में घटता चला जाता है. अगर रेल की पटरियों पर मरने वाले ये श्रमिक राष्ट्र निर्माता हैं और यह राष्ट्र लगातार शक्तिवान होता गया है तो ये उतने ही निर्बल होते गए हैं.
शोधकर्ताओं के एक समूह ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये इकट्ठा की गईं सूचनाओं के हवाले से बताया है कि 19 मार्च से लेकर 8 मई के बीच 370 मौतें हुईं, जो लॉकडाउन से जुड़ी हैं.
यह घटना औरंगाबाद में बदनापुर और करमाड के बीच हुई. सभी मज़दूर औरंगाबाद से मध्य प्रदेश जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए पैदल जा रहे थे और थककर रेल पटरियों पर ही सो गए थे.
एथेनॉल बनाने वाली मोहित पेट्रो केमिकल फैक्ट्री के बॉयलर में हुआ विस्फोट. बॉयलर में मीथेन गैस होने की सूचना.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव शहर में दफ्ती बनाने की फैक्ट्री के टैंक का नोजल ठीक करने के लिए उतरे थे मज़दूर. दो मज़दूरों की हालत नाज़ुक.