इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में ज़मानत देते वक्त सर्वोच्च न्यायालय के अपर्णा भट्ट केस के निर्देशों का ध्यान रखना चाहिए, जिसमें कहा गया है कि ज़मानत की ऐसी कोई शर्त नहीं होनी चाहिए, जो कि आरोपी द्वारा पहुंचाए गए नुकसान को धूमिल कर दे और पीड़िता के दुख को और बढ़ा दे.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक बयान में कहा कि बीते एक साल में राजस्थान में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों के कथित रूप से 80 हज़ार मामले दर्ज किए हैं. इनमें से 12 हज़ार से अधिक मामले बलात्कार से संबंधित हैं.
लॉकडाउन ख़त्म होने के एक साल बाद भी आयोग को हर महीने महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दो हज़ार से अधिक शिकायतें मिल रही हैं, जिनमें से लगभग एक चौथाई घरेलू हिंसा से संबंधित हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग को वर्ष 2019 में आयोग को घरेलू हिंसा से संबंधित 2,960 शिकायतें मिली थीं, जबकि 2020 में 5,297 शिकायतें प्राप्त हुई हैं.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बीते साल यौन उत्पीड़न के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने के शर्त पर ज़मानत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त करते हुए कहा यह यौन उत्पीड़न के अपराध को कमतर करता है. कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामलों में ज़मानत देने के दिशानिर्देश भी दिए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह अध्ययन महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा पर सबसे बड़ा अध्ययन है. इसमें 2010 से 2018 की अवधि को शामिल किया गया है. रिपोर्ट में अंतरंग साथी द्वारा हिंसा को महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का सबसे अधिक व्याप्त रूप बताया गया है, जिससे 64 करोड़ से ज़्यादा महिलाएं प्रभावित हैं.
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में मिली कुल शिकायतों में से एक चौथाई घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं. सर्वाधिक शिकायतें उत्तर प्रदेश से मिलीं, इसके बाद दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र रहे.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक महिलाओं के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे बुरा हाल कर्नाटक, असम, मिज़ोरम, तेलंगाना और बिहार का है, जहां तीस प्रतिशत से अधिक महिलाओं को अपने पति द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित नादिया मुराद ने संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं. यहां तक कि कई महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच भी बाधित हो गई है.
उन्नाव ज़िले की बांगरमऊ विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव है. यह सीट नाबालिग के बलात्कार के दोषी पाए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता रद्द होने पर ख़ाली हुई थी. महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों के बीच यहां हुई एक चुनावी सभा में मुख्यमंत्री के भाषण से उनकी सुरक्षा की बात नदारद रही.
बीते 14 अक्टूबर को भागलपुर के एक अस्पताल में बुरी तरह से जली अररिया ज़िले की 22 साल की काजल ने दम तोड़ दिया. उनके माता-पिता का कहना है कि पिछले महीने बेटी पैदा होने के बाद से ही काजल को प्रताड़ित किया जा रहा था और उनके पति और ससुराल वालों ने उसे ज़िंदा जला दिया.
अनुभव मोहंती बीजू जनता दल के उप-मुख्य सचेतक और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. उनकी पत्नी वर्षा प्रियदर्शिनी का आरोप है कि वह अक्सर शराब पीकर उनसे मारपीट और दुर्व्यवहार करते हैं.
आंकड़ों के अनुसार पिछले साल सितंबर के बाद महिलाओं के ख़िलाफ़ हुए विभिन्न अपराधों की सर्वाधिक शिकायतें इस साल जून में दर्ज की गईं. इससे पहले लॉकडाउन में घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के मामले बढ़ने की बात सामने आई थी, जिसे केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने ग़लत बताया था.
मामला राजस्थान के सवाई माधोपुर का है. लापरवाही बरतने के मामले में एक हेड कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है. जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
‘रेप कैपिटल’ और ‘रेप इन इंडिया’ जैसे जुमले न भी बोले जाएं, तब भी महिला सुरक्षा को लेकर होने वाली बदनामी से देश का बचना तब तक मुमकिन नहीं है, जब तक सरकार आलोचकों से ज़बानी जंग करने के बजाय औरतों के ख़िलाफ़ अपराध रोकने के लिए गंभीर नहीं होती.
महिलाओं की सुरक्षा की चिंता और उनको हिंसा, बलात्कार आदि से बचाने को लेकर कड़े क़ानून बनाने का नेताओं का आश्वासन उनके दिए महिला-विरोधी बयानों के बरक्स बौना नज़र आता है.