राष्ट्रीय प्रसारक प्रसार भारती ने बीते 13 मई को जारी एक टेंडर में ‘डीडी इंटरनेशनल’ के गठन के लिए कंसल्टेंसी सर्विसेस से विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट मंगाई है. सरकार का कहना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत के नज़रिये को रखने में मदद मिलेगी.
अधिकारियों ने बताया कि पटियाला निवासी बलबीर सिंह और लुधियाना निवासी महिंदर सिंह की बीते 18 मई को मौत हो गई. वे सिंघू बॉर्डर के निकट विरोध प्रदर्शन कर रहे समूह में शामिल थे. केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते छह महीनों से किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते छह महीनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसान आंदोलन में 470 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. कई आंदोलनकारियों को अपनी नौकरियां, पढ़ाई एवं दूसरे काम छोड़ने पड़े. सरकार अपने नागरिकों, अन्नदाताओं के प्रति कितना अमानवीय एवं लापरवाह रुख़ दिखा रही है.
केंद्रीय सूचना आयोग स्वास्थ्य मंत्रालय के ख़िलाफ़ जानकारियां छिपाने को लेकर दायर शिकायतों पर सुनवाई कर रहा था, जहां एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मंत्रालय के अधिकारी ने कोरोना टीकाकरण से संबंधित सूचनाओं का खुलासा करने से इनकार कर दिया था.
किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर जारी एक टूलकिट में संलिप्तता के आरोप में बीते 13 फरवरी को पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ़्तार किया गया था. अदालत ने बीते 17 मार्च को दिशा रवि की याचिका पर जवाब दाख़िल करने के लिए केंद्र सरकार को आख़िरी मौका दिया था. आरोप है कि किसान आंदोलन का पूरा घटनाक्रम टूलकिट में बताई गई कथित योजना से मिलता-जुलता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी के उत्पादन संबंधी याचिका को सुनते हुए कहा कि जब केंद्र के पास लाखों टीकों की खुराक प्राप्त करने का अवसर है तब भी कोई दिमाग नहीं लगा रहा है, जबकि सरकार को इसे एक अवसर के तौर पर अपनाना चाहिए.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसे सही वैक्सीन नीति लागू करने को लेकर कार्यपालिका की बुद्धि पर भरोसा करना चाहिए. पर हक़ीक़त यह है कि भारत में स्पष्ट तौर पर कोई भी घोषित राष्ट्रीय वैक्सीन नीति है ही नहीं. सच यह भी है कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अमल के लिए केंद्र और राज्य अलग इकाइयों के तौर पर काम नहीं कर सकते हैं.
सरकार ने पाया कि कोविड-19 मरीजों के उपचार में प्लाज़्मा थेरेपी गंभीर बीमारी को दूर करने और मौत के मामलों को कम करने में फायदेमंद साबित नहीं हुई. प्लाज़्मा थेरेपी में कोविड-19 से उबर चुके व्यक्ति के रक्त से एंटीबॉडीज लेकर उसे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है, ताकि उसके शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके.
दिल्ली के अलावा तेलंगाना सरकार ने राज्य में कोविड-19 टीके की कमी के कारण 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को दूसरी खुराक देना स्थगित कर दिया है और अभी तक 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू नहीं कर पाया है.
पूर्व स्वास्थ्य सचिव के. सुजाता राव ने कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर कब आएगी यह हम सटीक रूप से नहीं कह सकते हैं. दूसरी लहर का प्रभाव कम होने के दौरान हमारे पास एक छोटी अवधि रहेगी और इस अवधि में हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम अपनी 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण कर दें.
कोरोना संक्रमण मोदी सरकार की स्क्रिप्ट के हिसाब से नहीं आया था और इसीलिए इसका कोई तसल्लीबख़्श जवाब उसके पास नहीं है.
साक्षात्कार: पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने द वायर से बात करते हुए देश के कोविड संकट के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि सरकार लोगों को उनके हाल पर छोड़ चुकी है, ऐसे में अपनी सुरक्षा करें और एक दूसरे का ख़याल रखें.
बॉम्बे हाईकोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया है कि लोगों और राजनेताओं आदि का एक समूह है जो मनमाने ढंग से मरीज़ों को रेमडेसिविर वितरित कर रहा है. ट्वीट करने के कुछ घंटों के भीतर लोगों तक इंजेक्शन पहुंच जा रहे हैं. इस पर पीठ ने सरकार से पूछा कि उनके आदेशों का पालन क्यों नहीं किया जाता है?
दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि सरकार को नया सोचने की ज़रूरत है. एक ही संदेश बजाने की जगह अलग-अलग संदेश तैयार करने चाहिए. अदालत ने कहा कि टीवी प्रस्तोता और निर्माताओं से लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम बनाने और अमिताभ बच्चन जैसे लोकप्रिय लोगों से इसमें मदद करने को कहा जा सकता है.
इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा कि भारत में आम दिनों में औसतन 30 हज़ार लोगों की मौत होती है. ऐसे में कोरोना से अगर प्रतिदिन 3,000 अतिरिक्त लोगों की मौत हो रही है तो फिर अंतिम संस्कार के लिए कतारें नहीं लगनी चाहिए थी. इसका मतलब यह है कि मरने वालों का जो आंकड़ा बताया जा रहा है, वह सही नहीं है.