कोरोना वायरस: असम के हिरासत केंद्रों में दो साल से बंद क़ैदियों को रिहा करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने असम के हिरासत केंद्रों में कैद की अवधि तीन साल से घटाकर दो साल करने के साथ ही निजी मुचलके की राशि भी एक लाख रुपये से घटाकर पांच हजार रुपये कर दी है.

आत्मसमर्पण से पहले बोले गौतम नवलखा- निर्दोष साबित होने से पहले आरोपी को दोषी मानना नया चलन

भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने यूएपीए कानून की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे कानून सामान्य न्याय की अवधारणा को बर्बाद कर देते हैं.

आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा: यह इस वक़्त की सबसे ग़ैर-ज़रूरी और बेतुकी गिरफ़्तारी है

आनंद और गौतम या शोमा और सुधा का अर्थ है लगातार बहस. वह बहस जनतंत्र के शरीर में रक्त संचार की तरह है. उसके रुकने का मतलब जनतंत्र का मरना है. फिर क्या हम और आप ज़िंदा रह जाते हैं?

देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल अशोक देसाई का निधन

अशोक देसाई साल 1996 से 1998 तक देश के अटॉर्नी जनरल रहे. उन्हें समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर रखने, नर्मदा बांध प्रकरण और असम में ग़ैरक़ानूनी प्रवासी क़ानून जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों के लिए जाना जाता है.

कोरोना: स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण करने का निर्देश देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण की मांग वाली याचिका को 'गलत' बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार कोरोनो वायरस से संक्रमित व्यक्तियों के इलाज के लिए सभी प्रकार के प्रभावी कदम उठा रही है.

कोरोना वायरस: ईरान से 860 भारतीय मछुआरों की वापसी के लिए न्यायालय में याचिका दायर

याचिका में यह दावा भी किया गया है कि 860 मछुआरों में से कोई भी अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुआ है, लेकिन वे पर्याप्त भोजन या पानी के बिना अमानवीय परिस्थितियों में ईरान में फंसे हुए हैं.

घर लौट रहे मजदूर उपमहाद्वीप में वायरस फैला सकते हैं: विश्व बैंक

अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा कि भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में अंतर्देशीय यात्री परिवहन साधनों पर रोक की घोषणा और इसे लागू करने के बीच एक दिन से भी कम समय लगा जिससे अव्यवस्था उत्पन्न हो गई.

नगालैंड: कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र सौ से अधिक विचाराधीन क़ैदियों को रिहा किया गया

कोरोनावायरस के चलते सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से जेल में बंद क़ैदियों की रिहाई के लिए एक पैनल गठित करने को कहा है. यह पैनल सात साल तक की सज़ा से संबंधित अपराधों के सज़ायाफ़्ता या इतने ही समय की सज़ा होने के अपराध के आरोपी विचाराधीन क़ैदियों की अंतरिम ज़मानत या पैरोल पर रिहाई के बारे में निर्णय देगा.

कोविड वायरस: भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीयकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

याचिका में कहा गया है कि भारत में कम बजट के आवंटन की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य का क्षेत्र हमेशा ही खस्ताहाल रहा है. याचिका में दावा किया गया है कि दुनिया भर में इस महामारी पर अंकुश लगने तक स्वास्थ सुविधाओं का राष्ट्रीयकरण किया जा चुका है.

हिरासत केंद्रों से लोगों की रिहाई की मांग, केंद्र और असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

कोरोना वायरस के मद्देनज़र असम के एक गैर सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि ऐसी ही राहत उन लोगों को भी दिए जाने की आवश्यकता है, जिन्हें फॉरेन ट्र‌िब्यूनल द्वारा विदेशी नागरिक घोषित किए जाने के बाद हिरासत में रखा गया है.

भारत में 40 करोड़ मजदूर गरीबी में फंस सकते हैं: अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन

संगठन के मुताबिक भारत में लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से मजदूर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल से ज़्यादा उम्र के क़ैदियों की रिहाई पर आदेश देने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कहा गया है कि वृद्ध क़ैदी और पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय और फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति कोरोना वायरस के संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं.

तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम को लेकर फ़र्ज़ी ख़बरों पर जमीयत ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख़

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल कर मीडिया के एक वर्ग पर सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया है. याचिका में कहा गया है कि तबलीग़ी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल पूरे मुस्लिम समुदाय को दोष देने में किया जा रहा है.

कोरोना संकट: शहरी बेरोज़गारी 22 फीसदी बढ़ी, देश में ग़रीबों की संख्या बढ़ने के आसार

भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत में साल 2006 से 2016 के बीच 27.1 करोड़ लोग ग़रीबी से बाहर आए हैं, लेकिन अब लॉकडाउन के चलते कई लोगों की ज़िंदगी अधर में है. इसके चलते हज़ारों लोग बेरोज़गार हुए है और अपने गांव-क़स्बों की ओर लौटने को मजबूर हैं.

प्रवासी मजदूरों की हालत पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते

एक जनहित याचिका में शहरों से पलायन न करने वाले कामगारों को पारिश्रमिक दिए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे बताया गया है कि ऐसे कामगारों को आश्रय गृहों में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और ऐसी स्थिति में उन्हें पैसे की क्या जरूरत है.

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