हैदराबाद के एक ऑटो चालक मोहम्मद सत्तार खान के बचाव में सामने आने वाले वकीलों के समूह ने दावा किया कि यूआईडीएआई ने एक हजार से अधिक लोगों को ऐसा ही नोटिस भेजा है. हालांकि, यूआईडीएआई ने कहा कि आधार का नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है और ये नोटिस झूठे दस्तावेजों के कारण भेजे गए हैं.
एसबीआई अधिकारियों ने कहा कि यूआईडीएआई की सुरक्षा प्रणाली में कई खामी है, जो हैक करने और कई स्टेशन आईडी बनाने को संभव बनाती है. हमने प्राधिकरण से अपील की है कि वे हमारे साथ अपने सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाने और डेटाबेस को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए काम करें.
आरटीआई के जवाब में यूआईडीएआई ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की 210 वेबसाइटों ने कुछ आधार लाभार्थियों की जानकारियां सार्वजनिक कर दीं.
उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश आधार योजना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिया. आरोप है कि आधार योजना निजता के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण करती है.
राज्य के करदाना गांव में सरकार ने उन लोगों की पेंशन रोक दी है, जिन्होंने अब तक बैंक में आधार कार्ड नहीं जमा किया है. यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मिलने वाले जीने के अधिकार की अवहेलना भी है.
पिछले कुछ समय में आधार से जुड़ी लाखों लोगों की निजी सूचनाएं लीक होने से आधार के सुरक्षित होने के दावे पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.
आधार के समर्थन में आई कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि लाखों ‘छात्रों के भूत’ मिड डे मील का लाभ उठा रहे हैं. ये दावे न तो प्रमाणिक हैं, न गंभीर जांच पर आधारित हैं.
आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सरकार की हड़बड़ी पर आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर अर्थशास्त्री रीतिका खेड़ा के साथ चर्चा कर रहे हैं द वायर के अमित सिंह.
मिड डे मील योजना को आधार कार्ड से जोड़ना पहले से ही कमज़ोर हमारी स्कूली प्रणाली को और धक्का पहुंचा सकती है. सवाल उठता है कि आख़िर सरकार बायोमेट्रिक सत्यापन के ज़रिये किस समस्या का समाधान करना चाह रही है?
मिड डे मील योजना में बच्चों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के केंद्र सरकार के कदम को रोज़ी रोटी अधिकार अभियान नाम के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है.