एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि असम को हाल ही में पूर्वोत्तर में सुरक्षा बलों पर हुए उग्रवादी हमलों और विभिन्न हिस्सों से अवैध हथियार और विस्फोटक बरामद होने के कारण अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है.
गृह मंत्रालय का कहना है कि समूचा नगालैंड क्षेत्र एक ऐसी ‘अशांत और ख़तरनाक स्थिति’ में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बल का इस्तेमाल ज़रूरी है.
इसी साल अप्रैल महीने में आफस्पा क़ानून को तीन जिलों से आंशिक रूप से हटा दिया गया था. हालांकि, तिराप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ कुछ थाना क्षेत्रों में इसे 30 सितंबर तक लागू रखने का फैसला किया था, जिसे अब 31 मार्च, 2020 तक बढ़ा दिया.
गृह मंत्रालय का कहना है कि नगालैंड को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित रखने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि राज्य के विभिन्न हिस्सों में हत्याएं, लूट और उगाही जारी है. ऐसे हालात में वहां तैनात सुरक्षा बलों की सुविधा के लिए आफस्पा की अवधि बढ़ाना ज़रूरी था.
अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों से आंशिक रूप से आफस्पा हटने समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
फरवरी 1987 में प्रदेश के गठन के साथ ही वहां लागू विवादित आफस्पा क़ानून को 32 साल बाद पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और पापुमपारे ज़िला से हटाने का फ़ैसला लिया गया है.
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असम के जमुगुरीहाट में एक कार्यक्रम के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. यहां क़ानून-व्यवस्था की स्थिति सुधरी है.
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आफ्स्पा के ख़िलाफ़ जब इरोम की लड़ाई शुरू हुई तब मणिपुर के हालात अलग तरह के थे. 16 साल पहले का मणिपुर अब काफी बदल चुका है.
इरोम पीपुल्स रिइंसर्जेंस एंड जस्टिस अलाएंस नाम की पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरी थीं. इरोम से ज़्यादा नोटा को मिले वोट.