एनसीआरबी के मुताबिक, साल 2019 में देश भर के कुल 10,281 किसानों ने आत्महत्या की थी. इसमें से 3,927 किसान आत्महत्या के मामले महाराष्ट्र के हैं. आंकड़ों के अनुसार, पिछले कई वर्षों में राज्य में हर साल 3500 से अधिक किसान अपनी जान दे देते हैं.
राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई कार्यक्रम अमल में लाए जा रहे हैं लेकिन आत्महत्या करने वाले किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान वर्तमान में चलाई जा रही किसी नीति में नहीं है.
किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र लगातार पहले स्थान पर बना हुआ है. साल 2016 में इस राज्य में सर्वाधिक 3,661 किसानों ने आत्महत्या की. इससे पहले 2014 में यहां 4,004 और 2015 में 4,291 किसानों ने आत्महत्या की थी.
आलू की एक ख़ास किस्म उगाने की वजह से पेप्सिको इंडिया ने गुजरात के चार आलू किसानों के ख़िलाफ़ पेटेंट अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाकर याचिका दायर की थी. साथ ही एक हर किसान से क्षतिपूर्ति के रूप में 1.05 करोड़ रुपये की मांग की थी.
अमेरिकी कंपनी पेप्सिको ने अदालत में दावा किया कि अपने उत्पाद लेज़ चिप्स बनाने के लिए आलू की यह किस्म उगाने का अधिकार सिर्फ़ उसके पास है. अदालत ने चारों किसानों पर आलू की ख़ास किस्म उगाने पर रोक लगाई.
कांग्रेस बोली, पिछले 3 सालों में 38 हज़ार किसानों ने आत्महत्या की है. 35 किसान हर दिन आत्महत्या कर रहे हैं. सरकार ने किसानों की जगह अमीरों का क़र्ज़ माफ़ किया.
राज्य सरकार ने बताया यह किसानों का नहीं, शरारती तत्वों का काम. उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर किसान सड़क पर फेंक रहें हैं आलू.