दिल्ली की एक अदालत ने फेसबुक पर किसान आंदोलन से जुड़ा कथित फ़र्ज़ी वीडियो डालने के एक मामले की सुनवाई में कहा कि शांति-व्यवस्था क़ायम रखने के लिए सरकार के पास राजद्रोह क़ानून एक शक्तिशाली औजार है पर इसे उपद्रवियों को क़ाबू करने के बहाने असंतुष्टों को चुप कराने के लिए लागू नहीं किया जा सकता.
डिजिटल अधिकार समूहों का कहना है कि दुनिया भर में इंटरनेट को बंद करना दमनकारी और निरंकुश शासनों और कुछ अनुदार लोकतंत्रों की एक लोकप्रिय रणनीति बन गई है. सरकारें इसका उपयोग असहमति की आवाज़, विरोधियों की आवाज़ दबाने या मानवाधिकारों के हनन को छुपाने के लिए करती हैं.
वीडियो: किसान आंदोलन के शांतिपूर्ण होने के बावजूद सरकार का रुख कड़ा और अड़ियल है. मुख्यधारा का मीडिया पूरी तरह उसके साथ है. इंटरनेट बैन, किसानों की गिरफ़्तारी के साथ कई पत्रकारों पर भी मामले दर्ज हुए. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार प्रंजॉय गुहा ठाकुरता और द वायर के अजॉय आशीर्वाद से उर्मिलेश की बातचीत.
सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदायों की ओर से बुलाए गए बंद में बुधवार को हुई हिंसा में घायल एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसने दम तोड़ दिया है.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर मंगलवार को दो अन्य युवकों ने भी जान देने की कोशिश की. बुधवार को मुंबई बंद रखने का आह्वान. औरंगाबाद के ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद.