केंद्र ने कहा कि हाल ही में गंगा और इसकी सहायक नदियों में शवों, आंशिक रूप से जले और क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं. यह अनुचित और बेहद चिंताजनक है. नमामि गंगे मिशन राज्यों को इस पर रोक लगाने और शवों का सुरक्षित और सम्मानजनक निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश देता है.
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 900 से अधिक शवों को नदी के किनारे दफनाया गया था. इसी तरह कन्नौज में यह संख्या 350, कानपुर में 400 और गाजीपुर में 280 है.
हाईकोर्ट ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार से ज़िलावार मौतों का आंकड़ा पेश करने को कहा है. साथ ही सरकार से पहली लहर के दौरान गांवों में लौटे लगभग 40 लाख प्रवासियों की स्थिति रिपोर्ट के अलावा बक्सर में गंगा नदी में तैरती पाई गईं संदिग्ध कोरोना संक्रमित लाशों पर जवाब दाख़िल करने को कहा है.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले का मामला. प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के जिला महासचिव ने कहा कि पिछले साल से चौबीसों घंटे काम करने के बावजूद हमें नियमित रूप से परेशान किया जा रहा है और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जेल भेजने की धमकी भी दी जा रही है. वे हम पर ज़िम्मेदारी से काम नहीं करने का झूठा आरोप लगाकर डांटते हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह ज़िले गोरखपुर और आस-पास के तीन ज़िलों- देवरिया, महराजगंज और कुशीनगर में कोरोना की दूसरी तीव्र लहर के बीच स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बुरे हाल हैं. प्रदेश सरकार स्थिति नियंत्रण में होने की बात कह रही है, लेकिन ख़ुद सरकारी आंकड़े इसके उलट इशारा कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में लखनऊ पुलिस एक थाई युवती की मौत की जांच कर रही है, जिसकी कोरोना संक्रमण से तीन मई को मौत हो गई. इसके बाद सपा नेता आईपी सिंह ने मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि महिला कॉलगर्ल थीं और उन्हें भाजपा सांसद संजय सेठ के बेटे ने लखनऊ बुलाया था.
बक्सर ज़िले में चौसा के पास गंगा नदी से मिले दर्जनों संदिग्ध कोविड-19 संक्रमित अज्ञात शवों को पोस्टमार्टम व डीएनए टेस्ट के लिए नमूने लिए जाने के बाद प्रशासन द्वारा दफना दिया गया. कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के बढ़ते प्रकोप के चलते विशेषज्ञ शवों को ऐसे नदी में बहाए जाने को बेहद चिंताजनक बता रहे हैं.
कोरोना की पहली लहर देश के ग्रामीण क्षेत्रों को बहुत प्रभावित नहीं कर पाई थी, लेकिन दूसरी लहर शोक का सागर लेकर आई है. बीते एक पखवाड़े में पूर्वांचल के गांवों में हर दिन कई लोग बुखार, खांसी व सांस की तकलीफ़ के बाद जान गंवा रहे हैं. जांच के अभाव में इन्हें कोरोना से हुई मौतों के तौर पर दर्ज नहीं किया गया है.
बक्सर पुलिस ने बताया कि इसमें से कुछ शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है और कुछ की अभी कोरोना टेस्टिंग की जानी है. ज़िला प्रशासन के अधिकारियों ने ये भी कहा कि ऐसा हो सकता है कि ये शव पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी और इलाहाबाद जैसे शहरों से बहकर आए हों. उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना नदी में भी शव मिले हैं. प्रशासन ने कहा कि मौतें कोविड से नहीं हुई हैं.
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया के ज़रिये यह अफ़वाह फ़ैलाई जा रही है कि उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में 5जी सेवा के परीक्षण से रेडिएशन हो रहा है, जिसकी वजह से कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और लोगों की मौत हो रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने ऐसी अफ़वाहों पर लगाम लगाने के लिए छोटी से छोटी सूचना पर तत्काल प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
देशभर में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच मरीज़ों को समय पर वेंटिलेटर न मिलने की बात सामने आ रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के दर्जन भर से अधिक ज़िलों के अस्पतालों में प्रशिक्षित स्टाफ की कमी या ऑक्सीजन का उचित दबाव न होने जैसी कई वजहों के चलते उपलब्ध वेंटिलेटर्स ही काम में नहीं आ रहे हैं.
गोमती नगर के सन हॉस्पिटल ने तीन मई को एक नोटिस में रोगियों के परिजनों से ऑक्सीजन की कमी के चलते उनके मरीज़ को अस्पताल से शिफ्ट करने की बात कही थी. इसके बाद लखनऊ प्रशासन ने अस्पताल पर ऑक्सीजन की कमी को लेकर 'झूठी ख़बर' फैलाने के आरोप में मामला दर्ज करवाया है. अस्पताल ने कहा है कि वे इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट जाएंगे.
योगी सरकार का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब भारत के अधिकांश राज्यों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश भी कोविड-19 संक्रमितों की बढ़ती संख्या और चिकित्सा आपूर्ति की कमी से पीड़ित है और राज्य की चिकित्सा सुविधा पर सवाल उठ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में चौरीचौरा के ब्रह्मपुर ब्लाक में हुए बवाल के दौरान पुलिस चौकी में भी आग लगा दी गई थी. पुलिस ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत अन्य धाराओं में 500 से अधिक लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. रिटर्निंग ऑफिसर के ख़िलाफ़ चुनाव परिणामों में गड़बड़ी के आरोप में मामला दर्ज कराया गया है.
घटना रायबरेली की है, जहां कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया था कि ज़िले में स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान 20 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन पड़ोसी ज़िले कानपुर भेजी गई. ज़िला प्रशासन ने तीन स्थानीय पत्रकारों को नोटिस जारी कर उन जानकारियों का स्रोत पूछा है, जिसके आधार पर ख़बरें लिखी गई थीं.