भारत बायोटेक की ओर से कहा गया है कि वह डब्ल्यूएचओ की आपात इस्तेमाल सूची में कोवैक्सीन के सूचीबद्ध होने को लेकर आश्वस्त है. हाल में कुछ ख़बरें आई थीं कि जिन भारतीयों ने कोवैक्सीन की खुराक ली हैं, उन्हें विदेश यात्रा करने में परेशानी आ रही है, क्योंकि इस टीके को मान्यता नहीं मिली है.
देश में कोविड-19 टीकों की भारी कमी के बीच पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक सुरेश जाधव ने आरोप लगाया है कि सरकार ने टीकों के उपलब्ध स्टॉक और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश को ध्यान में रखे बिना कई आयु वर्ग के लोगों को टीका लगाना शुरू कर दिया है.
कोविशील्ड और कोवैक्सीन के बाद देश में शुक्रवार को एक तीसरे टीके को भारतीय बाज़ारों के लिए जारी कर दिया गया और पिछले दो टीकों की केंद्र, राज्यों और बाज़ार के लिए अलग-अलग कीमत के बजाय इसकी एक ही कीमत 995.40 रुपये प्रति खुराक रखी गई है.
टीकों की बढ़ती मांग के बीच कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला ने कहा कि भारत की आबादी बहुत बड़ी है और सभी वयस्कों के लिए पर्याप्त खुराक का उत्पादन करना कोई आसान काम नहीं है. उन्होंने कहा कि कंपनी उत्पादन बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और अगले कुछ महीनों में 11 करोड़ टीकों की आपूर्ति की जाएगी.
देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान टीके की बढ़ती मांग के बीच लंदन पहुंचे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि वे दबाव के चलते देश से बाहर गए हैं. उन्होंने कहा कि सब उनके कंधों पर आ पड़ा है, जो उनके वश की बात नहीं है. उन्होंने भारत के बाहर वैक्सीन निर्माण की व्यावसायिक योजनाओं के संकेत दिए हैं.
टीकाकरण अगर सफल होना है तो उसे मुफ़्त होना ही होगा, यह हर टीकाकरण अभियान का अनुभव है, तो भारत में ही क्यों लोगों को टीके के लिए पैसा देना पड़ेगा? महामारी की रोकथाम के लिए टीका जीवन रक्षक है, फिर भारत सरकार के लिए एक करदाता के जीवन का महत्त्व इतना कम क्यों है कि वह इसके लिए ख़र्च नहीं करना चाहती?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की कोविड-19 टीकाकरण नीति पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि हमें राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल को क्यों नहीं अपनाना चाहिए? केंद्र सौ प्रतिशत का अधिग्रहण क्यों नहीं कर सकता, निर्माताओं की पहचान करें और उनके साथ बातचीत करें और फिर राज्यों को वितरित करें.
केंद्र की मोदी सरकार ने कोविड-19 टीकाकरण के तीसरे चरण में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को टीका लगाने की शुरुआत करने की तारीख़ एक मई तय कर दी है. हालांकि राज्यों का कहना है कि उनके पास टीका का पर्याप्त स्टॉक नहीं है, इसलिए एक मई से टीकाकरण की शुरुआत कर पाना उनके लिए मुश्किल है.
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की कीमत राज्यों के लिए 400 रुपये कर दी थी, जिसकी काफ़ी आलोचना हो रही थी. भारत बायोटेक ने भी कोवैक्सीन की कीमत बढ़ा दी है. इस बीच गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला की सीआरपीएफ के सुरक्षाकर्मी सुरक्षा करेंगे.
केंद्र सरकार ने ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ के लिए 150 रुपये पर समझौता किया था, लेकिन जैसे ही सरकार ने वैक्सीन उत्पादकों को राज्यों और खुले बाज़ार के लिए कीमत तय करने की छूट दी, वैसे ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने क्रमश: राज्यों के लिए 400 और 600 रुपये, जबकि निजी अस्पतालों के लिए 600 और 1200 रुपये प्रति खुराक कीमत तय कर दी. विभिन्न राज्यों ने इन कंपनियों पर संकट काल में मुनाफ़ाखोरी का आरोप लगाया
केंद्र सरकार ने ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ के लिए 150 रुपये पर समझौता किया था, लेकिन जैसे ही सरकार ने वैक्सीन उत्पादकों को राज्यों और खुले बाज़ार के लिए कीमत तय करने की छूट दी, वैसे ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने क्रमश: राज्यों के लिए 400 और 600 रुपये, जबकि निजी अस्पतालों के लिए 600 और 1200 रुपये प्रति खुराक कीमत तय कर दी. विभिन्न राज्यों ने इन कंपनियों पर संकट काल में मुनाफ़ाखोरी का आरोप लगाया
कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दावा किया कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया 35,350 करोड़ रुपये और भारत बायोटेक 75,750 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा बनाएंगे. सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा निर्मित कोविशील्ड टीका राज्य सरकारों को 400 रुपये प्रति खुराक और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में मिलेगा. वहीं भारत बायोटेक का टीका कोवैक्सीन प्रति खुराक राज्यों को 600 रुपये और निजी अस्पतालों को 1200 रुपये में मिलेगा.
भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने कहा है कि पूरे देश में वैक्सीन के इंजेक्शन की कीमत एक ही होनी चाहिए और यह कीमत शून्य होनी चाहिए. उन्होंने कोविड-19 टीके की मूल्य नीति को जटिल और राजनीति से भरा बताया. भारत में कोविड वैक्सीन तैयार करने वाली कंपनियां सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक ने इसकी कीमत बढ़ा दी है.
शुरुआत में केंद्र सरकार ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीनों के लिए 150 रुपये पर समझौता किया था, लेकिन जैसे ही सरकार ने वैक्सीन उत्पादकों को राज्यों और खुले बाज़ार के लिए कीमत तय करने की छूट दी, वैसे ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने क्रमश: राज्य सरकारों के लिए 400 और 600 रुपये, जबकि निजी अस्पतालों के लिए 600 और 1200 रुपये प्रति खुराक की कीमत तय कर दी.
एक मई से देश के निजी अस्पतालों में कोविशील्ड वैक्सीन 600 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर मिलेगी, जबकि वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट कर रही है, जिसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने कहा था कि 150 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर भी उनकी कंपनी मुनाफा कमा रही है.