ओडिशा के भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य की सत्ताधारी बीजेडी सरकार ने अपने केंद्रीकृत टोकन प्रणाली के साथ किसानों को गुमराह किया है जिसके कारण कई किसान अपनी उपज बेचने में असमर्थ हैं. हालांकि, बीजेडी ने भरोसा दिलाया कि वास्तविक किसानों की फसल ख़रीदी जाएगी.
आरटीआई के तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत अयोग्य लाभार्थियों की बड़ी संख्या पांच राज्यों- पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है. अयोग्य लाभार्थियों में आधे से अधिक यानी 54.03 प्रतिशत लोग पंजाब, असम और महाराष्ट्र से हैं.
साल 2018 के मुकाबले किसानों की आत्महत्या में मामूली गिरावट आई है, जबकि दिहाड़ी कामगारों की आत्महत्या में आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र की पीएसएस योजना के तहत दालें एवं तिलहन की ख़रीद के लिए 25.79 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन सरकारों ने इसमें से 14.20 लाख किसानों से ही उनकी उपज की ख़रीददारी की है.
द वायर द्वारा सूचना का अधिकार क़ानून के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने रबी-2020 ख़रीद सीज़न में 20 राज्यों से कुल 58.71 लाख टन दालें और तिलहन ख़रीदने का लक्ष्य रखा था, हालांकि इसमें से सिर्फ़ 29.25 लाख टन उपज की ख़रीदी हो पाई है.
मामला मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के सिलौली का है, जहां एक पचास वर्षीय किसान का शव खेत में लटका मिला. उनके परिजनों ने बताया कि वह लॉकडाउन के कारण गन्ने की फसल न बेच पाने की वजह से अवसाद में थे.
देश में एक राशन कार्ड पर एक किलो दाल के आधार पर एक महीने के लिए 2,36,000 टन दाल की जरूरत है. लेकिन केवल 19,496 टन यानी कि 8.2 फीसदी दाल का ही अभी तक राज्यों में वितरण हुआ है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहत पैकेज के तहत घोषणा की थी कि 8.69 करोड़ किसानों को पीएम-किसान का 2000 रुपया तत्काल प्रभाव से दिया जाएगा. हालांकि अभी तक 7.1 करोड़ किसानों को ही इसका लाभ मिला है.
केंद्र द्वारा तय किए गए नए कोटे के तहत विदेशों से मटर और तूअर दाल की ख़रीदी की जानी है. इसके चलते घरेलू दालों के दाम गिर सकते हैं और देश के किसानों को इसका ख़ामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कृषि मंत्रालय ने कहा था कि चूंकि पीएम-किसान योजना के तहत पूरी राशि ख़र्च नहीं हो पा रही है, इसलिए जो राशि बच गई है उसे अन्य योजनाओं के इस्तेमाल में लाया जा सकता है. हालांकि वित्त मंत्रालय ने इस मांग को ख़ारिज कर दिया था.
आरटीआई के तहत सामने आई जानकारी के अनुसार करीब 2.51 करोड़ किसानों को योजना की दूसरी किस्त भी नहीं मिली है.
मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पाने के लिए पिछले कुछ सालों में कई कृषि योजनाओं को लॉन्च किया था. हालांकि इनके लागू होने की खराब स्थिति के चलते सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन योजनाओं के आवंटित बजट में बड़ी कटौती की है.
केंद्रीय बजट से एक दिन पहले जारी किए गए आर्थिक सर्वे में भगवद गीता, ऋगवेद, कौटिल्य के अर्थशास्त्र, तमिल संत तिरुवल्लुवुर की शिक्षाओं ‘द तिरुकुरल’ के उद्धरण भी दिए गए हैं.
रिपोर्ट में इस ओर इशारा किया गया है कि अगर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है तो उसे कृषि क्षेत्र में मूलभूत चुनौतियों का समाधान करना होगा.
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कृषि विकास दर घटकर मात्र 2.8 फीसदी पर आ गई है. आर्थिक सर्वे 2019-20 में कृषि क्षेत्र की मूलभूत चुनौतियों का समाधान करने के लिए कहा गया है.