भाजपा के केरल प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन पर आरोप है कि उन्होंने आदिवासी नेता तथा जनाधिपत्य राष्ट्रीय पार्टी की अध्यक्ष सीके जानू को अप्रैल में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में वापस लाने के लिए 10 लाख रुपये का भुगतान किया था. इससे पहले सुरेंद्रन के ख़िलाफ़ मंजेश्वरम क्षेत्र से अपना नामांकन वापस लेने के लिए बसपा उम्मीदवार के. सुंदर को रिश्वत देने के आरोप में केस दर्ज किया था.
बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरने वाले के. सुंदर ने हाल में आरोप लगाया था कि भाजपा द्वारा नामांकन वापस लेने के लिए उन्हें शुरू में तो धमकी दी गई, लेकिन बाद में 2.5 लाख रुपये की रिश्वत दी गई. हालांकि सुंदर के नामांकन वापस लेने के बावजूद प्रदेश भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन मंजेश्वर सीट से हार गए थे.
केरल में भाजपा के कई नेताओं की केरल पुलिस द्वारा 3.5 करोड़ रुपये की एक राजमार्ग डकैती के संबंध में जांच की जा रही है, जिसके बेहिसाब चुनावी फंड होने का संदेह है. इसके बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने केरल इकाई को मुहैया कराए गए चुनावी फंड के वितरण और उनके इस्तेमाल पर एक रिपोर्ट जमा करने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति से कहा है.
विधानसभा चुनाव में भाजपा के गठबंधन में शामिल रहे एक दल जनाधिपत्य राष्ट्रीय सभा की एक नेता ने भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन का एक कथित ऑडियो क्लिप जारी करते हुए आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी प्रमुख ने एनडीए में शामिल होने के लिए दस करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें से उन्हें 10 लाख रुपये दिए गए थे.
केरल विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि महामारी से लड़ने के लिए हमें सभी के लिए मुफ्त टीकाकरण प्रदान करने की ज़रूरत है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि समाज के सभी वर्ग वायरस से सुरक्षित हैं. केंद्र सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं बच सकती और सब कुछ राज्यों पर नहीं छोड़ सकती. उसे समयबद्ध तरीके से टीकाकरण सुनिश्चित करना चाहिए.
स्मृति शेष: देश में महिला और जेंडर संबंधी अध्ययन को बढ़ावा देने वालों में से एक चर्चित समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री के. शारदामणि नहीं रहीं. शारदामणि ने न केवल महिला अध्ययन केंद्रों की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई थी, बल्कि इंडियन एसोसिएशन फॉर विमेंस स्टडीज़ की स्थापना में भी योगदान दिया.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन समेत पंद्रह मंत्रियों ने संविधान के नाम पर शपथ ली, वहीं पांच ने ईश्वर के नाम पर शपथ ली. नए कैबिनेट में 75 फीसदी नेता पहली बार मंत्री और दस पहली बार विधायक बने हैं. साथ ही मंत्रिमंडल में पहली बार तीन महिलाओं को जगह मिली है.
शैलजा टीचर प्रसंग बताता है कि माकपा में व्यापक जनमत को लेकर कोई विशेष सम्मान नहीं है. वह जनमत को पार्टी लाइन के आगे नहीं मानती है. इसी हठधर्मिता के कारण वो सिंगूर और नंदीग्राम में जनता के विरोध के बावजूद अपनी लाइन पर अड़ी रही और बर्बाद हो गई. सत्ता चली गई, लाइन बची रह गई!
निवर्तमान स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को केरल में निपाह वायरस के अलावा कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है. उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से तमाम नेताओं ने नाख़ुशी ज़ाहिर की है. पिनराई विजयन की गठबंधन सरकार में माकपा के कोटे से 11 नए मंत्री होंगे, जिनमें उनके दामाद भी शामिल हैं. पार्टी का कहना है कि उन्होंने पहले ही कहा था कि कैबिनेट में नए चेहरों को मौका दिया जाएगा.
पश्चिम बंगाल के चुनाव के नतीजों की कई व्याख्याएं हो सकती हैं, और होनी भी चाहिए. लेकिन हर व्याख्या की शुरुआत यहीं से करनी होगी कि पश्चिम बंगाल के मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी की एक नहीं सुनी.
पश्चिम बंगाल की 294, असम की 126, तमिलनाडु की 234, केरल की 140 और पुदुचेरी की 30 सीटों के लिए बीते 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच मतदान हुए थे. केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के नेतृत्व में माकपा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रटिक फ्रंट ने फ़िर से विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. तमिलनाडु में बीते 10 साल से सत्ता से बाहर रही द्रमुक की वापसी हुई है और केंद्रशासित प्रदेश पुदुचेरी में एनआर कांग्रेस के नेतृत्व
निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि उसने कई जगहों पर जीत का जश्न मनाने के लिए लोगों के जमा होने को लेकर कड़ा रुख़ अपनाया है और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा कि ऐसी स्थिति में प्राथमिकी दर्ज की जाए तथा थाना प्रभारी को निलंबित किया जाए.
पश्चिम बंगाल की 294, असम की 126, तमिलनाडु की 234, केरल की 140 और पुदुचेरी की 30 सीटों पर आज विधानसभा चुनाव परिणाम आएंगे. अधिकारियों ने बताया कि वोटों की गिनती निर्वाचन आयोग के सख्त दिशानिर्देशों के मुताबिक होगी, ताकि कोरोना वायरस के प्रसार को रोका जा सके. इसमें एजेंट के लिए आरटी-पीसीआर की जांच भी शामिल है.
टीकाकरण अगर सफल होना है तो उसे मुफ़्त होना ही होगा, यह हर टीकाकरण अभियान का अनुभव है, तो भारत में ही क्यों लोगों को टीके के लिए पैसा देना पड़ेगा? महामारी की रोकथाम के लिए टीका जीवन रक्षक है, फिर भारत सरकार के लिए एक करदाता के जीवन का महत्त्व इतना कम क्यों है कि वह इसके लिए ख़र्च नहीं करना चाहती?
विधानसभा चुनाव राउंड-अप: पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद दो निवर्तमान विधायकों समेत चुनाव मैदान में उतरे विभिन्न दलों के तीन प्रत्याशियों की मौत हो चुकी है. तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग के हाथ कोविड-19 मरीज़ों के खून से सने हैं, क्योंकि इसके ख़तरे को उन्होंने नज़रअंदाज़ किया.