रोज़गार सृजन नहीं हुआ तो भावी पीढ़ी माफ़ नहीं करेगी: श्रम मंत्री

श्रम सचिव एम. सत्यवती ने कहा, हर साल एक करोड़ युवा रोज़गार चाहने वालों में शामिल होते हैं. दुर्भाग्य से नौकरी पाने के लिए कई युवाओं में ज़रूरी कौशल नहीं होता.

हिमाचल विधानसभा चुनाव: पहले दो घंटे में पड़े 13.72 प्रतिशत वोट

चुनाव प्रचार अभियान में भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर निशाना साधा, जबकि कांग्रेस ने जीएसटी और नोटबंदी को लेकर भाजपा पर प्रहार किया.

दिल्ली की चुनी हुई सरकार के कामकाज में उपराज्यपाल बाधा नहीं बन सकते: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने कहा, मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद की सहायता और परामर्श शब्द शून्य में नहीं हैं, उन्हें कुछ मायने तो देना ही होगा.

दिल्ली सरकार कोई नीतिगत फ़ैसला करती है तो एलजी को जानकारी देनी ज़रूरी: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने कहा, अगर दिल्ली सरकार एक नीतिगत फ़ैसला करती है तो वह एलजी को जानकारी देने के लिए बाध्य है, परंतु एलजी का सहमत होना ज़रूरी नहीं है.

हिमाचल में प्रचार अभियान समाप्त, मतदान कल

हिमाचल प्रदेश चुनाव राउंडअप: भाजपा के नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार को बनाया मुद्दा, कांग्रेस के राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी पर किया प्रहार, अब फ़ैसला जनता के हाथ.

नोटबंदी ने फूलती-फलती अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास का सफाया कर दिया: राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, मोदी ने रोजगारहीनता एवं आर्थिक अवसरों की कमी से उत्पन्न गुस्से को सांप्रदायिक घृणा में तब्दील कर भारत को क्षति पहुंचाई है.

निजी क्षेत्र में आरक्षण समय की ज़रूरत ​है

निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग पर विचार करने से पहले यह उल्लेख कर देना ज़रूरी है कि आरक्षण के मसले पर मेरिट, सामान्य श्रेणी के साथ अन्याय व निजी क्षेत्र की स्वायत्तता में बेमानी दख़ल जैसे तर्कों पर फ़ालतू चर्चा का अब कोई मतलब नहीं है.

क्यों देश में भ्रष्टाचार के प्रतीक सुखराम हिमाचल के मंडी जिले में विकास पुरुष हैं?

ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के भ्रष्टाचार की कहानी भले ही पूरे देश में चर्चा का विषय रही है लेकिन छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी में उनके विरोधी भी उन्हें भ्रष्ट कहने से बचते नज़र आते हैं.

शौर्य डोभाल की सफाई जवाब से ज़्यादा सवाल खड़े करती है

द वायर की रिपोर्ट पर इंडिया फाउंडेशन की प्रतिक्रिया बेहद असंतोषजनक है. फाउंडेशन द्वारा न तो रिपोर्ट में उठाये गये और न ही निदेशकों को भेजे गए किसी सवाल का स्पष्ट जवाब दिया गया है.

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