इसी तरह राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में भी सामाजिक बहिष्कार का एक मामला सामने आया है. नोएडा में घर की रखवाली का काम करने वाले एक व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद कोई भी मदद के लिए आगे नहीं. पश्चिम बंगाल के इस परिवार ने पुलिस की मदद से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी.
लखनऊ की सत्र अदालत द्वारा ज़मानत याचिका खारिज़ किए जाने के बाद प्रशांत कनौजिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया था. प्रशांत को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट के लिए 18 अगस्त को दिल्ली में उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था.
पत्रकार प्रशांत कनौजिया को एक ट्वीट के चलते 18 अगस्त को यूपी पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. सोमवार को यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में दायर उनकी ज़मानत याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है, जिसके लिए अदालत ने अनुमति दे दी है.
यूपी पुलिस द्वारा दूसरी बार प्रशांत कनौजिया को गिरफ़्तार किया गया है. उन पर हिंदू आर्मी के नेता की पोस्ट से छेड़छाड़ कर प्रसारित करने के आरोप में आईपीसी की नौ धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिनमें अधिकतम सात साल तक क़ैद की सज़ा दी जा सकती है.
घटना 15 जून की है, जब अपनी मां के साथ रोडवेज़ बस से नोएडा से शिकोहाबाद जा रही 19 वर्षीय युवती रास्ते में थकान और गर्मी से बेहोश हो गई. परिजनों का आरोप है कि बस ड्राइवर और कंडक्टर ने कोरोना संक्रमित होने के संदेह में उसे बस से बाहर फेंक दिया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की घटना. परिवार का आरोप है अस्पताल द्वारा मरीज़ से मिलने के नाम पर 4000 रुपये अतिरिक्त मांगा जा रहा था, जिसे लेकर विवाद शुरू हुआ है. पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है.
उत्तर प्रदेश में नोएडा के सेक्टर 24 स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के 120 पैरामेडिकल कर्मचारियों को तीन महीने का वेतन नहीं मिला है. उनका आरोप है कि वेतन मांगने पर नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है.
बीते पांच जून को नोएडा के कम से कम आठ अस्पतालों ने कोरोना संक्रमित होने के संदेह में आठ माह की एक गर्भवती महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया था. करीब 13 घंटे तक परिवार द्वारा कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद महिला ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया था.
नोएडा में बीते दिनों नौ महीने की गर्भवती महिला के इलाज के लिए परिवार वाले 13 घंटे तक अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे, पर इलाज न मिलने पर एंबुलेंस में ही महिला की मौत हो गई. एक अन्य मामले में गर्भवती महिला ने समय पर इलाज न मिलने पर अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर मृत बच्चे को जन्म दिया था.
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद शहर का मामला. आरोप है कि आठ माह की गर्भवती पत्नी को लेकर युवक सुबह से शाम तक ग़ाज़ियाबाद से लेकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा तक के अस्पतालों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन कहीं बेड न होने और कहीं पत्नी में कोरोना वायरस के लक्षण होने की बात कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया गया.
पुलिस ने बताया कि नोएडा के फेस-तीन में स्थित फैक्टरी मार्च से बंद थी. इसे सरकार के आदेश पर खोला गया है. फैक्टरी प्रबंधन का कहना है कि खरीददार से भुगतान नहीं मिलने के कारण मजदूरों को वेतन देने में असुविधा हो रही है.
देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बड़े शहरों में काम करने वाले मज़दूरों के पास काम बंद हो जाने की स्थिति में दो विकल्प थे- या तो घर लौट जाएं, या फिर यहीं रहकर काम दोबारा शुरू होने का इंतज़ार करें. घरों तक के सफ़र में मज़दूरों के सामने तमाम चुनौतियां आई हैं, लेकिन जो नहीं गए उनका भी हाल कुछ बेहतर नहीं है.
अलीगढ़ स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर अस्पताल प्रशासन ने कोरोना आइसोलेशन वार्ड में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग न मानी तो वे भूख हड़ताल करेंगे.
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने नई पार्टी का नाम 'आज़ाद समाज पार्टी' रखा है, जिसका झंडा नीले रंग का होगा.
पुलिस ने बताया कि नोएडा सेक्टर 65 में खाद्य सामग्री बनाने वाली कंपनी हल्दीराम के प्लांट में अमोनिया गैस रिसाव की चपेट में आकर प्लांट के चार कर्मचारी बेहोश हो गए थे. उनमें से एक संजीव कुमार की इलाज के दौरान मौत हो गई. अन्य तीन की हालत गंभीर बनी हुई है.