देश के वंचितों के स्वास्थ्य की बदतर स्थिति का एक तरह से मखौल उड़ाती सरदार पटेल की मूर्ति के लिए 121 करोड़ के चंदे की ख़बर पर चर्चा नहीं हो सकी.
जन गण मन की बात की 148वीं कड़ी में विनोद दुआ भाजपा के कांग्रेस में तब्दील होने और दिल्ली में प्रदूषण पर चर्चा कर रहे हैं.
ब्रिटेन की एक हेल्थ मैगजीन ने अपने शोध में बताया कि बांग्लादेश में डॉक्टर सिर्फ 48 सेकेंड और पाकिस्तान में 1.3 मिनट का समय देते हैं.
प्रख्यात अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य देबरॉय ने कहा कि भ्रष्टाचार से अपेक्षाकृत गरीबों को ज्यादा नुकसान होता है और भ्रष्टाचार पर शिकंजे का असर अमीरों पर पड़ता है.
श्रम सचिव एम. सत्यवती ने कहा, हर साल एक करोड़ युवा रोज़गार चाहने वालों में शामिल होते हैं. दुर्भाग्य से नौकरी पाने के लिए कई युवाओं में ज़रूरी कौशल नहीं होता.
हरियाणा के गुरुग्राम स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में आठ सितंबर को प्रद्युम्न का शव मिला था.
चुनाव प्रचार अभियान में भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाकर भाजपा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर निशाना साधा, जबकि कांग्रेस ने जीएसटी और नोटबंदी को लेकर भाजपा पर प्रहार किया.
इस फिल्म के दो नायक हैं, अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव. दोनों एक-दूसरे से उतने ही अलग हैं जैसे कि भाप और बर्फ.
जन गण मन की बात की 147वीं कड़ी में विनोद दुआ नोटबंदी के एक साल और पैराडाइज़ पेपर्स मामले पर चर्चा कर रहे हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: इस साल जुलाई में शिमला से 80 किमी दूर कोटखाई में एक स्कूली छात्रा की गैंगरेप के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी.
हिमाचल प्रदेश चुनाव राउंडअप: भाजपा के नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार को बनाया मुद्दा, कांग्रेस के राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी पर किया प्रहार, अब फ़ैसला जनता के हाथ.
ईडी ने अदालत को बताया कि एजेंसी के पास माल्या को अपराधी घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.
निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग पर विचार करने से पहले यह उल्लेख कर देना ज़रूरी है कि आरक्षण के मसले पर मेरिट, सामान्य श्रेणी के साथ अन्याय व निजी क्षेत्र की स्वायत्तता में बेमानी दख़ल जैसे तर्कों पर फ़ालतू चर्चा का अब कोई मतलब नहीं है.
ग्राउंड रिपोर्ट: पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के भ्रष्टाचार की कहानी भले ही पूरे देश में चर्चा का विषय रही है लेकिन छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी में उनके विरोधी भी उन्हें भ्रष्ट कहने से बचते नज़र आते हैं.
कोर्ट ने केंद्रीय श्रम सचिव को 10 नवंबर से पहले पेश होकर यह बताने का निर्देश दिया है कि नियमों को कैसे लागू किया और क्यों इसका दुरुपयोग हुआ.