वीडियो: वॉट्सऐप ने अपनी सेवा शर्तों और प्राइवेसी नीति में बदलाव किया है. वह अपने यूज़र्स के डेटा/कंटेंट का ज़्यादा व्यापक इस्तेमाल चाहता है. दूसरी तरफ न्यूज़ चैनलों पर वैक्सीन-वैक्सीन के शोर के बीच किसान आंदोलन को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है. मीडिया बोल की इस कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश के रे और टीवी पत्रकार व लेखक डॉ. मुकेश कुमार से उर्मिलेश की बातचीत.
कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी संख्या क़रीब तीन करोड़ है. इसके बाद 50 साल की उम्र से अधिक और 50 साल से कम उम्र के वे समूह, जिनकी कोई कोमॉर्बिड अवस्था है, को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनकी संख्या क़रीब 27 करोड़ है.
इससे पहले किसानों और सरकार के बीच चार जनवरी को हुई सातवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी. किसान जहां तीनों कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं, तो दूसरी ओर सरकार क़ानूनों के दिक्कत वाले प्रावधानों और अन्य विकल्पों पर चर्चा करने पर अडिग नज़र आ रही है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा बीते बृहस्पतिवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि कृषि और जनउपयोगी सेवाओं मसलन बिजली और गैस आपूर्ति को छोड़कर अर्थव्यस्था के अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आने का अनुमान है. मुख्य रूप से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के ख़राब प्रदर्शन की वजह से अर्थव्यवस्था में यह गिरावट आएगी.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कई राज्यों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं में एक महीने से अधिक समय से विरोध कर रहे हैं
2019 में बसपा के छह विधायकों के सत्तारूढ़ कांग्रेस में जाने के मामले की दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर समेत पूर्व बसपा विधायकों को नोटिस जारी किए हैं. इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा दिए आदेश को बसपा और एक भाजपा विधायक ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है.
केंद्र सरकार से शुक्रवार को होने वाली आठवें दौर की बातचीत से पहले हज़ारों किसानों ने दिल्ली और हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकाला. किसानों का कहना है कि 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड से पहले यह महज़ एक रिहर्सल है.
भाजपा के पूर्व मंत्री टिकशान सूद के बयान से नाराज प्रदर्शनकारी किसानों ने उनके घर के बाहर गोबर फेंक दिया था जिसके बाद उन पर हत्या के प्रयास सहित कई अन्य आरापों में मामला दर्ज कर लिया गया था. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करने वाले एसएचओ के तबादले का भी आदेश दिया है और अब मामले की जांच एसआईटी कर रही है.
मामला शाहजहांपुर जेल का है, जहां 21 दिसंबर को जेल परिसर में क़ैदियों को कंबल बांटने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें आसाराम की तस्वीर वाला बैनर लगाया गया था. सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम की तस्वीर वायरल होने के बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन के भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल को मंज़ूरी देने के बाद से इसे लेकर कुछ सवाल उठ रहे हैं. लेकिन सरकार और उसके समर्थक जवाब न देने की अपनी पुरानी परंपरा के मुताबिक़ सवाल पूछने वालों पर राजनीति करने की तोहमत लगा रहे हैं.
मामला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर का है. हिंदुत्ववादी संगठन बजरंग दल के संयोजक ने दुकानदार नासिर पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. वहीं, ठाकुर फुटवियर कंपनी के मालिक ने कहा कि यह नाम उनके दादाजी से जुड़ा है. किसी राजनीति के लिए नहीं बदलेंगे.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था. कोरोना वायरस के नए स्वरूप का संक्रमण तेज़ी से फैलने के बाद ब्रिटेन में नए सिरे लॉकडाउन की घोषणा की गई है.
उत्पादों के ‘हलाल’ प्रमाणन के ख़िलाफ़ हिंदू दक्षिणपंथी समूहों और सिख संगठनों द्वारा सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा था, जिसके बाद वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कृषि-निर्यात संभालने वाले कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने यह क़दम उठाया है. संस्था की ओर से कहा गया है कि इस क़दम के पीछे सरकार का कोई हाथ नहीं है.
भारतीय किसान यूनियन के नेता युधवीर सिंह ने कहा, ‘मंत्री चाहते हैं कि हम क़ानून पर बिंदुवार चर्चा करें. हमने ऐसा करने से इनकार कर दिया और कहा कि क़ानूनों पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि हम चाहते हैं कि क़ानून पूरी तरह से वापस हों. सरकार हमें संशोधनों की ओर ले जाना चाहती है, लेकिन हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.’
भाजपा नेता और राज्य के पूर्व गृहमंत्री संपत सिंह ने कहा कि इस समय किसी भी राजनीतिक दल में किसानों को उकसाने की ताक़त नहीं है. यह पूरी तरह से किसानों के अस्तित्व के लिए उनका संघर्ष है इसलिए आंदोलन के लिए विपक्षी दलों को ज़िम्मेदार ठहराना बेतुका है.