पुलिस के अनुसार हमले में कोई पत्रकार घायल नहीं हुआ है. वहीं राज्य के एक मीडिया संगठन का कहना है कि यह हमला अचानक हुई घटना नहीं है बल्कि सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देब के मीडिया को कथित तौर पर धमकाने के बाद राज्य भर में पत्रकारों पर हुए लगातार हमलों का हिस्सा है.
मामला उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले का है. मौत से पहले पत्रकार के बयान के आधार पर पुलिस गांव के पूर्व प्रधान सहित तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.
मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने शुक्रवार को कहा था कि ‘कुछ अति उत्साहित अख़बार’ राज्य में कोविड-19 की स्थिति के बारे में जनता में भ्रम फैला रहे हैं, जिन्हें मैं कभी माफ़ नहीं करूंगा. मीडिया संगठनों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि राज्य सरकार मीडिया को अपना ग़ुलाम बनाने की कोशिश कर रही है.
मध्य प्रदेश के निवाड़ी ज़िले के पुतरीखेरा गांव का मामला. पुलिस ने हत्या की वजह ज़मीन का विवाद बताया है. 21 जुलाई को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में भी एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
महाराष्ट्र के अहमदनगर का मामला. पुलिस ने बताया कि हमला करने, दंगा करने के साथ पृथकवास में रहने संबंधी नियम का उल्लंघन करने के लिए 12 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
मामला गुजरात के वलसाड का है. आरोप है कि एक तालाब के सौंदर्यीकरण की परियोजना को लेकर छपी ख़बर से गांव का पूर्व सरपंच नाराज़ था और उसने अपने दो साथियों के साथ मिलकर पत्रकार और उनके परिवार पर हमला किया.
सरगुजा ज़िले के जमगला गांव निवासी पत्रकार राजेश गुप्ता ने गांव में नल-जल योजना के तहत हो रहे काम पर ख़बर की थी जिससे नाराज़ भाजपा सांसद कमलभान सिंह के बेटे देवेंद्र सिंह ने उनके घर पर हमला कर दिया.