किसान केंद्र के विवादित कृषि क़ानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सोमवार को किसानों की संख्या बढ़ने पर दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद बॉर्डर पर पुलिस ने सुरक्षा मज़बूत कर दी है. किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी को जाने वाले पांच मार्गों को जाम करने की चेतावनी दी है. उनका कहना है कि वे सशर्त बातचीत का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेंगे. इधर, राजग की घटक आरएलपी ने कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग की है.
केंद्र सरकार के विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते 26 नवंबर से दिल्ली चलो मार्च के तहत किसानों का प्रदर्शन जारी है. इन क़ानूनों के विरोध में पंजाब और हरियाणा में दो दिनों के संघर्ष के बाद किसानों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश की मंज़ूरी मिल गई थी.
केंद्र के तीन कृषि क़ानून को लेकर किसानों ने दो दिवसीय दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया था. किसानों को रोकने के दौरान पुलिस की उनसे झड़प हुई थी. अंबाला में किसान विरोध के दौरान पुलिस के वाटर कैनन को बंद करने वाले एक युवक के ख़िलाफ़ भी हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है.
दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है. तीन कृषि कानूनों के विरोध में बीते बृहस्पतिवार को विभिन्न किसान संगठनों ने दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया था, तब इन्हें दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर रोक दिया गया था. किसानों के समर्थन में लखनऊ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में भी किसानों ने प्रदर्शन किया है.
किसान संगठनों ने इसके लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि ये बलिदान बर्बाद नहीं जाएगा. संगठनों ने पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की मांग की है. ये संगठन कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली चलो मार्च के तहत दो दिवसीय प्रदर्शन कर रहे हैं.
विवादित कृषि क़ानूनों के विरोध में 26 और 27 नवंबर को दिल्ली आ रहे किसानों को हरियाणा और उत्तर प्रदेश में रोकने की कोशिश की जा रही है. हरियाणा ने पंजाब से लगी अपनी सीमा सील कर दी है. वहीं, दिल्ली में जवानों की तैनाती कर सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई. कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. कांग्रेस और दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इन क़दमों की निंदा की है.
पंजाब भजापा के महासचिव मालविंदर सिंह कांग ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि मेरी अंतर्रात्मा मुझे पार्टी में रहने की अनुमति नहीं दे रही है. पार्टी नेतृत्व किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है.
मंडी यार्ड का होना सुनिश्चित करेगा कि उसके दायरे के बाहर किसी भी खरीद को अवैध माना जाए, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम क़ीमतें न मिले और राज्य को उसका मंडी शुल्क मिलता रहे.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि विधेयकों के विरोध में देशभर के किसानों ने शुक्रवार को भारत बंद का आयोजन किया, जिसमें किसान संगठनों के साथ विभिन्न राजनीतिक दलों ने किसानों का समर्थन करते हुए हिस्सा लिया.
पंजाब में किसान संगठनों द्वारा आहूत ‘रेल रोको’ प्रदर्शन तीन दिनों तक चलेगा. इसके अलावा कुल 31 किसान संगठनों ने विवादित कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ 25 सितंबर को पंजाब में पूर्ण बंद का आह्वान किया है. रेलवे की ओर से कहा गया है कि इस आंदोलन से ज़रूरी सामानों और खाद्यान्नों की आवाजाही पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
किसानों के प्रदर्शन के बीच तीन कृषि अध्यादेशों को लोकसभा के बाद राज्यसभा की भी मंज़ूरी मिल गई है. पत्रकार पी. साईनाथ ने कहा कि इन क़ानूनों के चलते चौतरफ़ा अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. किसान अपनी उपज का उचित मूल्य चाहता है लेकिन इसके लिए जो भी थोड़ी बहुत व्यवस्था बनी हुई थी सरकार उसे भी उजाड़ रही है.
मृतक किसान भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) द्वारा 15 सितंबर से मुक्तसर ज़िले के बादल गांव में नए कृषि विधेयकों के ख़िलाफ़ आयोजित प्रदर्शन में भाग ले रहे थे, जो पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का पैतृक गांव है.
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल मोदी सरकार में अकाली दल की एकमात्र प्रतिनिधि हैं. कौर ने कहा कि किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के विरोध में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया है और उन्हें किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है.
आदिवासियों ने हाल ही में लागू हुए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी क्षेत्र विकास और पर्यटन प्रशासन अधिनियम को रद्द करने की मांग की, जो गुजरात सरकार को प्रतिमा के आसपास के क्षेत्र में किसी भी विकास परियोजना के लिए इन गांवों में भूमि अधिग्रहित करने की शक्ति देता है.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के ज़रिये न्यूनतम समर्थन मूल्य की स्थापित व्यवस्था को ख़त्म कर रही है और अगर ऐसा होता है तो उन्हें कॉरपोरेट के रहम पर जीना पड़ेगा. बीते जुलाई महीने में राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के किसान भी इसे लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं.