मेघालय के ईस्ट जयंतिया हिल्स ज़िले के एक अवैध कोयला खदान में पांच श्रमिक बीते 31 मई से फंसे हुए हैं. ज़िला प्रशासन ने बताया कि खदान में पानी भरा हुआ है और बचावकर्मी जलस्तर कम होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. अवैध खनन के आरोप में खदान के मालिक को गिरफ़्तार किया गया है.
हाल ही में आरटीआई आवेदन के जवाब में रेलवे ने बताया था कि साल 2020 में रेल की पटरियों पर 8,733 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकतर प्रवासी मज़दूर थे. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा ने कहा है कि ये मौतें अतिक्रमण के कारण हुई हैं न कि रेल हादसों की वजह से. इनका रेलवे से कुछ लेना-देना नहीं है.
साल 2020 में 8,000 से अधिक लोगों की रेल पटरियों पर जान गई, इनमें ज़्यादातर प्रवासी मज़दूर थे: आरटीआई
आरटीआई आवेदन के जवाब में दी गई जानकारी में अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में अधिकतर प्रवासी मज़दूर थे, जिन्होंने पटरियों पर चलकर घर पहुंचने का विकल्प चुना था, क्योंकि इससे वे लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के लिए पुलिस से बच सकते थे और उनका यह भी मानना था कि वे रास्ता नहीं भटकेंगे.
दिल्ली परिवहन विभाग ने बताया कि बीते 19 अप्रैल से 14 मई के बीच 8,07,032 प्रवासी कामगार दिल्ली से बसों के ज़रिये अपने गृह राज्यों के लिए रवाना हुए. इनमें से 3,79,604 प्रवासी लॉकडाउन के पहले सप्ताह में निकले.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खाद्यान्न देते हुए प्रशासन उन प्रवासी कामगारों को पहचान पत्र दिखाने पर ज़ोर न दे, जिनके पास फ़िलहाल दस्तावेज़ नहीं हैं. पीठ ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारों को यह निर्देश भी दिया कि वे कोविड-19 के कारण फंसे प्रवासी कामगारों में से जो घर जाना चाहते हैं, उनके लिए परिवहन की समुचित व्यवस्था करें.
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बाद लॉकडाउन समेत अन्य पाबंदियां से आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ने से नौकरियां प्रभावित हुई हैं. एक निजी शोध एजेंसी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने अपने अध्ययन में कहा है कि नौकरियां जाने की वजह से वेतनभोगी एवं ग़ैर-वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या मार्च में 39.81 करोड़ से घटकर अप्रैल में 39.08 करोड़ हो गईं.
इस पहाड़ी राज्य में काम करने वाले प्रवासी मज़दूरों को डर है कि साल 2020 में कोरोना की पहली लहर में राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान उन्होंने जो दुख और चुनौतियां झेलीं, इस बार भी वैसा ही होने वाला है.
प्रवासी मज़दूरों से भरी यह बस ग्वालियर-झांसी राजमार्ग के जौरासी घाटी मोड़ पर पलट गई. दिल्ली में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के मद्देनज़र एक हफ़्ते के लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद बस मज़दूरों को लेकर मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ होते हुए छतरपुर जा रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश उस याचिका पर दिया, जिसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच प्रवासी बच्चों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए और सबसे संवेदनशील स्थिति में हैं.
पिछले साल कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान आठ मई को महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में रेल की पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मज़दूरों की एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी. इनमें से 11 मज़दूर शहडोल ज़िले के थे एवं बाकी उमरिया ज़िले के थे.
इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया था कि पिछले साल कोविड-19 पर काबू पाने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की मौत के बारे में सरकार को कोई जानकारी नहीं है.
कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों के सामने खड़ी हुईं समस्याओं को दूर करने के लिए श्रम मंत्रालय नीति आयोग की अगुवाई में एक नीति तैयार कर रही है. मसौदा नीति में कहा गया है कि प्रवासी मज़दूरों का राजनीतिक समावेश किया जाना चाहिए, ताकि राजनीतिक नेतृत्व को उनके लिए जवाबदेह ठहराया जा सके.
कोविड-19 लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए रेहड़ी-पटरी वाले विक्रेताओं को उनकी आजीविका फिर शुरू करने के लिए सस्ते कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री स्वनिधि की शुरुआत की गई थी. अब कुछ बैंकों ने स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर लोन वसूलने में मदद करने को कहा है.
उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले का मामला है. किसान की पत्नी ने पुलिस को बताया कि उनके पति पर बैंक का 38 हज़ार रुपये का क़र्ज़ था और कोई काम न मिलने से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली.
2021 में जाते हुए क्या उस सब से उबरना मुमकिन होगा, जिसमें हमने साल 2020 बिताया है?