क़ादिर ख़ान हिंदी सिनेमा में उस पीढ़ी के आख़िरी लेखक थे, जिन्हें आम लोगों की भाषा और साहित्य की अहमियत का एहसास था. उनकी लिखी फिल्मों को देखते हुए दर्शकों को यह पता भी नहीं चलता था कि इस सहज संवाद में उन्होंने ग़ालिब जैसे शायर की मदद ली और स्क्रीनप्ले में यथार्थ के साथ शायरी वाली कल्पना का भी ख़याल रखा.
वे एक साहित्यिक व्यक्ति थे- जो विश्व साहित्य की क्लासिक रचनाओं के साथ सबसे ज़्यादा ख़ुश रहते थे और उन पर पूरे उत्साह से चर्चा करते थे.
अभिनेता और पटकथा लेखक कादर ख़ान ने 250 से अधिक फिल्मों के संवाद लिखने के अलावा 300 से ज़्यादा फिल्मों में अभिनय किया है.