ब्रिटिश सांसदों ने किसान आंदोलन- शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार संबंधी चर्चा की, भारत ने नाराज़गी जताई

भारत में तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन के बीच ब्रिटिश सांसदों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकार और प्रेस की आज़ादी को लेकर एक लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर वाली ‘ई-याचिका’ पर चर्चा की. भारत ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि इस ‘एकतरफा चर्चा में झूठे दावे’ किए गए.

किसान आंदोलन: भारत के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लंदन में प्रदर्शन, कई गिरफ़्तार

ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर लोगों ने प्रदर्शन किया. यह विरोध प्रदर्शन विभिन्न दलों के 36 ब्रिटिश सांसदों के एक समूह द्वारा ब्रिटेन के विदेश मंत्री को पत्र लिखने बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह इस बारे में अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर को अवगत कराएं.

किसान आंदोलन: यूएन प्रमुख और ब्रिटिश सांसदों ने कहा- शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार

केंद्र सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में बीते 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन जारी है. भारत ने किसान प्रदर्शनों के बारे में दुनियाभर के नेताओं और वैश्विक संस्थाओं की टिप्पणियों को ‘भ्रामक’ और ‘गैर जरूरी’ बताया है और कहा है कि यह एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से जुड़ा विषय है.

17 विदेशी राजनयिकों को आज जम्मू कश्मीर का दौरा कराएगी सरकार, ईयू शामिल नहीं

स्वेच्छा से खुद के चुने हुए लोगों से मिलने की इच्छा रखने के कारण यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने जम्मू कश्मीर का यह दौरा टाल दिया. वे राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात करना चाहते हैं, जो 5 अगस्त को राज्य का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद से ही हिरासत में हैं.

यूरोपीय सांसदों के कश्मीर दौरे को फंड करने वाले समूह पर सवालिया निशान

कश्मीर में यूरोपीय सांसदों के दल के दौरे को कथित रूप से फंड देने वाला इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर नॉन-अलाइंड स्टडीज़, श्रीवास्तव समूह का हिस्सा है. इसकी वेबसाइट पर इसके कई कारोबार होने की बात कही गई है. हालांकि दस्तावेज़ ऐसा कोई बिज़नेस नहीं दिखाते, जिससे वे यूरोपीय सांसदों को भारत बुलाने और प्रधानमंत्री से मुलाकात करवाने में समर्थ दिखें.

कश्मीर गए यूरोपीय सांसद ने कहा, भारत को अपने विपक्षी नेताओं को भी कश्मीर जाने देना चाहिए

केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को ख़त्म किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात जानने के लिए श्रीनगर पहुंचे यूरोपीय दल में शामिल जर्मनी के सांसद निकोलस फेस्ट ने यह बात कही है.

कश्मीर आंतरिक मसला है तो विदेशी सांसदों को बुलाने की तैयारी पिछले दरवाज़े से क्यों हुई?

भारत को एक इंटरनेशनल बिज़नेस ब्रोकर के ज़रिये विदेशी सांसदों के कश्मीर आने की भूमिका तैयार करने की ज़रूरत क्यों पड़ी? जो सांसद बुलाए गए हैं वे धुर दक्षिणपंथी दलों के हैं. इनमें से कोई ऐसी पार्टी से नहीं है जिनकी सरकार हो या प्रमुख आवाज़ रखते हों. तो भारत ने कश्मीर पर एक कमज़ोर पक्ष को क्यों चुना? क्या प्रमुख दलों से मनमुताबिक साथ नहीं मिला?

कश्मीर: यूरोपीय संघ के सांसदों ने कहा- अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मामला, हम दख़ल देने नहीं आए

जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर आए यूरोपीय संघ के सांसदों ने कहा कि हमें फासीवादी कहकर हमारी छवि को ख़राब किया जा रहा है.

कश्मीर में मोदी सरकार के झूठे प्रचार का हिस्सा नहीं बनना चाहता था: ब्रिटिश सांसद

ब्रिटेन की लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी के सांसद क्रिस डेविस का कहना है कि कश्मीर यात्रा के लिए उन्हें दिए गए निमंत्रण को भारत सरकार ने वापस ले लिया क्योंकि उन्होंने बिना पुलिस सुरक्षा के स्थानीय लोगों से बात करने की इच्छा जताई थी.