तृणमूल कांग्रेस विधायकों और नेताओं का भाजपा में शामिल होने का सिलसिला जारी. बीते मंगलवार को भी तृणमूल के दो और माकपा के एक विधायक समेत तृणमूल के 50 से अधिक पार्षद भाजपा में शामिल हो गए थे. तृणमूल ने कहा कि अवसरवादियों के पार्टी छोड़ने से फ़र्क़ नहीं पड़ता.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा दावा कर रही है कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा में पार्टी के 54 लोगों की हत्या हुई है, यह ग़लत है. बंगाल में कोई राजनीतिक हत्या नहीं हुई है. उधर, कथित राजनीतिक हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया.
भाजपा नेता पेमा खांडू के अलावा 11 विधायकों को राज्यपाल ने दिलाई शपथ. शपथ ग्रहण समारोह में असम, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए.
नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा, ‘इलाज के दौरान मेरे पास निश्चित तौर पर काफी समय होगा, जिसमें मैं सरकार और पार्टी की अनौपचारिक तौर पर मदद कर सकूंगा.’
पूर्व में बहुमत अंकगणित से हासिल होता था, जो सामाजिक समूहों को एक साथ जोड़कर होता था, यह बहुमत सिर्फ वैचारिक मंच पर ही नहीं, बल्कि सत्ता में सभी की भागीदारी का वादा करके हासिल होता था. 2014 में भाजपा ने ख़ुद को चुनावी अंकगणित से दूर कर लिया और ध्रुवीकरण की प्रक्रिया से राष्ट्रीय बहुमत हासिल किया.
कोलकाता में बीते 14 मई को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान भाजपा और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. इस दौरान विद्यासागर कॉलेज में बंगाल पुनर्जागरण काल की प्रमुख हस्ती और जाने-माने सुधारवादी ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ दी गई थी.
क्या नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार जल्द ही उन्हें हासिल जनादेश की ग़लत व्याख्या करने और उसको अपनी सारी कारस्तानियों पर जनता की मुहर मान लेने की ग़लती करने लगेगी?
आदिवासी प्रोफेसर जीतराई हांसदा के वकील ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ जून, 2017 में मामला दर्ज किया गया था. वकील ने आशंका जताई कि यह गिरफ़्तारी जानबूझकर चुनावों के बाद की गई है. चुनाव से पहले गिरफ़्तारी करके भाजपा आदिवासियों को नाराज़ करके चुनावों में उनका वोट गंवाना नहीं चाहती थी.
इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, नगालैंड और त्रिपुरा के प्रमुख समाचार.
नरेंद्र मोदी की जीत का भारत के लिए क्या अर्थ निकलता है? एक हद तक यह उन्हें और भाजपा को दावा करने का मौका देता है कि पिछले पांच सालों में उन्होंने जो कुछ भी किया है, उसके प्रति जनता ने अपना विश्वास जताया है. पर क्या यह सच है?
राजग संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद संसद के केंद्रीय कक्ष में नवनिर्वाचित सदस्यों से नरेंद्र मोदी ने कहा कि अख़बार में छपने और टीवी पर दिखने के मोह से अगर बचकर चलते हैं तो हम बहुत कुछ बचा सकते हैं.
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही विभिन्न हलकों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पद छोड़ने की मांग उठाई जा रही है पर क्या यही कांग्रेस की मुश्किलों का हल है?
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को 16वीं लोकसभा भंग करने की सिफ़ारिश की थी. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सामूहिक इस्तीफ़ा सौंप दिया था.
भारत में उम्मीदवारों की सूची में नोटा को 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शामिल किया गया था. इससे मतदाताओं को एक ऐसा विकल्प मिला कि अगर वह अपने क्षेत्र के किसी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते हैं तो वह नोटा का बटन दबा सकते हैं.
महज़ पांच महीने पहले राजस्थान की सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस लोकसभा चुनाव में प्रदेश की एक भी सीट नहीं जीत पाई है.