कृषि क़ानून: अमेरिका ने कहा- इंटरनेट की उपलब्धता, शांतिपूर्ण प्रदर्शन जीवंत लोकतंत्र की निशानी

यूएस स्टेट डिपार्टमेंट का यह बयान अमेरिकी गायिका रिहाना समेत कई हस्तियों के किसान आंदोलन के समर्थन पर भारतीय विदेश मंत्रालय की आलोचना पर आया है. विभाग ने यह भी कहा कि अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है जो भारतीय बाज़ार को बेहतर बनाते हैं और बड़े स्तर पर निजी निवेश आकर्षित करते हैं.

राहुल गांधी ने कहा, किसानों के साथ ​सरकार के व्यवहार से भारत की प्रतिष्ठा को ज़ोरदार धक्का लगा

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए सवाल किया कि सरकार दिल्ली में किलेबंदी क्यों कर रही है? क्या वह किसानों से डरती है? क्या किसान दुश्मन हैं? दिल्ली की सीमाओं पर अवरोधक लगाने और सड़कों पर कील गाड़ने के क़दम की महबूबा मुफ़्ती और मायावती जैसे नेताओं ने भी निंदा की है.

ग़ाज़ीपुर बॉर्डर: लोहे की कीलों से घायल हो रहे प्रदर्शनकारी

वीडियो: ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस द्वारा की गई सख़्त घेराबंदी से प्रदर्शनकारियों से लेकर आम जनता तक को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, सड़क पर गाड़ी गईं कीलों के कारण प्रदर्शनकारी घायल भी हो रहे हैं. मेडिकल कैंप के डॉक्टरों का दावा है कि अब तक कम से कम 20 प्रदर्शनकारी कीलों से घायल हो चुके हैं. विशाल जायसवाल की रिपोर्ट.

दुनिया की नामचीन हस्तियों का किसान आंदोलन को समर्थन देना गर्व की बात: संयुक्त किसान मोर्चा

बीते दिनों में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन का पॉपस्टार रिहाना, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग जैसी कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने समर्थन किया है. प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार उनका दर्द नहीं समझ रही है.

किसान आंदोलन: कीलों और बैरिकेडिंग से बढ़ीं किसानों की मुश्किलें, पानी और शौचालय व्यवस्था मुहाल

26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद से ग़ाज़ीपुर, टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैरिकेड और सीमेंट की दीवारों की संख्या बढ़ गई है. तीनों सीमाओं को काफ़ी दूर तक तारों से घेर दिया गया है और टिकरी और ग़ाज़ीपुर में पुलिस ने धरनास्थल तक जाने वाली सड़कों पर लोहे की कीलें भी गाड़ दी हैं.

सीएए के तहत नियम बनाने में लग सकते हैं पांच महीने, देशव्यापी एनआरसी की योजना नहीं: केंद्र

गृह मंत्रालय ने बताया कि नियम बनाने के लिए लोकसभा समिति ने नौ अप्रैल और राज्यसभा समिति ने नौ जुलाई तक का वक़्त दिया है. दिसंबर 2019 में पारित हुए नागरिकता संशोधन क़ानून के तहत नियम बनाने में एक साल से अधिक की देरी हो चुकी है.

उत्पीड़न बंद होने, हिरासत में लिए गए किसानों की रिहाई तक औपचारिक बातचीत नहीं: किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा ने यह आरोप भी लगाया कि सड़कों पर कीलें व कंटीले तार लगाना, आंतरिक सड़कें बंद कर अवरोधक बढ़ाना, इंटरनेट सेवाएं बंद करना और भाजपा-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रदर्शन करवाना सरकार, पुलिस और प्रशासन की ओर से हो रहे नियोजित ‘हमलों’ का हिस्सा हैं.

पंजाब मेल का रास्ता बदला गया, किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने का आरोप

दिल्ली से होकर फ़िरोज़पुर से मुंबई जाने वाली पंजाब मेल को सोमवार को दिल्ली में न रोकते हुए रेवाड़ी के रास्ते आगे भेज दिया गया. बताया गया है कि इसमें हज़ार के क़रीब किसान सवार थे, जो किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आ रहे थे. रेलवे का कहना है कि परिचालन संबंधी कारणों से ट्रेन का रास्ता बदला गया.

किसानों के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाएं और स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश लागू करें: साईनाथ

वरिष्ठ पत्रकार और कृषि मामलों के जानकार पी. साईनाथ ने कहा कि जब कॉरपोरेट की ज़रूरतों के लिए जीएसटी का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है तो किसानों के लिए संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता है, जहां कृषि संकट से समाधान के लिए चर्चा की जा सके.

कैसे ग़ाज़ीपुर में पुनर्जीवित हुआ किसान आंदोलन

वीडियो: बीते 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के बाद उत्तर प्रदेश प्रशासन ने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने का आदेश दिया था. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अपील के बाद, यहां किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा है.

किसानों के ख़िलाफ़ सत्ता के ‘युद्ध’ की दुंदुभि बने चैनल!

वीडियो: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद से अब तक के टीवी चैनलों के कवरेज पर वरिष्ठ पत्रकार हरवीर सिंह और शीतला प्रसाद सिंह से चर्चा कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश.

राकेश टिकैत के आंसुओं से वापस लौटा किसान आंदोलन

वीडियो: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के बाद ग़ाज़ियाबाद प्रशासन ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटने का अल्टीमेटम दिया था. हालांकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत यह कहते हुए डटे रहे कि वह ख़ुदकुशी कर लेंगे, लेकिन आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे.

अकाल तख़्त जत्थेदार ने कहा- लाल क़िले पर निशान साहिब फ़हराना कोई अपराध नहीं

अकाल तख़्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति हर साल फतेह मार्च का आयोजन निशान साहिब के साथ लाल क़िले में करती है. इसे गलवान घाटी में फहराया जाता है. इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा निशान साहिब था. इसे खालिस्तान का झंडा कहकर आलोचना करना सही नहीं है.

किसानों ने रखा उपवास, सिंघू-टिकरी और ग़ाजीपुर बाॅर्डर पर इंटरनेट सेवा निलंबित

आंदोलन का केंद्र बने दिल्ली के सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बाॅर्डर धरना स्थलों पर इंटरनेट सेवाओं पर यह पाबंदी ऐसे समय में लगाई गई है, जब किसान नेता राकेश टिकैट को धरने से उठाने का पुलिस-प्रशासन का प्रयास विफल हो गया और आंदोलन में एक बार फिर से जान आ गई है. सभी धरना स्थलों पर किसान एक बार फ़िर से भारी संख्या में इकट्ठा होने लगे हैं.

किसान आंदोलन: लाठी भी खाएंगे और गोली भी, लेकिन ग़ाज़ीपुर नहीं छोड़ेंगे

वीडियो: दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर बाॅर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि तीनों कृषि क़ानूनों के रद्द होने तक वो पीछे नहीं हटने वाले हैं.

1 17 18 19 20 21 139